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दक्षिण सूडान

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दक्षिण सूडान गणराज्य
Republic of South Sudan
ध्वज कुल चिह्न
राष्ट्रवाक्य: Justice, Liberty, Prosperity
"न्याय, स्वतंत्रता, समृद्धि"
राष्ट्रगान: South Sudan Oyee!
"दक्षिण सूडान ओयी!"
अवस्थिति: दक्षिण सूडान
राजधानी
और सबसे बड़ा नगर
जुबा
04°51′N 31°36′E / 4.850°N 31.600°E / 4.850; 31.600
राजभाषा(एँ) अंग्रेजी[1]
सरकार संघीय अध्यक्षीय लोकतंत्र गणराज्य
 -  राष्ट्रपति सल्वा कीर मायार्दित
 -  उपराष्ट्रपति जेम्स वानी इग्गा
सूडान से स्वतंत्रता
 -  अंग्रेज़ी- मिस्री सूडान का अंत 31 दिसम्बर 1955 
 -  व्यापक शांति समझौता 6 जनवरी 2005 
 -  स्वायत्तता 9 जुलाई 2005 
 -  स्वतंत्रता 9 जुलाई 2011 
क्षेत्रफल
 -  कुल 6,19,745 km2 (42वां)
जनसंख्या
 -  2008 जनगणना 8,260,490 (विवादित)[2] (94वां)
सकल घरेलू उत्पाद (पीपीपी) 2018 प्राक्कलन
 -  कुल ₹15,02,89,86,27,000 ($18.435 अरब)
 -  प्रति व्यक्ति ₹६७,२६६ २१($825) (221वां)
सकल घरेलू उत्पाद (सांकेतिक) 2012 प्राक्कलन
 -  कुल $12.202 बिलियन[3]
मुद्रा दक्षिण सूडानी पाउंड (SSP)
समय मण्डल पूर्वी अफ्रीकन समय (यू॰टी॰सी॰+३)
दूरभाष कूट 211[4]
इंटरनेट टीएलडी .ss[5]a
पंजीकृत है, लेकिन अभी तक परिचालन नहीं.

दक्षिण सूडान (अंग्रेज़ी: South Sudan), आधिकारिक तौर पर दक्षिणी सूडान गणराज्य उत्तर-पूर्व अफ़्रीका में स्थित स्थल-रुद्ध देश है। जुबा देश की वर्तमान राजधानी और सबसे बड़ा शहर भी है। देश के उत्तर में सूडान गणतंत्र, पूर्व में इथियोपिया, दक्षिण-पूर्व में केन्या, दक्षिण में युगान्डा, दक्षिण-पश्चिम में कांगो लोकतान्त्रिक गणराज्य और पश्चिम में मध्य अफ़्रीकी गणराज्य है।

दक्षिण सूडान को 9 जुलाई 2011 को जनमत-संग्रह के पश्चात स्वतंत्रता प्राप्त हुई। इस जनमत-संग्रह में भारी संख्या (कुल मत का 98.83%) में देश की जनता ने सूडान से अलग एक नए राष्ट्र के निर्माण के लिए मत डाला। यह विश्व का 196वां स्वतंत्र देश, संयुक्त राष्ट्र का 193वां सदस्य तथा अफ्रीका का 55वां देश है।[6] जुलाई 2012 में देश ने जिनेवा सम्मेलन पर हस्ताक्षर किए। अपनी आजादी के ठीक बाद से राष्ट्र को आंतरिक संघर्ष का सामना करना पड़ रहा है।

दक्षिणी सूडान, 2005 से सूडान गणराज्य का एक स्वायत्त क्षेत्र था। अफ्रीका के सबसे बड़े देश सूडान के विभाजन के पश्चात यह देश 9 जुलाई 2011 में तब अस्तित्व आया, जब जनवरी 2011 में दक्षिण सूडान में जनमत संग्रह के पश्चात सूडान के विभाजन पर सहमति बनी।[7]

उल्लेखनीय है कि उत्तर की मुस्लिम बहुल आबादी और दक्षिण की ईसाई बहुल आबादी के बीच कई दशकों से चले आ रहे संघर्ष में 20 लाख लोगों की मौत हुई। उत्तरी सूडान के दारफूर इलाके में राष्ट्रपति बशीर पर जनसंहार का आरोप लगा। उनके खिलाफ अंतरराष्ट्रीय अपराध अदालत ने गिरफ्तारी का वारंट भी जारी किया। संयुक्त राष्ट्र संघ के दखल के बाद 2005 में हिंसा को खत्म करने के लिए एक शांति प्रस्ताव आया, जिसमें दो राष्ट्रों का जिक्र किया गया। शांति संधि में दक्षिण सूडान को नया देश बनाने की बात कही गई। सूडान सरकार के बीच हुए इस समझौते में जनमत संग्रह कराने पर रजामंदी हुई और जनवरी 2011 में दक्षिण सूडान में जनमत संग्रह हुआ। वहां के लोगों ने बहुमत से अलग देश बनाने के पक्ष में वोट दिया। अफ्रीकी महाद्वीप का सबसे बड़ा देश सूडान दो हिस्सों में बंटा। ईसाई बहुल आबादी वाला देश का दक्षिणी हिस्सा आधिकारिक रूप से दुनिया का 193वां राष्ट्र बना और इसप्रकार दशकों के खून खराबे के बाद दक्षिण सूडान के अस्तित्व का रास्ता साफ हुआ। सूडान की सरकार और विद्रोही सूडान पीपुल्स लिबरेशन आर्मी के बीच व्यापक शांति समझौते पर हस्ताक्षर किए जाने के बाद इस नए देश को आज़ादी मिली।[8]

दक्षिण सूडान का स्टेलाइट चित्र

दक्षिण सूडान 3° और 13° समानांतर उत्तर आक्षांश तथा 24° और 36 ° मध्याह्न पूर्व देशांतर पर स्थित है। यह उष्णकटिबंधीय वन, दलदलों और घास के मैदानी भागों से परिपूर्ण है। यहाँ की प्रमुख नदी श्वेत नील है, जो दक्षिण सूडान की राजधानी जुबा सहित देश के कई भागों से होकर गुजरता है।

यह अफ्रीका महाद्वीप के केंद्र में स्थित है और इसकी सीमा छह देशों से सटी है। यह प्राकृतिक तेल के लिहाज से संपन्न देश है। स्पेन और पुर्तगाल के संयुक्त क्षेत्रफल से भी बड़े इलाके में सड़कें कहीं-कहीं ही नजर आती हैं। यही वजह है कि यहां परिवहन और कारोबार का मुख्य जरिया नील नदी है। दक्षिण सूडान में आज भी लोगों की संपन्नता की निशानी उनके मवेशियों की संख्या होती है।[9]

राज्य एवं काउंटी

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सूडान के तीन ऐतिहासिक प्रांतों में बांटे गए दक्षिण सूडान के दस राज्य। ██ बहर अल ग़ज़ल ██ एक्वेटोरिया ██ ग्रेटर अपर नील

दक्षिण सूडान दस राज्यों में विभाजित है, जो तीन ऐतिहासिक क्षेत्रों के अंदर आते हैं: बहर अल ग़ज़ल, इक्वेटोरिया और ग्रेटर अपर नील।

  • उत्तरी बहर अल ग़ज़ल
  • पश्चिमी बहर अल ग़ज़ल
  • लेक्स
  • वर्राप
एक्वेटोरिया
  • पश्चिमी इक्वेटोरिया
  • मध्य इक्वेटोरिया (यहाँ राष्ट्रीय राजधानी जुबा है)
  • पूर्वी इक्वेटोरिया
ग्रेटर अपर नील
  • जोंगलेई
  • यूनिटी
  • उपरी नील

इन 10 राज्यों को आगे 86 कउंटियों में उपविभाजित किया गया है।

आर्थिक स्थिति

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तेल उत्पादन इस देश की मुख्य आर्थिक ताक़त है। 2011 में सूडान से अलग होने के लिए दक्षिण सूडान के लोगों ने बड़े पैमाने पर मतदान किया। सरकार की मुख्य चिंता तेल उत्पादन को लेकर थी, इसी साल अप्रैल में सूडान की राजधानी खार्तूम से हुए समझौते के बाद तेल उत्पादन शुरू हुआ।[9]

जब सूडान का विभाजन हुआ था तो सूडान के खार्तूम को 75 प्रतिशत तेल उत्पादन से हाथ धोना पड़ा था लेकिन दक्षिण सूडान के जूबा को भी तेल पाइपलाइनों से वंचित होना पड़ा था। क्षिण सूडान में उत्पादित कच्चे तेल में लगभग 45 प्रतिशत हिस्सा चीन का है। अफ्रीका का यह 54 वां राष्ट्र तेल संपदा के मामले में काफी धनी है और यही यहां जारी टकराव की एक बड़ी वजह भी है। वर्षों की हिंसा और 20 लाख से अधिक लोगों के मारे जाने के बाद सूडान से यह स्वतंत्र हुआ। भारत एशिया का पहला देश था जिसने दक्षिणी सूडान की राजधानी जूबा में अपना वाणिज्य दूतावास खोला।[10]

दक्षिण सूडान में बढ़ती हिंसा के बीच भारतीय सैनिकों के 32 सदस्यीय काफिले पर हमले के बाद 40 हजार बैरल प्रति दिन तेल उत्पादन वाले ग्रेटर नील ऑयल प्रोजेक्ट और ब्लॉक 5 ए से भारत ने अपने सभी अधिकारियों को वापस बुला लिया। इस हमले में भारतीय सेना के एक लेफ्टिनेंट कर्नल सहित पांच सैन्यकर्मी मारे गए। भारत सरकार की कंपनी ओएनजीसी का विदेश में काम देखने वाली कंपनी ओएनजीसी विदेश लिमिटेड [ओवीएल] ने अपने 11 अधिकारियों को सूडान की उस तेल परियोजना के लिए तैनात किया था। सत्ता से हटाए गए सूडान के उप राष्ट्रपति रीक मेचर की वफादार विद्रोही सेना ने यूनिटी राज्य पर कब्जा कर लिया है जहां सबसे अधिक तेल क्षेत्रों में काम होता था। ओवीएल का ग्रेटर नील आयल प्रोजेक्ट में ओवीएल की 25 फीसद हिस्सेदारी है जबकि ब्लॉक 5ए में 24.125 फीसद है जहां से पांच हजार बैरल प्रतिदिन तेल निकलता है। इस परियोजना में 40 फीसद हिस्सेदार चीन और 30 फीसद हिस्सेदार मलेशिया ने भी दक्षिण सूडान से अपने अधिकारियों को खाली कराने का फैसला लिया। इसप्रकार देश की मौजूदा संकटों के कारण तेल उत्पादन घटने से विश्व के तेल बाज़ार पर भी असर पड़ने की आशंका है।[11]

जनसंख्या

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दक्षिण सूडान का एक गांव।

वर्ष 2008 में पूरे सूडान के लिए "पाँचवीं जनसंख्या और आवास जनगणना" हुई, जिसके अनुसार दक्षिणी सूडान की जनसंख्या 82.60 लाख आँकी गई।[12] हालांकि उस समय दक्षिणी सूडान के अधिकारियों ने दक्षिणी सूडान की जनगणना के परिणाम को खारिज करने के बाद केन्द्रीय सांख्यिकी ब्यूरो खार्तूम ने जनगणना, सांख्यिकी और मूल्यांकन के लिए दक्षिणी सूडान केंद्र के साथ राष्ट्रीय सूडान की जनगणना के आंकड़ों को साझा करने से इनकार कर दिया था।[13]

वर्ष-2009 में पुन: आगामी 2011 के स्वतंत्रता जनमत संग्रह को ध्यान में रखते हुए दक्षिणी सूडान की जनगणना शुरू हुई। इस जनगणना में दक्षिण सूडान डायस्पोरा को शामिल किए जाने की भी बात कही गई, किन्तु इसकी भी भरपूर आलोचना हुई।[14]

दक्षिण सूडान एक उच्च आर्द्रता वाला देश है, जो गर्मी के साथ-साथ बड़ी मात्रा में बरसात के मौसम के लिए जाना जाता है। यहाँ की जलवायु उष्णकटिबंधीय है। यहाँ का औसत तापमान जुलाई के महीने में कम गर्मी अर्थात 20 से 30 डिग्री सेल्सियस और मार्च महीना 23 से लेकर 37 डिग्री सेल्सियस तक सबसे गर्म होता है। सबसे अधिक वर्षा मई और अक्टूबर के बीच देखा जाता है, लेकिन बरसात का मौसम अप्रैल में शुरू होकर नवंबर तक जारी रहता है। औसत रूप से मई का महीना नम होता है।[15][16]

धर्म और संस्कृति

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दक्षिण सूडान में पारंपरिक स्वदेशी धर्म के साथ-साथ ईसाई धर्म और इस्लाम को मानने वाले लोगों की संख्या सर्वाधिक है। धर्म के आधार पर 1956 में हुई जनगणना के अनुसार स्वदेशी धर्म के साथ-साथ ईसाई धर्म को मानने वाले लोगों के अलावा 18 प्रतिशत मुसलमान थे।[17][18]

चित्र:SPLA - Flickr - अल जज़ीरा English.jpg
दक्षिण सूडान में अँग्रेजी भाषा में लिखा एक विज्ञापन

सूडान के उत्तर में सर्वाधिक संख्या इस्लाम की होने के कारण यहाँ की संस्कृति इस्लाम से प्रभावित है, जबकि दक्षिण सूडान ईसाई धर्म और पारंपरिक अफ्रीकी धर्मों वो संस्कृतियों से प्रभावित है। कई वर्षों तक चले गृहयुद्ध के कारण भरी मात्रा में दक्षिण सूडान के संस्कृति अपने पड़ोसियों से भी प्रभावित है। यहाँ के लोगों ने अपने पड़ोसियों इथियोपिया, केन्या, युगांडा, सूडान और मिस्र की संस्कृतियों को ही नहीं आत्मसात किया है, बल्कि भारी मात्रा में यहाँ की संस्कृति में अरब की संस्कृति घुली-मिली है। यहाँ के कबायली मूल के अधिकांश लोग दक्षिण सूडान की मूल संस्कृति को अपनाए हुए हैं, हालांकि उनकी पारंपरिक संस्कृति और बोली निर्वासन और प्रवास की स्थिति में है। यहाँ सबसे ज्यादा लोग "जूबा अरबी" और अँग्रेजी भाषा का इस्तेमाल कराते हैं, जबकि अपने पूर्वी अफ्रीकी पड़ोसियों के साथ संबंध सुधार के कारण "कैस्वाहिली" का भी प्रयोग की जाने लगी है।[19]

दक्षिण सूडान की आधिकारिक भाषा अँग्रेजी है,[1] जो औपनिवेशिक काल के दौरान क्षेत्र में शुरू की गई थी। हालांकि दक्षिण सूडान में 60 से अधिक स्वदेशी भाषाएँ हैं। ज्यादातर लोगों के द्वारा इस देश में "डिंका", "नुएर", "बारी" और "जंडे" आदि स्वदेशी भाषाओं का प्रयोग किया जाता है। दक्षिण सूडान की राजधानी जूबा में "अरबी पिडगिन" भाषा को "जूबा अरविक" के रूप में कई हजार लोगों द्वारा प्रयोग किया जाता है।

राजनीतिक स्थिति

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जॉन गारंग की प्रोफ़ाइल
जॉन गारंग डे मोबिओर ने 2005 में अपनी मृत्यु तक सूडान पीपुल्स लिबरेशन आर्मी का नेतृत्व किया।
सेल्वा कीर मायार्डित, दक्षिण सूडान के पहले राष्ट्रपति.जिनकी पहचान टोपी थी जो संयुक्त राज्य अमेरिका के राष्ट्रपति जॉर्ज बुश से उन्हें उपहार में मिला था।

9 जनवरी 2005 को दक्षिणी सूडान सरकार व्यापक शांति समझौते पर हस्ताक्षर किए जाने के बाद स्थापित हुआ था। सूडान पीपुल्स लिबरेशन आर्मी के पूर्व विद्रोही नेता जॉन गारंग दक्षिणी सूडान की सरकार के राष्ट्रपति और सूडान के उप राष्ट्रपति के रूप में नियुक्त हुये। जुलाई 2005 को गारंग की युगांडा में एक हेलिकॉप्टर दुर्घटना में मृत्यु हो गई, उसके पश्चात उक्त दोनों पद पर सेलवा कीर मार्दिट आसीन हुये और दक्षिणी सूडान के उपराष्ट्रपति के रूप में रीक मार्चर को नियुक्त किया गया।

9 जुलाई 2011 को नए देश के रूप में अस्तित्व में आने के बाद से ही यह देश लगातार राजनीतिक अस्थिरता के दौर से गुजर रहा है। दशकों के गृहयुद्ध के बाद उत्तरी सूडान से पृथक होकर 2011 में दक्षिणी सूडान स्वतंत्र राष्ट्र बना। मगर अब आलोचक राष्ट्रपति कीर पर तानाशाह होने का आरोप लगाते हैं, जो भ्रष्टाचार, कुप्रबंधन एवं स्वतंत्रता की कमी वाली सरकार का संचालन करते हैं। दूसरी तरफ मेचार विरोधी उन्हें अवसरवादी बताते हैं, जिन्होंने सूडान के खिलाफ गृहयुद्ध के दौरान अपने और नुएर समुदाय के फायदे के लिए पाला बदल लिया था।

20 अगस्त 2011 को राष्ट्रपति सेल्वा कीर मायार्डित ने एक कैबिनेट का गठन करने के लिए दक्षिण सूडान के 29 सरकारी मंत्रालयों क्रमश: कैबिनेट मामलों के मंत्रालय, रक्षा और वयोवृद्ध मामलों के मंत्रालय, विदेश मामलों और अंतर्राष्ट्रीय सहयोग के मंत्रालय, मंत्री-राष्ट्रपति के कार्यालय, राष्ट्रीय सुरक्षा-राष्ट्रपति के कार्यालय के लिए मंत्री, न्याय मंत्रालय, आंतरिक मंत्रालय, मंत्रालय संसदीय कार्य वित्त मंत्रालय और आर्थिक योजना, श्रम-लोक सेवा और मानव संसाधन विकास मंत्रालय, वाणिज्य-उद्योग और निवेश के मंत्रालय, सूचना और प्रसारण मंत्रालय, स्वास्थ्य मंत्रालय, कृषि और वानिकी के मंत्रालय, सड़कों और पुलों के मंत्रालय, परिवहन मंत्रालय, सामान्य शिक्षा मंत्रालय और निर्देश, उच्च शिक्षा मंत्रालय, विज्ञान और प्रौद्योगिकी पर्यावरण मंत्रालय, आवास और शारीरिक योजना मंत्रालय, दूरसंचार और डाक सेवाओं के मंत्रालय, पेट्रोलियम और खनन मंत्रालय, बिजली और बांधों के मंत्रालय, लिंग मंत्रालय, बाल एवं समाज कल्याण, मंत्रालय मानवीय मामलों और आपदा प्रबंधन की जल संसाधन मंत्रालय और सिंचाई, वन्य जीव संरक्षण और पर्यटन मंत्रालय, पशु संसाधन और मत्स्य पालन मंत्रालय, संस्कृति, युवा और खेल मंत्रालय की स्थापना के एक फरमान जारी किया और नयी सरकार के गठन की प्रतावाना रखी।[20]

पूर्व उपराष्ट्रपति मेचार, जिन्हें कीर ने पूरे मंत्रिमंडल को भंग करने के साथ जुलाई 2013 में पद से हटा दिया था, नुएर समुदाय से हैं। जबकि राष्ट्रपति बहुसंख्यक डिंका समुदाय से ताल्लुक रखते हैं। राजधानी जुबा में दक्षिण सूडानी सुरक्षा बल नुएर समुदाय के लोगों को निशाना बना रहे हैं। उन्होंने कइयों को मार दिया गया है और बहुतों को हिरासत में ले लिया गया है। उनमें सैनिक, नीति-निर्माता, छात्र, मानवाधिकार कार्यकर्ता और शरणार्थी शामिल बताए जाते हैं। लेकिन राजधानी से बाहर जोंगलेई प्रांत में इसके उल्ट हो रहा है। नुएर समुदाय की सैन्य टुकड़ियां डिंका समुदाय के लोगों को निशाना बना रही हैं। ब्रिटेन से डॉक्टरेट की उपाधि लेने वाले मेचार सूडानी पीपुल लिब्रेशन आर्मी (जिस पार्टी का नेतृत्व अभी कीर कर रहे हैं, उसकी सैन्य टुकड़ी) के वरिष्ठ सदस्य थे। 1991 में वह उस आंदोलन से अलग हो गए और अपना अलग समूह बनाया, जिसने 1997 में सूडानी सरकार से शांति समझौता किया था। इस दौरान मेचार के समूह ने दक्षिण सूडानी विद्रोहियों के खिलाफ लड़ाई लड़ी, लेकिन बाद में वह फिर दक्षिणी विद्रोही बलों के साथ शामिल हो गए। जब दक्षिण सूडान 2011 में अलग हुआ, तो मेचार को उप राष्ट्रपति बनाया गया।[21]

एक ट्रेन वाऊ की ओर जाती हुई
जुबा हवाई अड्डा

दक्षिण सूडान में 248 कि॰मी॰ (814,000 फीट) लंबा एकल रेलवे ट्रैक सूडान की सीमा से वाऊ टर्मीनस तक है। इसे वाऊ से राजधानी जुबा तक बढ़ाने का प्रस्ताव है। इसके अलावा जुबा को केन्या और यूगांडा के रेल तंत्र से भी जोड़ने का प्रस्ताव है।

दक्षिण सूडान का सबसे विकसित और व्यस्ततम हवाई अड्डा जुबा हवाई अड्डा है, जहां से अस्मारा, एंटीबी, नैरोबी, काहिरा, आदिस अबाबा और खार्तूम की उड़ाने उपलब्ध है। जुबा हवाई अड्डा फीडर एयरलाइंस और साउदर्न स्टार एयरलाइंस का गृह आधार भी है।[22]

कुछ अन्य हवाई अड्डे मक्कल, वाऊ, रुम्बेक है, जहां से खार्तूम, आदिस अबाबा तथा कुछ अन्य शहरों के लिए उड़ाने उपलब्ध है।

दुनिया का यह सबसे नया देश अपनी आज़ादी के बाद से ही लगातार नस्लीय संकटों और राजनीतिक अस्थिरता के दौर से गुजरता रहा है, किन्तु जब यह अपनी आर्थिक नीतियों को एक ठोस शक्ल देने और देश चलाने के लिए जरूरी संकल्पों को गढ़ने की दिशा में जुटा हुआ था कि अचानक वर्तमान शासन के तख्ता-पलट की कोशिशों की खबर सामने आने के बाद यह देश हिंसा की चपेट में आ गया। सत्ता संघर्ष के इस गृहयुद्ध की स्थिति ने एक वैश्विक संकट का रूप लेती जा रही है। संयुक्त राष्ट्र महासचिव के दफ्तर से जारी बयान में कहा गया है कि महासचिव दक्षिण सूडान में एक खास समुदाय को निशाना बनाए जाने को लेकर बेहद ‘चिंतित’ हैं।[23]

2011 में सूडान से अलग होने के लिए दक्षिण सूडान के लोगों ने बड़े पैमाने पर मतदान किया। सरकार की मुख्य चिंता तेल उत्पादन को लेकर थी, इसी साल अप्रैल में सूडान की राजधानी खार्तूम से हुए समझौते के बाद तेल उत्पादन शुरू हुआ। हालांकि दक्षिण सूडान में छोटे सशस्त्र विद्रोही लड़ाकों का गुट मौजूद था, जिनके बीच संघर्ष होते रहते थे। लेकिन अब तक ये सब राजधानी जुबा से दूर दराज होता रहता था। फिर जुलाई-2013 में सत्तारूढ़ एसपीएलएम पार्टी में आंतरिक संघर्ष उभरा जब बहुसंख्यक डिंका समुदाय से प्रतिनिधि राष्ट्रपति सल्वा कीर ने अपने डिप्टी रायक माचर को बर्खास्त कर दिया था, जो दूसरे बड़े समुदाय नुएर के प्रतिनिधि हैं। यहां वर्ष-2013 में यह लड़ाई तब शुरू हुई थी जब राष्ट्रपति सल्वा कीर ने रिएक मचार पर तख़्ता पलट की साज़िश रचने का आरोप लगाया था। मचार तब उप-राष्ट्रपति थे और उन्हें बर्ख़ास्त कर दिया गया था। उन्होंने आरोपों से इनकार किया लेकिन बाद में ख़ुद विद्रोही गुट बना लिया था। उललखनीय है, कि दक्षिण सूडान दुनिया के सबसे ग़रीब देशों में से एक है। देश में दिसंबर 2013 में इस टकराव की शुरुआत हुई थी। उसके बाद से अब तक दस लाख से अधिक लोग अपने घर छोड़कर भाग गए हैं। देश में गृह-युद्ध की स्थिति है जहां बड़े पैमाने पर मानवाधिकारों का हनन हुआ है।[9]

मानवीय स्थिति

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दक्षिण सूडान में कुछ स्वास्थ्य संकेतकों की स्थिति दुनिया में सबसे खराब हैं।[24][25] पांच साल की आयु के नीचे शिशु मृत्यु दर प्रति 1,000 में 135.3 है, जबकी मातृ मृत्यु दर प्रति 100,000 जीवित जन्मों में 2,053.9 है, जो कि विश्व में सबसे अधिक है।[25] 2004 के आंकड़ों के अनुसार दक्षिणी सूडान में तीन उचित अस्पतालों के साथ केवल तीन सर्जन सेवारत थे और कुछ क्षेत्रों में हर 500,000 लोगों के लिए सिर्फ एक डॉक्टर उपलब्ध था।[24]

दक्षिण सूडान में एचआईवी/एड्स की महामारी पर जानकारी ठीक तरह से अभिलेखित नहीं है, लेकिन माना जाता है कि लगभग 3.1% लोग इससे संक्रमित हैं।[26]

2005 के व्यापक शांति समझौते के समय दक्षिणी सूडान में मानवीय जरूरतों की भारी आवश्यकता थी। मानवीय मामलों के समन्वय के लिए संयुक्त राष्ट्र कार्यालय (OCHA) के नेतृत्व में मानवीय संगठन स्थानीय आबादी के लिए राहत हेतु पर्याप्त धन सुनिश्चित करने में कामयाब रहे। पुनर्प्राप्ति एवं विकास में सहायता के साथ साथ संयुक्त राष्ट्र और सहभागी संघठनों की 2007 कार्य योजना में मानवीय परियोजनाओं को भी शामिल किया गया। संपूर्ण सूडान का प्रति व्यक्ति सकल घरेलू उत्पाद $1200 ($ 3.29/प्रतिदिन) होने के बावजूद, दक्षिण सूडान की जनसंख्या का 90% से अधिक हिस्सा प्रतिदिन $1 से कम में अपना गुज़ारा करता है।[27]

2007 में मानवीय स्थिति में धीरे-धीरे सुधार आने के कारण दक्षिणी सूडान में संयुक्त राष्ट्र कार्यालय की भागीदारी में कमी आई और पुनर्प्राप्ति और विकास कार्य का ज़िम्मा गैर सरकारी संगठनों एवं समुदाय आधारित संगठनों पर बढ़ता गया।[28]

खबरों के अनुसार 2011 के मध्य में आए अकाल के कारण उत्तरी बहर अल ग़ज़ल और वर्राप राज्यों में लोगों की मृत्यु हुई, हालांकि दोनों राज्यों की सरकारों ने भुखमरी को जानलेवा मानाने से इनकार कर दिया।[29]

दिसंबर 2011 और जनवरी 2012 में जोंगलेई राज्य में स्थित पीबोर काउंटी में पशु चोरी की घटनाओं के कारण शुरू हुए सीमा संघर्ष ने आगे जाकर व्यापक जातीय हिंसा का रूप ले लिया। इस हिंसा में हज़ारों की संख्या में लोग मारे गए एवं 20[30] से 50 हजार[31] दक्षिण सूडानी विस्थापित हुए। सरकार ने क्षेत्र को आपदा ग्रस्त क्षेत्र घोषित कर दिया और स्थानीय अधिकारियों से नियंत्रण वापस ले लिया।[32]

दक्षिणी सूडान को पानी की आपूर्ति के लिए कई चुनौतियों का सामना करना पड़ रहा है। अनुमान लगाया जाता है कि दक्षिण सूडान की जनसंख्या के 50% से 60% हिस्से को चांपाकल, संरक्षित कुँवे, एवं – एक छोटे वर्ग को – पाइपलाइन सप्लाई के रूप में बेहतर पानी का स्रोत उपलब्ध है। देश में श्वेत नील के बहने के बावजूद सूखे मौसम में ऐसे क्षेत्रों में पानी दुर्लभ है, जो कि नदी पर स्थित न हों।

लगभग आधी आबादी को 1 किमी के भीतर किसी संरक्षित कुँवे, पाइपलाइन या चांपाकल के रूप में बेहतर पानी के स्रोत उपलब्ध नहीं है। कुछ मौजूदा पाइपलाइन आधारित पानी आपूर्ति प्रणालियों का अक्सर अच्छी तरह से रखरखाव नहीं किया जाता है और उनके द्वारा सप्लाई किया गया पानी पीने के लिए अक्सर सुरक्षित नहीं होता। घर लौट रही विस्थापित आबादी बुनियादी सुविधाओं पर भारी दबाव डाल रही है और इस विभाग के प्रभारी सरकारी संस्थान भी कमजोर हैं। कई सरकारी एवं गैर सरकारी संगठनों की ओर पानी की आपूर्ति में सुधार के लिए पर्याप्त बाहरी दान राशि उपलब्ध है।

वाटर इस बेसिक, ओबक्की फाउंडेशन[33] एवं उत्तरी अमेरिका से ब्रिजटन-लेक रीजन रोटरी क्लब[34] जैसे कई गैर सरकारी संगठन दक्षिणी सूडान में पानी की आपूर्ति सुधारने में सहारा देते हैं।

शरणार्थी

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फ़रवरी 2014 के रूप में, दक्षिण सूडान 230,000 से अधिक शरणार्थियों का घर है, जिसमें से ज़्यादातर लोग – 209,000 से अधिक, यहाँ हाल ही में सूडान से पहुंचे हैं। अन्य शरणार्थी मध्य अफ्रीकी गणराज्य, इथियोपिया और कांगो लोकतांत्रिक गणराज्य जैसे आसपास के अफ्रीकी देशों से आए हैं।[35] दिसम्बर 2013 से, दक्षिण सूडान में करीब 740,000 आंतरिक रूप से विस्थापित लोग (आईडीपी) हैं जिनमें से लगभग 75,000 संयुक्त राष्ट्र के अड्डों में रहते हैं।

आंतरिक रूप से विस्थापित लोगों की जनसंख्या में वृद्धि के बावजूद, शरणार्थियों के लिए संयुक्त राष्ट्र उच्चायुक्त (यूएनएचसीआर) ने संरक्षण की मांग कर रहे ऐसे लोगों की संख्या में गिरावट दर्ज की है। नतीजतन, यूएनएचसीआर मानवीय समन्वयक के नेतृत्व में अंतर-एजेंसी सहयोग के माध्यम से आगे बढ़ रही है और प्रवासन के लिए अंतर्राष्ट्रीय संगठन (आईओएम) के साथ काम कर रही है। फरवरी 2013 के शुरुआत में, यूएनएचसीआर ने मालाकल में स्थित संयुक्त राष्ट्र अड्डे के बाहर राहत सामग्री वितरण करना शुरू किया। यह 10,000 लोगों तक पहुंचने की उम्मीद है।[35]

इन्हें भी देखे

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दक्षिण सूडान गृहयुद्ध

सन्दर्भ

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  1. "The Transitional Constitution of the Republic of South Sudan, 2011". Government of South Sudan. मूल से 21 जुलाई 2011 को पुरालेखित. अभिगमन तिथि 12 जुलाई 2011. Part One, 6(2). "English shall be the official working language in the Republic of South Sudan". सन्दर्भ त्रुटि: <ref> अमान्य टैग है; "engwork" नाम कई बार विभिन्न सामग्रियों में परिभाषित हो चुका है
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