थल
थल | |||||||
— नगर — | |||||||
समय मंडल: आईएसटी (यूटीसी+५:३०) | |||||||
देश | भारत | ||||||
राज्य | उत्तराखण्ड | ||||||
ज़िला | [[ज़िला|]] | ||||||
जनसंख्या | ५००० (अनुमानित)[1] | ||||||
विभिन्न कोड
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निर्देशांक: 29°49′35″N 80°08′27″E / 29.8265°N 80.1408°E
थल उत्तराखंड राज्य के पिथौरागढ़ जनपद में रामगंगा नदी के तट पर स्थित एक छोटा सा नगर है।
यहाँ ९वीं शताब्दी का एक शिव मंदिर है। १९५७ से १९६२ तक यह अल्मोड़ा जनपद का एक विकासखंड था।
३० सितम्बर २०१४ से यह पिथौरागढ़ जनपद की एक तहसील है। बेरीनाग तथा डीडीहाट तहसील के ११४ ग्रामों से इसका गठन किया गया।
इतिहास
[संपादित करें]थल पिथौरागढ़ जिले के सबसे पुराने कस्बों में है। थल में ९वीं सदी का शिव मंदिर है, जिसे कत्यूरी राजवंश के संरक्षण में बनाया गया था।[2] इस मंदिर में भगवन शिव के बालेश्वर रूप की पूजा होती है। बिखौत संक्रांत के समय यहाँ ८ दिन का मेला लगता था, जिसमें १९११ के आसपास लगभग १५००० लोग एकत्रित होते थे।[3]
थल में १९५५ में अल्मोड़ा से सड़क पहुंची और १९५७ में तत्कालीन यूपी सरकार ने थल में विकासखंड कार्यालय खोल दिया।[4] इस विकासखंड के अधीन 600 गांव आते थे। 1962 तक थल में विकासखंड का कामकाज चलता रहा, लेकिन अचानक सरकार ने विकासखंड कार्यालय बंद कर दिया और थल विकासखंड में आने वाले गांवों को डीडीहाट, बेड़ीनाग विकासखंड में बांट दिया।[4]
१९६२ में थल में रामगंगा नदी के ऊपर ६८ मीटर लम्बा पुल बनाया गया था।[5] ११ अक्टूबर २००० को यहाँ एक प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र खोला गया था।[6]
प्रशाशन
[संपादित करें]थल में तहसील के गठन की अधिसूचना ३० सितंबर २०१४ को जारी हुई थी, लेकिन सरकार ने इस तहसील में कामकाज एक साल बाद १३ सितंबर २०१५ से शुरू किया। बेड़ीनाग और डीडीहाट तहसील के कई पटवारी क्षेत्रों के ११४ गांव थल तहसील में शामिल किए गए थे।[7]
अर्थव्यवस्था
[संपादित करें]थल मेले में भोटिया व्यापारी तिब्बत लौटने से पहले आखिरी बार बर्तन तथा ऊन बेचते थे।[8] इसके अतिरिक्त काशीपुर तथा अल्मोड़ा के कपड़ों और सौर तथा सिरा से आये तेल तथा मिर्च उत्पादों का भी क्रय-विक्रय होता था।
पर्वतीय क्षेत्रों में मिनी मंडियां बनाकर स्थानीय उत्पादकों को लाभावित करने के लिए थल में मंडी परिषद की योजना के तहत एक मंडी स्वीकृत की गई। इसके पीछे थल, डीडीहाट, मुनस्यारी, बेरीनाग से उत्पादित होने वाली साग, सब्जी, फल और अनाज इस मंडी में पहुंचने थे ताकि स्थानीय उत्पादकों को बिचौलियों से मुक्ति मिले और उत्पादक प्रेरित हो सकें।[9]
आवागमन
[संपादित करें]थल में १९५५ में अल्मोड़ा से सड़क पहुंची। यह सड़क अल्मोड़ा से शुरू होकर बागेश्वर, उडियारी तथा थल होते हुए मुन्स्यारी तक जाती है।[10]
शिक्षा
[संपादित करें]स्व. हरीदत्त पंत राजकीय इंटर कॉलेज थल में स्थित है। २०१७ में यहाँ ३५० छात्र अध्ययन कर रहे थे।[11]
सन्दर्भ
[संपादित करें]- ↑ जंगपांगी, महेंद्र (२२ फरवरी २०१७). "दो विधायक चुनते हैं थल कस्बे के लोग". थल: अमर उजाला. मूल से 14 जून 2018 को पुरालेखित. अभिगमन तिथि १४ जून २०१८.
- ↑ Menon, Srikumar M.; G., Sudhakara. "Ek Hathiya Dewal: A Rock-Cut Nagara Temple at Thal, Uttarakhand" (PDF). Heritage: Journal of Multidisciplinary Studies in Archaeology 8.2 (2020): 34-55. अभिगमन तिथि 17 April 2024.
- ↑ वाल्टन, एच जी (१९११). Almora : A Gazetteer (अंग्रेज़ी में). इलाहाबाद: सरकारी प्रेस (संयुक्त प्रान्त). पृ॰ २९६.
- ↑ अ आ "थल ब्लॉक का अस्तित्व 55 वर्ष पहले समाप्त हो गया". थल: अमर उजाला. १८ अक्टूबर २०१७. मूल से 25 अक्तूबर 2017 को पुरालेखित. अभिगमन तिथि २४ अक्टूबर २०१७.
- ↑ "थल के मोटर पुल की हालत खराब". थल: अमर उजाला. २० सितम्बर २०१७. मूल से 25 अक्तूबर 2017 को पुरालेखित. अभिगमन तिथि २४ अक्टूबर २०१७.
- ↑ "अस्पताल में 17 वर्ष बाद भी सुविधाओं का अभाव". थल: अमर उजाला. ११ अक्टूबर २०१७. मूल से 25 अक्तूबर 2017 को पुरालेखित. अभिगमन तिथि २४ अक्टूबर २०१७.
- ↑ "इस तहसील से अब तक लोगों को कोई फायदा नहीं". थल: अमर उजाला. १५ अक्टूबर २०१७. मूल से 25 अक्तूबर 2017 को पुरालेखित. अभिगमन तिथि २४ अक्टूबर २०१७.
- ↑ शाह, गिरिराज (१९७५). Kingdom of Gods: Uttarakhand (अंग्रेज़ी में). अभिनव प्रकाशन.
- ↑ "दो करोड़ की मंडी बनी आवारा जानवरों की आरामगाह". थल: दैनिक जागरण. २०१७. मूल से 24 अक्तूबर 2017 को पुरालेखित. अभिगमन तिथि 24 अक्तूबर 2017.
- ↑ कपाड़िया, हरीश (1999). Across peaks & passes in Kumaun Himalaya (अंग्रेज़ी में). दिल्ली: इंडस प्रकाशन.
- ↑ "100 विद्यार्थियों ने जीआईसी थल से नाम कटाया". थल: अमर उजाला. २३ जुलाई २०१७. मूल से 25 अक्तूबर 2017 को पुरालेखित. अभिगमन तिथि २४ अक्टूबर २०१७.