तिवानाकु
तिवानाकु एक प्राचीन सभ्यता थी जो वर्तमान बोलीविया और पेरू के उच्च एंडीज़ क्षेत्र में स्थित थी। यह 500 से 1100 ईस्वी के बीच एक महत्वपूर्ण धार्मिक और सांस्कृतिक केंद्र था।[1]
ऐतिहासिक पृष्ठभूमि
[संपादित करें]तिवानाकु सभ्यता का विकास टिटिकाका झील के दक्षिणी तट पर हुआ। यह स्थल 13,000 फीट की ऊंचाई पर स्थित है और 6 वर्ग किलोमीटर तक फैला हुआ था। इसके प्रारंभिक निर्माण पहले कुछ शताब्दियों में हुए, जब कलाससाया और अर्ध-भूमिगत मंदिर जैसी संरचनाएँ बनीं।[2]
स्थापत्य और नगर नियोजन
[संपादित करें]तिवानाकु अपने भव्य स्थापत्य और जटिल जल निकासी प्रणालियों के लिए प्रसिद्ध था। इसके प्रमुख स्मारकों में अकापाना, प्यूमा पंकु और कलाससाया शामिल हैं। अकापाना एक विशाल पत्थर की संरचना थी जो एक प्रमुख प्लेटफॉर्म के रूप में कार्य करती थी। प्यूमा पंकु एक रहस्यमयी ढांचा था जिसमें विशाल पत्थरों को अत्यधिक सटीकता से तराशा गया था। कलाससाया एक महत्वपूर्ण धार्मिक स्थल था, जो सूर्य पूजा से जुड़ा था।[3]
शहर में विशाल पत्थरों से बनी मूर्तियां भी मिली हैं, जिनमें कुछ पौराणिक पात्रों को उकेरा गया है।[2]
कृषि और अर्थव्यवस्था
[संपादित करें]तिवानाकु की अर्थव्यवस्था मुख्य रूप से कृषि पर निर्भर थी। यहां की जनता ने उन्नत कृषि तकनीकों का विकास किया, जिसमें ऊँचे खेत बनाए गए। ये खेत ठंडी रातों से फसलों की रक्षा करते थे और जल संरक्षण में सहायक थे।[3]
इसके अलावा, ऊँचे इलाकों में लामा और अल्पाका जैसे जानवरों का पालन किया जाता था, जो व्यापार के लिए ऊन और परिवहन के साधन उपलब्ध कराते थे।[4]
सांस्कृतिक और धार्मिक प्रभाव
[संपादित करें]तिवानाकु का प्रभाव उसके आसपास के क्षेत्रों तक फैला हुआ था। इसकी कला, स्थापत्य और धार्मिक परंपराएं कई अन्य दक्षिण अमेरिकी संस्कृतियों पर असर डालने वाली थीं। विशाल पत्थर की मूर्तियां और अद्वितीय क кारीगरी इस संस्कृति की पहचान थी।[2]
धार्मिक रूप से, तिवानाकु सूर्य और अन्य प्राकृतिक शक्तियों की पूजा करने वाला समाज था। इसके मंदिर और अनुष्ठान स्थल इस बात के प्रमाण हैं कि यह एक प्रमुख आध्यात्मिक केंद्र था।[2]
व्यापार और विस्तार
[संपादित करें]तिवानाकु ने अपने प्रभाव क्षेत्र का विस्तार आसपास की घाटियों और इलाकों तक किया। इसकी व्यापारिक प्रणाली मजबूत थी और इसमें भोजन, वस्त्र, धातु के सामान और सजावटी कलाकृतियों का आदान-प्रदान शामिल था।[1]
तिवानाकु के उपनिवेश दूर-दराज के क्षेत्रों में बसे थे, विशेष रूप से मोक्वेगुआ घाटी में, जहां इसके लोग कृषि और व्यापार में सक्रिय थे। इस क्षेत्र में तिवानाकु और उसकी समकालीन वारी सभ्यता के बीच आपसी संपर्क और प्रभाव देखने को मिलता है।[4]
पतन और प्रभाव
[संपादित करें]लगभग 1000 ईस्वी के बाद, तिवानाकु सभ्यता का पतन शुरू हो गया। इसके कई उपनिवेश या तो नष्ट हो गए या फिर खाली कर दिए गए। ऐसा माना जाता है कि जलवायु परिवर्तन, लंबे समय तक सूखा और सामाजिक अस्थिरता इसके पतन के प्रमुख कारण थे।[1]
हालांकि तिवानाकु का राजनीतिक प्रभाव समाप्त हो गया, लेकिन इसकी सांस्कृतिक विरासत दक्षिणी एंडीज़ की कई अन्य संस्कृतियों में देखने को मिली। इसके स्थापत्य और धार्मिक विचारों ने बाद में इंका साम्राज्य सहित कई समाजों को प्रभावित किया।[3]
संदर्भ
[संपादित करें]- ↑ अ आ इ Williams, Patrick Ryan (2016), "Tiwanaku (Tiahuanaco) culture", The Encyclopedia of Empire (अंग्रेज़ी भाषा में), John Wiley & Sons, Ltd, pp. 1–2, डीओआई:10.1002/9781118455074.wbeoe132, ISBN 978-1-118-45507-4, अभिगमन तिथि: 2025-01-30
- ↑ अ आ इ ई Arnold, T. Elliott; Hillman, Aubrey L.; Abbott, Mark B.; Werne, Josef P.; McGrath, Steven J.; Arkush, Elizabeth N. (2021-01-01). "Drought and the collapse of the Tiwanaku Civilization: New evidence from Lake Orurillo, Peru". Quaternary Science Reviews. 251: 106693. डीओआई:10.1016/j.quascirev.2020.106693. आईएसएसएन 0277-3791.
- ↑ अ आ इ "Tiwanaku | Bolivia, Culture, Map, & Facts | Britannica". www.britannica.com (अंग्रेज़ी भाषा में). अभिगमन तिथि: 2025-01-30.
- ↑ अ आ "Ancient Tiwanaku | Archaeology of the Americas". Cambridge University Press (अंग्रेज़ी भाषा में). अभिगमन तिथि: 2025-01-30.