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डोमिनिकन गणराज्य का इतिहास

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समुद्रयात्री क्रिस्टॉफर कोलंबस ने १८९२ में हिस्पानिओला द्वीप की खोज की। इस प्रकार इस पर स्पेन का अधिकार हुआ। २४ वर्षो के अंतर्गत कोलंबस की नई दुनिया में यूरोपीय लोग अधिक संख्या में बस गए। स्पेनियों ने लगभग सारे कैरियवियन क्षेत्र को जीत लिया। १९१७ तक उन लोगों ने पशुपालन और कृषि उद्योग - मुख्यत: गन्ने का -आरंभ कर दिया। जनसंख्या भी ६० हजार के लगभग पहुँच गई जिसमें अधिकांश नीग्रो (दास) थे। १५६४ तक अनेक बीमारियों एवं अन्य कारणों से जनसंख्या लगभग आधी रह गई और स्पािनिओला का स्पेनी शक्तिकेंद्र के रूप में अमरीका पर प्रभाव क्षीण हो गया। १६९७ में रिज़विक की संधि हुई जिसके अनुसार द्वीप हाइती का पश्चिमी एक तिहाई क्षेत्र फ्रांस के अधिकार में मान्य हुआ। १९९१ में गुलाम नीग्रो लोगों ने विद्राह कर दिया। १९९५ में बेसिल की संधि (Treaty of Basle) के परिणामस्वरूप स्पेन को हिस्पैनिओला का शेष भाग (सांतो दामिंगो) भी फ्रांस के हाथ में देना पड़ा। हाइती १८०४ में स्वतंत्र हो गया। पेरिस की संधि (१८१४) के अनुसार स्पेन ने पुन: द्वीप के पूर्वी भाग पर अपना अधिकार जमा लिया, किंतु १८२१ में में डामिनकनों ने अपने को स्वतंत्र घोषित कर दिया। एक वर्ष तक यह राज्य ग्रान कोलंबिया (Gran Columbia) गणराज्य का अंग बना रहा।

१९२२ में हाइतीवासियों ने सांतो दामिन्गो पर आक्रमण किया और २२ वर्ष तक उसके अधिकारी रहे। ला त्रिनितारिया (La Trinitaria) नामक एक गुप्त संगठन से विद्रोह द्वारा १८४४ में हाइतियों को पुन: स्वतंत्रता मिली। १८६१ से १८६५ तक यह प्रदेश पुन: चार वर्ष तक स्पेन का उपनिवेश रहा। आंतरिक विद्रोहों के फलस्वरूप १८६५ में स्पेनी सेनाएँ वहाँ से हट गईं।

१९वीं शताब्दी के अंत तक गृहस्थिति अत्यंत संकटपूर्ण रही। विदेशी ऋणों के भारी बोझ से भी देश दब गया। १९१६ में यहाँ अमरीकी सैनिक शासन स्थापित हुआ जिसका अंत १२ जुलाई १९२४ को हुआ। केवल व्यापार पर अमरीका का नियंत्रण १९४१ तक चला।

१९६० में जोक्विन वालागुएर (Joaquin Balaguer) राष्ट्रपति निर्वाचित हुए। इनके नेतृत्व में डामिननिकन गणराज्य ने आर्थिक उन्नति, प्रशासनिक स्थिरता, वित्तीय आत्मनिर्भरता के साथ विदेशी ऋणों से मुक्ति प्राप्त की। उसने जनता के प्रजातांत्रिक अधिकारों का हनन किया और पुन: डामिनिकन रिपब्लिकन में उपद्रव हुए। जुलाई, १९६१ में वालागुएर के मंत्रिमंडल ने पदत्याग किया किंतु सितंबर में विरोधियों ने बालागुएर के ही नेतृत्व में मिली जुली सरकार बनाने का प्रस्ताव रखा।

१ जनवरी १९६१ को सात सदस्यीय अंतरिम परिषद् की स्थापना हुई। जनवारी के मध्य में क्रांति का सूत्रपात हुआ किंतु क्रांति असफल हुई। राफेल बोनली (Rafael Bounelly) के राष्ट्रपति में पुन: परिषद् गठित हुई। दिसंबर १९६२ के निर्वाचन में जुआन बोश (Juan Bosch) राष्ट्रपति निर्वाचित हुए।

सन्दर्भ

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