दापोली

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दापोली
Dapoli
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दापोली का दृश्य
दापोली का दृश्य
दापोली is located in महाराष्ट्र
दापोली
दापोली
महाराष्ट्र में स्थिति
निर्देशांक: 17°45′32″N 73°11′10″E / 17.759°N 73.186°E / 17.759; 73.186निर्देशांक: 17°45′32″N 73°11′10″E / 17.759°N 73.186°E / 17.759; 73.186
देश भारत
प्रान्तमहाराष्ट्र
ज़िलारत्नागिरि ज़िला
जनसंख्या (2011)
 • कुल34,544
भाषा
 • प्रचलितमराठी
समय मण्डलभारतीय मानक समय (यूटीसी+5:30)
पिनकोड415712
दूरभाष कोड02358
वाहन पंजीकरणMH-08

दापोली (Dapoli) भारत के महाराष्ट्र राज्य के रत्नागिरि ज़िले में स्थित एक नगर है। यह इसी नाम की तालुका का मुख्यालय भी है।[1][2]

भौगोलिक अवस्थिति[संपादित करें]

यह शहर "मिनी महाबलेश्वर" के नाम से भी मशहूर है, (महाराष्ट्र में महाबलेश्वर नाम का एक हिल स्टेशन है) क्योंकि यहां का वातावरण पूरे साल भर ठंडा रहता है। यह शहर अरब सागर के नज़दीक (लगभग 8 कि.मी.) ही है और अंजारले, सारंग, भोपण, हरनाई, दाभोल (जो भारत के एनरोन पावर प्लांट के लिए कुख्यात हुआ), उणाहवरे, जलगांव, जीम्हावणे, असद, वाणन्द, खेरडी, करडे, मुरूड, विसापूर और उम्बेरघर जैसे आस-पास के गांवों के लिए प्रमुख शहर (तालुक मुख्यालय) की भूमिका निभाता है। दापोली में स्थित जलगांव को सर्वाधिक साफ़ गांव के लिए महाराष्ट्र सरकार द्वारा 'संत गाढगेबाबा ग्राम स्वछता' का सम्मान प्राप्त हुआ था।

दापोली और सह्याद्री पर्वतश्रेणी के बीच खेड़ तालुक पड़ता है। दापोली का समुद्र-तट 50 कि॰मी॰ लम्बा है जो बुर्नोड़ी, केल्शी से लेकर दाभोल तक फैला हुआ है। इस समुद्र-तट की सामान्य गुण विशेषताएं कोकण के अन्य भागों के समुद्र-तट की गुण विशेषताओं से कुछ ख़ास अलग नहीं है। यह नारियल के घने पेड़ों से घिरा हुआ है। यहां की प्रमुख नदियां हैं - उत्तर में भर्जा और दक्षिण में वाशिष्ठी. इनके अलावा, जोग नामक एक और छोटी सी नदी है जो सारंग और ताडिल से होते हुए अरब सागर में मिल जाती है। अरब सागर-तट से सिर्फ़ 7 कि॰मी॰ दूर होने के बावजूद, यह शहर लगभग 800 फीट की ऊंचाई पर स्थित है।

शिक्षा[संपादित करें]

यहां एक बहुत ही पुराना विद्यालय है जिसे ब्रिटिश नागरिक अल्फ्रेड गैड्ने का नाम पर रखा गया है। अंग्रेजों के शासनकाल में, दापोली ब्रिटिश सैनिकों का शिविर हुआ करता था। दापोली इस बात के लिए भी मशहूर है कि महाराष्ट्र के चार कृषि विश्वविद्यालयों में से एक विश्वविद्यालय दापोली में है। इस विश्वविद्यालय का नाम है डॉ॰ बालासाहेब सावंत कोकण कृषि विद्यापीठ।

दापोली में कृष्ण चेतना आन्दोलन केंद्र, कृषि-व्यवसाय के लिए युवा-कार्यक्रम और रामराजे इंजीनियरिंग कॉलेज भी हैं।

उल्लेखनीय निवासी[संपादित करें]

दापोली को, भारत रत्न महर्षि अन्नासाहेब कर्वे (मुरूड), साने गुरूजी और लोकमान्य तिलक (चिखलगांव), उनकी पत्नी (लाडघर) और भारत रत्न पी.वी.काणे का जन्म-स्थान माना जाता है। भारत रत्न डॉ॰ बाबासाहेब अंबेडकर ने कुछ वर्षों तक अल्फ्रेड गैड्ने हाईस्कूल में शिक्षा प्राप्त की थी।

दर्शनीय स्थल[संपादित करें]

सुवर्णदुर्ग और कनकदुर्ग किले - हरने[संपादित करें]

दापोली से 17 कि॰मी॰ दूर हरनाई में स्थित सुवर्णदुर्ग किले में दो किले हैं। कनकदुर्ग भूमि-किला है और सुवर्णदुर्ग समुद्री किला है। इन किलों को मूलतः आदिल शाही वंश ने बनवाया था, फिर 1660 में छत्रपति शिवाजी महाराज ने इन पर कब्ज़ा किया और इनको और मज़बूत बनाया. पहले ये दोनों किले एक सुरंग से जुड़े हुए थे, लेकिन अब सुवर्णदुर्ग किले तक सिर्फ़ नाव द्वारा ही पहुंचा जा सकता है। लेकिन फिलहाल किले तक पहुंचने के लिए कोई नियमित नौका-सेवा उपलब्ध नहीं है अतः स्थानीय मछुआरों की नौका से किले तक पहुंचा जा सकता है। कनकदुर्ग किले में एक प्रकाश स्तंभ भी है।

पनहालेकाजी गुफाएं[संपादित करें]

दापोली-दाभोल रोड पर पनहालेकाजी नामक एक जगह है जहां खेड़ की तरफ से भी वकावली व टेटावली से गुज़रते हुए पहुंचा जा सकता है। "लेणी" या पनहालेकाजी की गुफाओं को तो अवश्य ही देखना चाहिए. आप इन गुफाओं तक अपनी गाड़ी से भी पहुंच सकते हैं। यह जगह 'कोटजाई' और 'धक्ति' नदियों के संगम के निकट की गहरी घाटी में स्थित है। यहां के आसपास के जंगलों व नदियों में रहने वाले अनेक पशु-पक्षियों और रेंगनेवाले प्राणियों को आप देख सकते हैं। यहां 29 गुफाएं और आसपास के क्षेत्र में अनेक मूर्तियां हैं। यह पूरा क्षेत्र अत्यंत मनोहारी है। इन गुफाओं में की गई नक्काशी का संबंध तीसरी सदी से लेकर 14 वीं सदी तक पाया जाता है।

उणाहवरे - गर्म पानी के कुंड[संपादित करें]

दापोली से 20 कि॰मी॰ दूर, उणाहवरे गांव में (पनहालेकाजी गुफाओं के समीप) गर्म पानी के प्राकृतिक कुंड/झरने पाए जाते हैं। वकावली से 21 कि॰मी॰ और टेटावली से 17 कि॰मी॰ दूर उणाहवरे में डॉ॰ देवधर फार्म्स (केशव बाग़ नाम से जाना-माना) है। डॉ॰ देवधर बंबई विश्वविद्यालय में शैवाल (Algae) के विशेषज्ञ हैं। यहां पर्यटकों के लिए एक अतिथि-गृह भी है। इस स्थल के एकमात्र आकर्षण हैं - यहां के गर्म पानी के प्राकृतिक कुंड/झरने. आसपास के क्षेत्रों से बहुत सारे लोग सल्फर (Sulphur) वाले गर्म पानी के इन कुंडों में नहाने के लिए यहां नियमित रूप से आते हैं। तन को उल्लसित करने वाले गर्म पानी में नहाने के लिए आने वाले पुरुषों और महिलाओं के लिए अलग-अलग निर्धारित जगहें बनायीं गयीं हैं। ऐसा माना जाता है कि इन कुंडों के पानी से चर्म-रोगों का इलाज होता है। यहां नहाने के लिए कोई शुल्क नहीं है। इन गर्म पानी के कुंडों के ठीक सामने एक छोटी सी मस्जिद और एक विद्यालय भी है। इनके अलावा, यहां "महामाई ग्राम देवता मंदिर ", "विद्या मंदिर हाई स्कूल, स्टारविन क्रिकेट ग्राउंड और एक सुंदर ग्रैनड मस्जिद फरारे भी है।"

काड्यावरचा गणपति[संपादित करें]

यह गणेश मंदिर दापोली तालुक के अंजारले गांव में है। अंजारले गांव इस "काड्यावरचा गणपति " (खड़ी चट्टान पर स्थित) के लिए प्रसिद्ध है। इस प्राचीन और भव्य गणेश मंदिर को लगभग 1150AD में मूलतः लकड़ी के खंभों से बनाया गया था। फिर 1768 और 1780 के दौरान इसका नवीनीकरण किया गया। एक समय था जब लोग नाव से अंजारले की संकरी खाड़ी (जोग नदी) को पार करने के बाद अंजारले गांव से होकर गुज़रती सीढ़ियां चढ़कर पहाड़ी तक पहुंचते थे। हाल ही में एक पुल का निर्माण किया गया है जिससे आप अपनी कार बिलकुल मंदिर के प्रवेश द्वार तक ले जा सकते हैं।

यहां की गणेश मूर्ति दाहिनी-तरफ़ा है। अर्थात गणेशजी की सूंढ़ दाहिनी तरफ़ मुड़ी हुई है। ऐसा ("उजव्या सोंडेचा गणपति ") बहुत ही कम देखने को मिलता है। काड्यावरचा गणपति साक्षात देवता (एक जागृत देवता) हैं जो आम लोगों की पुकार सुनते हैं और उनके संकट का निवारण करते हैं (नवसाला पावनारा गणपति). मंदिर के दाहिनी ओर पत्थर की सीढ़ियां हैं जिनसे मंदिर के शीर्ष (कलश) तक पहुंचा जा सकता है। मंदिर के शीर्ष से नारियल के पेड़ों का घना झुरमुट, सुपारी के पेड़, सुवर्णदुर्ग किला, नीला समुद्र और आसपास की पहाड़ियों का मनोहारी दृश्य देखा जा सकता है। मंदिर के ठीक सामने एक तालाब है जहां आप मछलियों और कछुओं को चारा खिला सकते हैं। गणेश मंदिर के बगल में, एक छोटा सा पर बहुत ही सुन्दर, भगवान शिव का मंदिर भी है।

असदबाग[संपादित करें]

यह स्थान दापोली और असद पुल के बीच स्थित है। ऐसा कहा जाता है कि यह मंदिर "पांडवकालीन" है अर्थात इसकी मूल स्थापना 1000 से भी अधिक वर्षों पहले की गई थी। यहां पहुंचने के लिए एक छोटी सी नदी पार करने के बाद दबकेवाड़ी से गुज़रना पड़ता है, लेकिन खड़ी चट्टान की चढ़ाई से मन प्रफुल्लित हो उठता है। इतनी ऊंचाई पर मिलने वाला पानी मानो एक चमत्कार ही है और ऐसा माना जाता है कि यह पानी एक पेड़ के तने से निकलता है। श्री केशवराज की "मूर्ति" के दर्शन करना तो सचमुच एक अतुल्य अनुभव है।

मुरूड समुद्र-तट[संपादित करें]

यह समुद्र-तट, कोंकण क्षेत्र के अत्यंत सुन्दर और सबसे लम्बे समुद्र-तटों में से एक है। यह दापोली से 10 कि॰मी॰ और असद पुल से 2 कि॰मी॰ की दूरी पर है।

इन्हें भी देखें[संपादित करें]

सन्दर्भ[संपादित करें]

  1. "RBS Visitors Guide India: Maharashtra Travel Guide Archived 2019-07-03 at the वेबैक मशीन," Ashutosh Goyal, Data and Expo India Pvt. Ltd., 2015, ISBN 9789380844831
  2. "Mystical, Magical Maharashtra Archived 2019-06-30 at the वेबैक मशीन," Milind Gunaji, Popular Prakashan, 2010, ISBN 9788179914458