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दिल-ए-नादाँ

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ग़ालिब

दिल-ए-नादाँ या दिल-ए-नादान उर्दू-हिंदी का एक वाक्यांश है जो उत्तर भारत और पाकिस्तान की संस्कृति में बहुत सन्दर्भों में प्रयोग होता है। यह मूल रूप में फ़ारसी का वाक्यांश है और उसमें इस دلِ ناداں‎ लिखा जाता है। इसका प्रयोग अक्सर उन स्थितियों में होता है जब कोई व्यक्ति अपनी भावनाओं की वजह से ऐसी चीज़ें करने पर मजबूर हो जाता है जो उसकी बुद्धि के निर्देशों के विपरीत हो या जिसमें अपनी किसी अपरिहार्य परिस्थितियों के कारण उसके मन में उथल-पुथल होती है।

ग़ालिब द्वारा प्रयोग

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भारतीय उपमहाद्वीप में इस वाक्यांश की लोकप्रियता मिर्ज़ा ग़ालिब की एक ग़ज़ल से हुई, जिसमें उनके ह्रदय को ऐसी प्रेमिका के लिए उत्तेजित दर्शाया गया है जिसे उनके प्रेम की कोई क़दर नहीं है। अक्सर इस ग़ज़ल के दो ही शेर सब से अधिक कहे जाते हैं:

मूल
लिप्यान्तरण
دلِ ناداں! تجھے ہوا کیا ہے؟
آخر اس درد کی دوا کیا ہے؟
ہم کو ان سے‘ وفا کی ہے امید
جو نہیں جانتے‘ وفا کیا ہے‎
दिल-ए-नादाँ, तुझे हुआ क्या है?
आख़िर इस दर्द की दवा क्या है?
हम को उन से वफ़ा की है उम्मीद
जो नहीं जानते वफ़ा क्या है

लोक-संस्कृति में

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इसका प्रयोग बहुत सी आधुनिक सांस्कृतिक रचनाओं में हुआ है। सन् 1982 में "दिल-ए-नादाँ" नाम की हिंदी फिल्म बनाई गई जिसके मुख्य अभिनेता-अभिनेत्री राजेश खन्ना, शत्रुघ्न सिन्हा, जयाप्रदा और स्मिता पाटिल थे।[1] 1983 में बनी फिल्म "रज़िया सुल्तान" में इसी शीर्षक का गाना हेमा मालिनी पर दर्शाया गया। दिल-ए-नादान त्रिनिदाद में एक भारतीय मूल की प्रसिद्ध संगीत गुट का भी नाम है।[2]

इन्हें भी देखें

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बाहरी कड़ियाँ

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सन्दर्भ

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  1. Aruna Vasudev, Philippe Lenglet. "Indian cinema superbazaar". Vikas, 1983. आई॰ऍस॰बी॰ऍन॰ 9780706922264. मूल से 23 दिसंबर 2018 को पुरालेखित. अभिगमन तिथि 30 जुलाई 2011. ... Rajesh Khanna and Jayaprada in Dil-e-Nadaan ...
  2. Tejaswini Niranjana. "Mobilizing India: women, music, and migration between India and Trinidad". Duke University Press, 2006. आई॰ऍस॰बी॰ऍन॰ 9780822338420. ... The complex task of unification — to be sought in the music because it perhaps cannot be accomplished anywhere else— is underscored by the sweet sounds of Xtatik as it performs with Dil-E-Nadaan and JMC Triveni, two of the leading East Indian orchestras ...