तुलसीराम
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तुलसीराम उत्तर प्रदेश के कम्पिल नगर के निवासी थे। इनका समय सं0-1871-1900 है। आपने ‘ज्ञान कल्लोलिनी’ नामक ग्रंथ का प्रणयन किया है। बताया जाता है कि इन्होंने कृष्ण कथा का भी छन्दोबद्ध वर्णन किया है, लेकिन यह ग्रंथ अभी तक उपलब्ध नहीं हो सका।[1]
तुलसी राम
जन्म 1 जुलाई 1949 मृत्यु 13 फरवरी 2015
तुलसीराम ने बचपन में आर्थिक, सामाजिक व मानसिक पीड़ा झेली। एक ओर चेचक ने उनके चेहरे पर दाग दिया, तो दूसरी ओर एक आँख की रोशनी जाने से उन्हें कनवा कहा जाता था।
अपनी चर्चित आत्मकथा जो दो भागों 'मुर्दहिया'
एवं 'मणिकर्णिका' नाम से प्रकाशित है । इस आत्मकथा में उन्होंने तात्कालिक सामाजिक व्यवस्था, अंधविश्वास, रूढ़िवादी विचारधाराओं पर कड़ा प्रहार किया है, साथ ही उन्होंने अपने दलित समाज की कथा कही है ।