तार्किक सत्य
Jump to navigation
Jump to search
तार्किक सत्य (Logical truth) तर्कशास्त्र की सबसे आधारभूत अवधारणाओं में से एक है। यह एक ऐसी प्रतिज्ञप्ति या कथन होता है जो सत्य हो और किसी भी तार्किक निर्वचन में सत्य ही रहे। इसका अर्थ यह है कि प्रतिज्ञप्ति में किसी भी स्थान पर पर्यायवाची डालने पर भी प्रतिज्ञप्ति सत्य ही रहती है। उदाहरण के लिए "किसी भी कुवाँरे का विवाह नहीं हुआ होता" एक सत्य है और यदी कुवाँरे के पर्यायवाची शब्द प्रयोग हों तो कहा जा सकता है कि "किसी भी अविवाहित व्यक्ति का विवाह नहीं हुआ होता" - और यह भी सत्य ही रहेगा।[1]
इन्हें भी देखें[संपादित करें]
सन्दर्भ[संपादित करें]
- ↑ Willard Van Orman Quine, Philosophy of logic