त्रि-बन्ध

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रशायनशास्त्र में त्रि-बन्ध (Triple bond) दो परमाणुओं के मध्य के उस आबन्ध को कहते हैं जिसमें २ इलेक्ट्रॉन वाले सह-संयोजी आबन्ध की तुलना में ६ इलेक्ट्रॉन भाग लेते हैं। सबसे सामान्य त्रि-बन्ध, एल्काइनों में दो कार्बन-परमाणुओं के मध्य पाये जाते हैं। इसके अतिरिक्त अन्य त्रि-बन्ध वाले यौगिकों में सायनाइड और आइसो-सायनाइड हैं। कुछ द्विपरमाण्विक अणु जैसे द्वि-नाइट्रोजन और कार्बन मोनोआक्साइड में भी त्रि-बन्ध पाये जाते हैं। रासायनिक सूत्र में त्रि-बन्ध को दर्शाने के लिए दोनों अणुओं के मध्य तीन समान्तर रेखाओं (≡) बनायी जाती हैं।[1][2][3]

त्रि-बन्ध, तुल्य एकल-बन्ध और द्वि-बन्ध से छोटे और अधिक मजबूत होते हैं जिनकी बन्ध कोटि तीन होती है।

एसिटिलीन, H−C≡C−H साइनोजीन, N≡C−C≡N कार्बन मोनोआक्साइड, C≡O
त्रि-बन्ध के साथ रासायनिक यौगिक

सन्दर्भ[संपादित करें]

  1. मार्च, जैर्री (१९८५), Advanced Organic Chemistry: Reactions, Mechanisms, and Structure (3rd ed.), न्यूयॉर्क: विली, ISBN 0-471-85472-7
  2. Organic Chemistry [कार्बनिक रसायन] (अंग्रेज़ी में) द्वितीय संस्करण, जॉन मैकमर्री
  3. Pyykkö, Pekka; Riedel, Sebastian; Patzschke, Michael (2005). "Triple-Bond Covalent Radii". Chemistry: A European Journal. 11 (12): 3511–20. PMID 15832398. डीओआइ:10.1002/chem.200401299.