सामग्री पर जाएँ

थाईलैण्ड

मुक्त ज्ञानकोश विकिपीडिया से
(थाइलैण्ड से अनुप्रेषित)
थाईलैंड राज्य

ราชอาณาจักรไทย
थाईलैंड का कुल चिह्न
कुल चिह्न
राष्ट्रगान: เพลงชาติไทย
(थाई राष्ट्रगान)

शाही राष्ट्रगान: สรรเสริญพระบารมี
(राजा की स्तुति)
राजधानी
एवं सबसे बड़ा शहर
बैंकाक
13°48′N 100°33′E / 13.800°N 100.550°E / 13.800; 100.550
आधिकारिक भाषा(एँ)थाई
नृजातीय समूह
धर्म
(2018)[1]
निवासीनामथाई
सरकारएकात्मक संसदीय संवैधानिक राजतंत्र
• राजा
राम दशम
• प्रधानमंत्री
पैटोंगटार्न शिनावात्रा
विधानमंडलराष्ट्र सभा
सीनेट
लोक सभा
गठन
• सुखोथाई राज्य
1238–1438
1351–1767
1767–1782
6 अप्रैल 1782
24 जून 1932
6 अप्रैल 2017
क्षेत्रफल
• कुल
513,120 कि॰मी2 (198,120 वर्ग मील) 50वाँ)
• जल क्षेत्र (%)
0.4
जनसंख्या
• 2024 आकलन
Neutral increase 6,59,75,198[2] (22वाँ)
• 2010 जनगणना
6,47,85,909[3] (21वाँ)
• जनघनत्व
132.1/किमी2 (342.1/मील2) (88वाँ)
GDP (PPP)2024 प्राक्कलन
• कुल
वृद्धि $1.644 खरब[4] (23वाँ)
• प्रति व्यक्ति
वृद्धि $23,401[4] (74वाँ)
GDP (सांकेतिक)2024 प्राक्कलन
• कुल
वृद्धि $548.890 अरब[4] (26वाँ)
• प्रति व्यक्ति
वृद्धि $7,812[4] (88वाँ)
गिनी (2021)negative increase 35.1[5]
मध्यम
HDI (2023)कमी 0.798[6]
उच्च · 76वाँ
मुद्राथाई बाट (฿) (THB)
समय मंडलUTC+7
दूरभाष कोड+66
ISO 3166 कोडTH
इंटरनेट TLD

थाईलैंड (थाई: ประเทศไทย), जिसका प्राचीन नाम श्यामदेश या स्याम है, दक्षिण पूर्वी एशिया में एक देश है। इसकी पूर्वी सीमा पर लाओस और कम्बोडिया, दक्षिणी सीमा पर मलेशिया और पश्चिमी सीमा पर म्यानमार है। 'स्याम' ही ११ मई, १९४९ तक थाईलैण्ड का अधिकृत नाम था। थाई शब्द का अर्थ थाई भाषा में 'स्वतन्त्र' होता है। यह शब्द थाई नागरिकों के सन्दर्भ में भी इस्तेमाल किया जाता है। इस कारण कुछ लोग विशेष रूप से यहाँ बसने वाले चीनी लोग, थाईलैंड को आज भी स्याम नाम से पुकारना पसन्द करते हैं। थाईलैण्ड की राजधानी बैंकाक है।

हिंदू धर्म का थाईलैंड के राज परिवार पर सदियों से गहरा प्रभाव रहा है। माना यह जाता है कि थाईलैंड के राजा भगवान विष्णु के अवतार हैं। इसी भावना का सम्मान करते हुए थाईलैंड का राष्ट्रीय प्रतीक गरुड़ है।

थाईलैंड में राजा को राम कहा जाता है। राज परिवार अयोध्या नामक शहर में रहता है। ये स्थान बैंकॉक से कोई 50-60 किलोमीटर दूर होगा। यहां पर बौद्ध मंदिरों की भी भरमार है जिनमें भगवान बुद्ध की विभिन्न मुद्राओं में मूर्तियां स्थापित हैं। क्या ये कम हैरानी की बात है कि बौद्ध होने के बावजूद थाईलैंड के लोग अपने राजा को राम का वंशज होने के चलते विष्णु का अवतार मानते हैं। इसलिए थाईलैंड में एक तरह से राम राज्य है। वहां के राजा को भगवान राम का वंशज माना जाता है। थाईलैंड में 94 प्रतिशत आबादी बौद्ध धर्मावलंबी है। फिर भी इधर का राष्ट्रीय चिन्ह गरुड़ है। हिंदू पौराणिक कथाओं में गरुड़ को विष्णु की सवारी माना गया है। गरुड़ के लिए कहा जाता है कि वह आधा पक्षी और आधा पुरुष है। उसका शरीर इंसान की तरह का है, पर चेहरा पक्षी से मिलता है। उसके पंख हैं। अब प्रश्न उठता है कि जिस देश का सरकारी धर्म बौद्ध हो वहां पर हिंदू धर्म का प्रतीक क्यों है? इसका उत्तर ये है कि चूंकि थाईलैंड मूल रूप से हिंदू धर्म था, इसलिए उसे इस में कोई विरोधाभास नजर नहीं आता कि वहां पर हिंदू धर्म का प्रतीक राष्ट्रीय चिन्ह हो। एक सामान्य थाई गर्व से कहता है कि उसके पूर्वज हिंदू थे और उसके लिए हिंदू धर्म भी आदरणीय है। आपको थाईलैंड एक के बाद एक आश्चर्य देता है। वहां का राष्ट्रीय ग्रंथ रामायण है। वैसे थाईलैंड में थेरावाद बौद्ध के मानने वाले बहुमत में हैं, फिर भी वहां का राष्ट्रीय ग्रंथ रामायण है। जिसे थाई भाषा में ‘राम-कियेन’ कहते हैं, जिसका अर्थ राम-कीर्ति होता है, जो वाल्मीकि रामायण पर आधारित है। थाईलैंड की राजधानी बैंकॉक के सबसे बड़े और भव्य हॉल का नाम ‘रामायण हॉल’ है। यहां पर राम कियेन पर आधारित नृत्य नाटक और कठपुतलियों का प्रदर्शन प्रतिदिन होता है। राम कियेन के मुख्य पात्रों में राम (राम), लक (लक्ष्मण), पाली (बाली), सुक्रीप (सुग्रीव), ओन्कोट (अंगद), खोम्पून ( जाम्बवन्त), बिपेक ( विभीषण), रावण, जटायु आदि हैं।

नवरात्र पर बैंकॉक के सिलोम रोड पर स्थित श्री नारायण मंदिर थाईलैंड के हिंदुओं का केंद्र बन जाता है। यहां के सभी हिंदू इधर कम से एक बार जरूर आते हैं, पूजा या फिर सांस्कृतिक गतिविधियों में भाग लेने के लिए। इस दौरान भजन, कीर्तन और अन्य धार्मिक अनुष्ठान जारी रहते हैं। दिन-रात प्रसाद और भोजन की व्यवस्था रहती है। इस दौरान दुर्गा, लक्ष्मी और सरस्वती जी की एक दिन सवारी भी मुख्य मार्गो से निकलती है। इसमें भगवान गणपति, कृष्ण, सुब्रमण्यम और दूसरे देवी-देवताओं की मूर्तियों को भी सजाकर किसी वाहन में रखा गया होता है। इस आयोजन में हजारों बौद्ध भी भाग लेते हैं। ये सवारी अपना तीन किलोमीटर का रास्ता सात घंटे में पूरा करती है। इसमें संगीत और नृत्य टोलियां भी रहती हैं।

दक्षिण पूर्व एशिया के इस देश में हिंदू देवी-देवताओं और प्रतीकों को आप चप्पे-चप्पे पर देखते हैं। यूं थाईलैंड बौद्ध देश हैं। पर राम भी अराध्य हैं। राजधानी बैंकॉक से सटा है अयोध्या शहर। मान्यता है कि यही थी भगवान श्रीराम की राजधानी। थाईलैंड के बौद्ध मंदिरों में आपको ब्रह्मा,विष्णु और महेश की मूर्तियां और चित्र मिल जाएंगे। इन सभी देवी-देवताओं के अलग से मंदिर भी हैं। इनमें रोज बड़ी संख्या में हिंदू और बौद्ध पूजा अर्चना के लिए आते हैं। यानी थाईलैंड बौद्ध और हिंदू धर्म का सुंदर मिश्रण पेश करता है। कहीं कोई कटुता या वैमनस्थ का भाव नहीं है।

बैंकॉक स्थित शिव मंदिर, दुर्गा मंदिर विष्णु मंदिर वगैरह का निर्माण हिन्दुओं के साथ-साथ यहां के बौद्धों ने भी करवाया है। ये वास्तव में कमाल है। जहां तक हिंदू मंदिरों की बात है तो इन्हें यहां पर दशकों से बस गए भारत वंशियों ने बनवाया है। कुछ मंदिर निजी प्रयासों से भी बने हैं। थाईलैंड में तमिल और उत्तर भारत के भारतवंशी हैं। इसलिए मंदिर पर दक्षिण और उत्तर भारत के मंदिरों की तरह से बने हुए हैं। बैंकॉक के प्रमुख रथचेप्रयोंग चौराहे पर ब्रह्मा जी के मंदिर में लक्ष्मी-गणेश की मूर्तियां देखने लायक हैं। इनमें हिंदुओं साथ-साथ बौद्ध भी आ रहे हैं। कहीं कोई भेदभाव नहीं है। गौरतलब यह है कि कई बौद्ध मंदिरों में हिंदू देवी-देवताओं के चित्र और मूर्तियां हैं। ये सब देखकर लगता है कि हिंदू और बौद्ध सहअस्तित्व में विश्वास करते है। ये सहनशील है। पृथक धर्म होने पर भी एक-दूसरे के प्रति सम्मान का भाव स्पष्ट है।

बौद्ध अनुयायी थाईलैंड लाखों की संख्या में पहुंचते हैं। थाईलैंड में प्रति वर्ष 80 लाख पर्यटक पहुंच रहे हैं। इनमें से अधिकतर भगवान बुद्ध से जुड़े मंदिरों के दर्शन करने के लिए वहां पर जाते हैं।

आज के थाई भू भाग में मानव पिछले कोई १०,००० वर्षों से रह रहें हैं। ख्मेर साम्राज्य के पतन के पहले यहाँ कई राज्य थे - ताई, मलय, ख्मेर इत्यादि। सन् १२३८ में सुखोठइ राज्य की स्थापना हुई जिसे पहला बौद्ध थाई (स्याम) राज्य माना जाता है। लगभग एक सदी बाद अयुध्या के राज्य ने सुखाठइ के ऊपर अपनी प्रभुता स्थापित कर ली। सन् १७६७ में अयुध्या के पतन (बर्मा द्वारा) के बाद थोम्बुरी राजधानी बनी। सन् १७८२ में बैंकॉक में चक्री राजवंश की स्थापना हुई जिसे आधुनिक थाईलैँड का आरंभ माना जाता है।

यूरोपीय शक्तियों के साथ हुई लड़ाई में स्याम को कुछ प्रदेश लौटाने पड़े जो आज बर्मा और मलेशिया के अंश हैं। द्वितीय विश्वयुद्ध में यह जापान का सहयोगी रहा और विश्वयुद्ध के बाद अमेरिका का। १९९२ में हुई सत्ता पलट में थाईलैंड एक नया संवैधानिक राजतंत्र घोषित कर दिया गया।

संस्कृति

[संपादित करें]
थाईलैण्ड में नृत्य

धर्म और राजतंत्र थाई संस्कृति के दो स्तंभ हैं और यहां की दैनिक जिंदगी का हिस्सा भी। बौद्ध धर्म यहां का मुख्य धर्म है। इस्लाम धर्म एवं इसाई धर्म के अनुयायी भी थाईलैंड मे अच्छी खासी संख्या मे पाए जाते हैं। गेरुए वस्त्र पहने बौद्ध भिक्षु और सोने, संगमरमर व पत्थर से बने बुद्ध यहां आमतौर पर देखे जा सकते हैं। यहां मंदिर में जाने से पहले अपने कपड़ों का विशेष ध्यान रखें। इन जगहों पर छोटे कपड़े पहन कर आना मना है।

थाईलैंड का शास्त्रीय संगीत चीनी, जापानी, भारतीय और इंडोनेशिया के संगीत के बहुत समीप जान पड़ता है। यहां बहुत की नृत्य शैलियां हैं जो नाटक से जुड़ी हुई हैं। इनमें रामायण का महत्वपूर्ण स्थान है। इन कार्यक्रमों में भारी परिधानों और मुखौटों का प्रयोग किया जाता है।

थाईलैण्ड की धार्मिकता
धर्म प्रतिशत
बौद्ध
  
95%
मुस्लिम
  
4%
ईसाई
  
0.8%
अन्य
  
0.2%

प्राचीन समय यह हिंदू सभ्यता से परिपूर्ण देश था। आज भी यहां हिंदू संस्कृति की झलक देखने को मिल ही जाती है। रामायण यहां बहुत लोकप्रिय है। कालांतर में भारतीय बौद्ध राजाओं ने यहां बौद्ध धर्म का प्रचार किया और यह देश बौद्ध देश के रूप में प्रख्यात हुआ।

मुख्य आकर्षण

[संपादित करें]

बैंकॉक थाइलैंड की राजधानी है। यहां ऐसी अनेक चीजें जो पर्यटकों को आकर्षित करती हैं। इनमें से सबसे प्रसिद्ध हैं मरीन पार्क और सफारी। मरीन पार्क में प्रशिक्षित डॉल्फिन अपने करतब दिखाती हैं। यह कार्यक्रम बच्चों के साथ-साथ बड़ों को भी खूब लुभाता है। सफारी वर्ल्‍ड विश्‍व का सबसे बड़ा खुला चिड़ियाघर (प्राणीउद्यान) है। यहां एशिया और अफ्रीका के लगभग सभी वन्य जीवों को देखा जा सकता है। यहां की यात्रा थकावट भरी लेकिन रोमांचक होती है। रास्ते में खानपान का इंतजाम भी है।

बैंकॉक के बाद पट्टया थाइलैंड का सबसे प्रमुख पर्यटक स्थल है। यहां भी घूमने-फिरने लायक अनेक खूबसूरत जगह हैं। इसमें सबसे पहले नंबर आता है रिप्लेज बिलीव इट और नॉट संग्रहालय का। यहां का इन्फिनिटी मेज और 4 डी मोशन थिएटर की सैर बहुत ही रोमांचक है। यहां की भूतिया सुरंग लोगों को भूतों का अहसास कराती है फिर भी सैलानी बड़ी संख्या में यहां आते हैं।

यहां के कोरल आइलैंड पर पैरासेलिंग और वॉटर स्पोट्स का आनंद उठाया जा सकता है। यहां पर काँच के तले वाली नाव भी उपलब्ध होती हैं जिससे जलीय जीवों और कोरल को देखा जा सकता है। कोरल आइलैंड में एक रत्न दीर्घा भी है जहां बहुमूल्य से रत्नों के बार में जानकारी ली जा सकती है। लेकिन इस आइलैंड में आने से पहले यह जान लें कि यहां का एक ड्रेस कोड है जिसका पालन करना आवश्यक है।

कोई पर्यटक पट्टया आए और अलकाजर कैबरट न जाए ऐसा नहीं हो सकता। यहां पर नृत्य, संगीत व अन्य कार्यक्रमों का आनंद उठाया जा सकता है। यहां होने वाले कार्यक्रमों की खास बात यह है कि इसमें काम करने वाली खूबसूरत अभिनेत्रियां वास्तव में पुरुष होते हैं।

यह थाइलैंड का सबसे बड़ा, सबसे अधिक आबादी वाला द्वीप है। सबसे ज्यादा पर्यटक यहां आते हैं। रंगों से भरी इस जगह का विकास मुख्य रूप से पर्यटन की वजह से ही हुआ है। इस द्वीप में कुछ रोचक बाजार, मंदिर और चीनी-पुर्तगाली सभ्यता का अनोखा संगम देखा जा सकता है। यहाँ सब्से ज्यादा आबादि थाई और नेपाली की है।

अयूथया ऐतिहासिक उद्यान

[संपादित करें]

नदी के साथ बसा अयूथया उद्यान यूनेस्को की विश्‍व धरोहर सूची का हिस्सा है। यहां सभी ओर मंदिर बने हुए हैं। किसी समय यहां पर नगर बसा हुआ था। बहुत से अवशेष अभी भी यहां देखे जा सकते हैं, जैसे- वट फ्ररा सी सैनपुटे, वट मोगखों बोफिट, वट ना फ्रा मेरु, वट थम्मीकरट, वट रतबुरना और वट फ्रा महाथट। इन जगहों पर गाड़ी नहीं जा सकती इसलिए यहां पैदल की आएं।

चियांग माई

[संपादित करें]

बैंकॉक से करीब ७०० किलोमीटर दूर चियांग माई थाईलैंड का दूसरा सबसे बड़ा शहर है। पुरानी दुनिया का अहसास कराते इस शहर में करीब ३०० से ज्यादा मंदिर हैं। यहां से आप पर्वतों को भी देख सकते हैं। यह शहर आधुनिक भी हैं जहां आपको पूरी दुनिया के रंग मिल जाएंगे। चियांग माई खानपान व खरीदारी के शौकीनों और आशियाने की तलाश कर रहे लोगों के लिए बिल्कुल सही जगह है। बहुत सारे मंदिरों के अलावा यहां पर आरामदायक उद्यान, रात को लगने वाले बाजार, खूबसूरत संग्रहालय भी हैं जहां पर आराम से समय गुजारा जा सकता है।

नखोन पथोम

[संपादित करें]

बैंकॉक के पश्चिम में स्थित नखोन पथोम को थाईलैंड का सबसे पुराना शहर माना जाता है। यहां के फ्रा पथोम चेडी को विश्‍व का सबसे ऊंचा बौद्ध स्मारक माना जाता है। तेरावड बौद्धों द्वारा 6ठीं शताब्दी में बनाया गया मूल स्मारक अब एक विशाल गुंबद के नीचे स्थित है।

खरीदारी

[संपादित करें]

बैंकॉक में खरीदारी के लिए कई जगहें हैं। इंद्रा मार्केट हाथ से बने सामान के लिए मशहूर है। एमबीके प्लाजा ब्रैंडिड सामान की खरीदारी के लिए उपयुक्त स्थान है। द सुप्रीम टोक्यो से कपड़ों और थाई नाइफ की खरीदारी की जा सकती है। इसके अलावा थाईलैंड से रेशम, कीमती रत्न और पेंटिंग्स भी खरीदी जा सकती हैं।

इन्हें भी देखें

[संपादित करें]

सन्दर्भ

[संपादित करें]
  1. सन्दर्भ त्रुटि: <ref> का गलत प्रयोग; :0 नाम के संदर्भ में जानकारी नहीं है।
  2. "Population statistics of the civil registration (monthly)".
  3. National Statistics Office, "100th anniversary of population censuses in Thailand: Population and housing census 2010: 11th census of Thailand". (थाई में) Archived 12 जुलाई 2012 at the वेबैक मशीन. popcensus.nso.go.th.
  4. "World Economic Outlook Database, April 2024 Edition. (Thailand)". imf.org. International Monetary Fund. 16 April 2024. Archived from the original on 16 April 2024. Retrieved 16 April 2024.
  5. "Gini Index". World Bank. Archived from the original on 27 July 2018. Retrieved 12 August 2021.
  6. "Human Development Report 2025" (PDF) (in अंग्रेज़ी). United Nations Development Programme. 6 May 2025. Archived (PDF) from the original on 6 May 2025. Retrieved 6 May 2025.

बाहरी कड़ियाँ

[संपादित करें]
Thailand के बारे में, विकिपीडिया के बन्धुप्रकल्पों पर और जाने:
शब्दकोषीय परिभाषाएं
पाठ्य पुस्तकें
उद्धरण
मुक्त स्रोत
चित्र एवं मीडिया
समाचार कथाएं
ज्ञान साधन
आधिकारिक