त्रिमोहिनी संगम
त्रिमोहिनी संगम बिहार राज्य के कटिहार जिला के कटरिया गाँव के निकट स्तिथ नदियों का संगम है। यहाँ प्रमुख रूप से कोशी का गंगा में मिलन होता है, जिसके साथ ही कलबलिया नदी की एक छोटी धारा की उत्पत्ति होती है । त्रिमोहिनी संगम भारत की सबसे बड़ी उत्तरवाहिनी गंगा का संगम है। 12 फरवरी वर्ष 1948 में महात्मा गांधी के अस्थि कलश जिन 12 तटों पर विसर्जित किए गए थे, त्रिमोहिनी संगम भी उनमें से एक है |
इस जगह को पर्यटन स्थल की तरह विकसित करने के लिए बिहार राज्य पर्यटन विभाग ने वर्ष 2017-18 में रुo 3.13 करोड़ की योजना स्वीकृत की है |
प्रमुख आकर्षण[संपादित करें]
तट के लिए इस क्षेत्र को संगम बाबा द्वारा सुंदर नगर का नाम दिया गया है। इस स्थल के समीप रावणेश्वर कामना लिंग स्थापना के लिए मंदिर का निर्माण प्रारंभ कर दिया गया है।
गाइड बांध झील[संपादित करें]
त्रिमोहिनी संगम की सहायक नदी कोशी किनारे किया गया तट बंध जो कि गाइड बांध झील के नाम से प्रशिद्ध है।यहाँ 150 से भी ज्यादा पक्षियों की प्रजाति मौजूद है।
बाबा बटेश्वरनाथ मंदिर[संपादित करें]
संगम के समीप ही बाबा बटेश्वरनाथ का प्रसिद्ध पौराणिक मंदिर है।
माघी पूर्णिमा मेला[1][संपादित करें]
हर वर्ष त्रिमोहिनी संगम पर एक अद्भुत सुंदर मेला माघी पूर्णिमा के शुभ अवसर पर लगता है।बिहार के कई जिलों से तथा नेपाल से भी हजारों श्रद्धालुओं की भीड़ गंगा स्नान के लिए त्रिमोहिनी संगम पर पहुंचती है।
कार्तिक पूर्णिमा[संपादित करें]
कार्तिक पूर्णिमा पर त्रिमोहिनी संगम पर स्नान करने के लिए दूर दूर से तीर्थयात्रियों की भीड़ आती है। [2] [3]
बापू का समाधि स्थल[संपादित करें]
त्रिमोहिनी संगम स्थल का ऐतिहासिक महत्व है | राष्ट्रपिता महात्मा गांधी के मृत्यु के उपरांत उनके अस्थी भस्म को देश के 12 अन्य संगम तटों के साथ, इस त्रिमोहनी संगम तट पर 12 फरवरी 1948 को विसर्जित किया गया था। इसके पुण्यस्मरण में प्रत्येक वर्ष 12 फरवरी को यहां भव्य कृषि मेला लगा करता था।
प्रस्तावित पर्यटन स्थल[संपादित करें]
विकास योजना के तहत कैफेटेरिया, पाथ वे, पार्किंग स्थल, प्रवेश द्वार, जलापूर्ति को विकसित किया जाएगा | इसके सम्पन्न होने की आपेक्षिक अवधि दो साल है |[4]
पर्यटन स्थल के रूप में बनेगा त्रिमुहानी गंगा-कोसी संगम तट [5]
आवागमन[संपादित करें]
वायु मार्ग: यहाँ का सबसे निकटतम हवाई अड्डा बागडोगड़ा (सिलीगुड़ी के निकट) हवाई अड्डा है।
रेल मार्ग: कटिहार रेलवे स्टेशन बरौनी-गौहाटी मार्ग का प्रमुख रेलमार्ग है, जो भारत के कई प्रमुख शहरों से जुड़ा हुआ है।
सड़क मार्ग: राष्ट्रीय राजमार्ग 31 इस जिले तक पहुंचने का सुलभ राजमार्ग है।और झारखण्ड जाने के लिए मनिहारी गंगा में एल टी सी सेवा उपलब्ध् है,जो गंगा नदी के रास्ते साहिबगंज को जाती है। और मनिहारी में गंगा पुल होने का कार्य भी प्रारम्भ हो चुका है जो जल्दी ही कटिहार-झारखंड मार्ग को अति सुलभ बनाऐगी। बिहार के कटिहार जिले के अंतर्गत कुर्सेला प्रखंड के कटरिया गांव के NH-31 से रास्ता त्रिमोहिनी संगम की ओर जाती है।
सन्दर्भ[संपादित करें]
- ↑ "त्रिमुहानी संगम तट पर उमड़ी रही श्रद्धालुओं की भीड़". Dainik Jagran. अभिगमन तिथि 2021-06-13.
- ↑ "कुर्सेला के त्रिमोहिनी संगम स्थल गंगा मैया स्थापित". Public App. अभिगमन तिथि 2021-11-19.
- ↑ "गंगा-कोसी संगम स्थल पर सीताराम यज्ञ". live hindustan. अभिगमन तिथि 2022-01-22.
- ↑ "गंगा-कोसी संगम तट का निखर रहा रुप, श्रद्धालुओं की मिलेगी विशेष सुविधा". Dainik Jagran. अभिगमन तिथि 2021-06-13.
- ↑ "पर्यटन स्थल के रूप में बनेगा त्रिमुहानी गंगा-कोसी संगम तट". Dainik Jagran. अभिगमन तिथि 2022-01-22.