सामग्री पर जाएँ

तंगुतुरी सूर्यकुमारी

मुक्त ज्ञानकोश विकिपीडिया से
टंगुटूरि सूर्यकुमारी
जन्म १३ नवम्बर १९२५- २५ अप्रैल २००५
राजमुंदरी, भारत,
आवास भारत
राष्ट्रीयता भारत
पेशा अभिनेत्री, नृत्यरचना
कार्यकाल

१९९६-९७, २००७-०९

2011–Present

टंगुटूरि सूर्यकुमारी तेलुगू सिनेमा में एक भारतीय फिल्म गायिका, अभिनेत्री और नृत्यांगना थी। वह टंगुटूरी प्रकाशम की भतीजी थी।[1] उन्होंने गीत मा तेलुगू तल्लिकि को गाया, जो आंध्र प्रदेश,भारत का आधिकारिक गीत है।[2] उन्होंने १९६१ में रवींद्रनाथ टैगोर के ऑफ ब्रॉडवे प्ले द किंग ऑफ द डार्क चैंबर में रानी सुदर्शन के लिए सर्वश्रेष्ठ अभिनेत्री के लिए बाहरी क्रिटिक्स सर्कल पुरस्कार जीता था।[3]

अभिनय कैरियर

[संपादित करें]

उन्होंने १२ साल की उम्र में पहली फिल्म की विप्रानारायण (१९३७)[4] की।

उनकी अगली फिल्म, अदृश्तम् (१९३८) थी और वह काफी प्रसिद्ध हुई। उनकी अन्य फिल्मों में कटकम् (१९४८) और संसारा न्यूका (१९४९) शामिल हैं। कटकम् एक तमिल नाटक था, जोकि कम विख्यात विलियम शेक्सपीयर नाटक सिम्बेलाइन पर आधारित था। उसके बाद उन्होंने कई फिल्मों में काम किया। जिन में से 'देवता' और 'रयुत बिद्ध' ने फिल्म का इतिहास बना दिया और तेलुगू सिनेमा के स्वर्ण युग में योगदान दिया।


'कृष्ण प्रेमा' फिल्म में, जो एच॰वी॰ बाबू ने बनाई, सूर्यकुमारी ने ऋषि नारद की भूमिका निभाई और यह पहली बार तेलुगू सिनेमा के इतिहास में था कि एक महिला ने पुरुष की भूमिका निभाई। उन्होंने हिंदी फिल्मों 'वतन' (१९५४) और 'उदककाटोला' (१९५५) में भी अभिनय किया। टंगुटूरि सूर्यकुमारी ने हिंदी फिल्म आइकन दिलीप कुमार के साथ काम किया और फिल्मफेयर सर्वश्रेष्ठ सहायक अभिनेत्री के लिए नामित की गई।

गायन कैरियर

[संपादित करें]

फिल्मों के अलावा उन्होंने दूसरे गाने भी गाये। उनके कई गाने ग्रामोफोन रिकॉर्ड के रूप में जारी किये गये और बाद में ऑडियो कैसेट्स के रूप में जारी किये गये। ये गीत काफी मधुर और प्रभावशाली थे। उनकी मीठी आवाज ने इन गीतों को और सुंदर बनाया। सूर्यकुमारी द्वारा कई गाने गाए गए जिनमें से कुछ 'मा तेलुगु तल्लिकी, मालेपुड़ेड़डुला, ओ महात्मा, सतपतरा सुंदरी, मामिदीचेट्टुुनू और अन्य हैं।

भारतीय सिनेमा से हॉलीवुड

[संपादित करें]

कुल मिलाकर, सूर्य १९४० और १९५० के दशक में २५ भारतीय फिल्मों में प्रदर्शित हुईं, जिसमें तेलगू, संस्कृत, तमिल, गुजराती, हिंदी और अंग्रेजी सहित विभिन्न भाषाओं में गायन और अभिनय किया था। जैसे कि 'रयितु बिड्ढा' (१९३९), 'भाग्यलक्ष्मी' (१९४३), 'कृष्णा प्रेमा' (१९४३), 'मारडलू पेली' (१९५२) और हिंदी फिल्म 'वतन' (१९५४), 'उदान खतला' (१९५५)। १९५० के दशक के मध्य में, उन्होंने भारतीय फिल्म उद्योग के एक प्रतिनिधि मंडल के सदस्य के रूप में अमेरिका की पहली यात्रा की।

१९५९ में, वह कोलंबिया विश्वविद्यालय में पढ़ाने के लिए न्यूयॉर्क गईं। वहाँ उन्होंने पश्चिमी शास्त्रीय नृत्य सिखाए। फिर वह भारत वापिस आ गईं और रवींद्रनाथ टैगोर के ऑफ ब्रॉड वे प्ले द किंग ऑफ द डार्क चैंबर में रानी सुदर्शन का अभिनय निभाया।

१९६५ में, वह लंदन गईं और उनकी जिंदगी में नया मोड़ आया। भारतीय प्रदर्शनकारी कलाओं में अंग्रेजों को प्रशिक्षित करने के लिए उन्होंने केंसिंगटन, इंग्लैंड में 'इंडिया परफॉर्मिंग आर्ट्स' की स्थापना की। २५ अप्रैल २००५ को एक गायिका, अभिनेत्री और नृत्यांगना टंगुटूरि सूर्यकुमारी का निधन हो गया।

सन्दर्भ

[संपादित करें]
  1. "External link to Late+Sri+Tanguturi+Surya+Kumari". Archived from the original on 7 सितंबर 2012. Retrieved 25 सितंबर 2017.
  2. Harpe, Bill (18 May 2005). "Obituaries: Surya Kumari". The Guardian. Archived from the original on 25 सितंबर 2017. Retrieved 2014-08-18.
  3. "संग्रहीत प्रति". Archived from the original on 19 अप्रैल 2011. Retrieved 19 अप्रैल 2011.
  4. "IMDB". Archived from the original on 19 फ़रवरी 2017. Retrieved 25 सितंबर 2017.