डीमैट घोटाला

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डीमैट घोटाला ₹10,000 करोड़ से अधिक का प्रवेश घोटाला है।[1] यह जून २०१५ में तब सुर्खियों में आया जब डेंटल और मेडिकल प्रवेश परीक्षा (डीमैट) परीक्षा नियंत्रक, योगेश उपरीत को गिरफ्तार कर लिया गया। निजी मेडिकल कॉलेजों में दाखिले में बड़े पैमाने पर अनियमितताओं के खिलाफ पहली बार शिकायत इंदौर निवासी आरटीआई कार्यकर्ता और व्हिसलब्लोअर डॉ आनंद राय ने की। उन्होने सन् २०१५ में भारत के उच्चतम न्यायालय में एक याचिका दायर कर इस कथित घोटाले में सीबीआई जांच की मांग की थी।[2] दलील सुनने के बाद, भारत के सर्वोच्च न्यायालय ने डीमैट घोटाले को व्यापम घोटाले से भी बदतर कहा और इसके बाद केंद्र और राज्य सरकारों को नोटिस जारी कर पूछा गया कि सीबीआई जांच के आदेश क्यों नहीं होना चाहिए।[3] १३ अगस्त, २०१५ को सीबीआई ने सर्वोच्च न्यायालय को बताया कि डीमैट घोटाला व्यापम घोटाले से कहीं अधिक बड़ा है लेकिन स्टाफ की कमी के चलते इसकी जांच करना उनके लिए संभव नहीं है।[4]

घोटाला[संपादित करें]

डेंटल और मेडिकल प्रवेश परीक्षा (डीमैट) मध्य प्रदेश (भारत) के निजी मेडिकल कॉलेजों में प्रवेश के लिए आयोजित एक परीक्षा है। य़ह परीक्षा निजी मेडिकल और डेंटल कालेजों के संघ द्वारा आयोजित की जाती है। य़ह घोटाला सन् २००६ कि शुरूआत से चल रहा था।[5] एक मामले में अनियमितता उजागर होने पर डॉ जय चन्द्र द्वारा धोखाधड़ी की पहली शिकायत २०१३ में कि गयी थी।[6] इसके बाद १६ सितंबर २०१३ को सुरेन्द्र सिंह चौहान और रणवीर सिंह नामक दो लोगों को १.३५ करोड़ के लिए आंध्र प्रदेश के लगभग एक दर्जन से अधिक छात्रों को धोखा देने के आरोप में गिरफ्तार किया गया था। उन्होंने भोले-भाले छात्रों को मध्य प्रदेश के निजी मेडिकल कॉलेजों में प्रवेश देने का वादा किया था।[7]

गिरफ्तार की गयी जोड़ी अंग्रेजी में अच्छी नहीं थी इसलिए रॉकी नाम के छत्तीसगढ़ से एक इंजीनियरिंग के छात्र को उम्मीदवारों और उनके परिजनों के साथ बातचीत करने के लिए कहा गया था। बाद में जांच के दौरान यह पाया गया था कि रॉकी पीड़ितों के साथ बातचीत करने के लिए ही इस्तेमाल किया गया था और वह अपराध में शामिल नहीं था।[7]

जांच[संपादित करें]

घोटाले में शामिल होने के डीमैट अधिकारियों की स्वीकारोक्ति के बाद पुलिस टीम ने डीमैट के कार्यालय से हार्ड डिस्क और इलेक्ट्रॉनिक रिकॉर्ड जब्त कर लिया।[7] गिरफ्तार की गयी जोड़ी इंजीनियरिंग कॉलेजों मे प्रवेश के लिए एजेंट और सेमेस्टर परीक्षा पास करने के लिए भी छात्रों कि मदद करते थे। हालाँकि, और अधिक धन कमाने के लिए उन्होंने मेडिकल कॉलेजों में एडमिशन की ओर ध्यान केन्द्रित कर दिया जो अपेक्षाकृत अधिक आकर्षक थे। २०१३ में पुलिस ने कहा कि इस घोटाले की गहराई का आंकलन करना मुश्किल है और इसमें शामिल अभियुक्तों की वित्तीय पृष्ठभूमि इसमें पैसे की बड़ी राशि होने का एक स्पष्ट संकेत देती है।[7] २०१३ के अंत तक दर्जन भर के आसपास अंतरराज्यीय गिरोहों को गिरफ्तार किया गया।[8]

पुलिस ने डीमैट नियंत्रक ए डब्ल्यू खान से कुछ जानकारी निकालने कि कोशिश की, लेकिन पूछताछ के दौरान ५ अक्टूबर २०१३ को उसका निधन हो गया। उसकी मौत ने जांच पड़ताल को रोक सा दिया[8] हालांकि, बाद में जांच कर रही टीम को कुछ प्रमाण मिले जिसने जालसाजी में निजी मेडिकल कॉलेज के अधिकारियों की भागीदारी होने का सकेंत दिया एंव जिसके चलते डेंटल और मेडिकल प्रवेश परीक्षा (डीमैट) नियंत्रक योगेश उपरीत की गिरफ्तारी हुई।[1]

जुलाई २०१५ में अपीलीय प्राधिकरण के प्रवेश एवं फीस विनियामक समिति (AFRC), जो कि व्यवसायी कॉलेजों के लिए एक संवेधानिक निकाय है, ने निजी कॉलेजों से जुड़े एक बड़े पैमाने पर घोटाले की ओर इशारा किया। उम्मीदवार स्नातक या स्नातकोत्तर पाठ्यक्रमों में प्रवेश पाने के लिए ₹१५ लाख से ₹१ करोड़ के बीच भुगतान करते थे।[9]

कार्यप्रणाली[संपादित करें]

घोटालेबाज गिरोह कॉलेज परिसर के इंटरनेट कैफे से संचालन करते थे। वे खुद को कॉलेज के निदेशक, डॉक्टरों के सहायक के रूप में प्रस्तुत करते थे और डीमैट के कार्यालय में काफी प्रभाव होने का दावा करते थे।[8] राशि का भुगतान करने वाले उम्मीदवारों को खाली ओएमआर शीट छोड़ने के लिए निर्देश दिए जाते थे, जो कि बाद में भर दिये जाते थे। प्रवेश प्रक्रिया के अंतिम दिन खाली रहे सीटों को राज्य कोटा और एनआरआई सीटों में तब्दील करके उपय़ोग किय़ा जाता था।[9] जांच के दौरान पुलिस टीम ने पाया कि जिन उम्मीदवारों ने गिरोह को भुगतान किया था, वे अपनी पसंद के कॉलेज में प्रवेश पाने के लिए परीक्षा में उतने ही अंक प्राप्त करते थे जितने की प्रवेश के लिए ज़रुरत होती थी।[8]

राज्य सरकार के खिलाफ आरोप[संपादित करें]

जांच टीम को मध्य प्रदेश सरकार में पदस्थ मंत्रियों, अधिकारियों, न्यायपालिका से जुड़े सदस्यों, पुलिस अधिकारियों और अन्य उच्च पदस्थ लोगों के शामिल के साक्ष्य मिले। इंदौर निवासी और व्हिसलब्लोवर डॉ आनंद राय ने आरोप लगाया कि एडमिशन का गोरखधंधा २००६ से चल रहा था और इसमें बड़े पैमाने पर काले धन का उपयोग किया जाता रहा।[10]

मध्य प्रदेश के विपक्षी दल भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस ने मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान के परिजनों पर डीमैट घोटाले के लाभार्थियों में शामिल होने का आरोप लगाया जिस का सत्ताधारी बीजेपी ने खंडन किया।[11]

परीक्षा की निरस्ती[संपादित करें]

व्यापम और डीमैट के अधिकारियों की मिलीभगत पर लगातार ख़ुलासे तथा व्हिसलब्लोवर द्वारा कथित तौर पर घोटाले में शामिल न्यायाधीशों के नाम उजागर करने की चेतावनी के चलते, १२ जुलाई, २०१५ को होने वाली प्रवेश परीक्षा को १० जुलाई २०१५ को राज्य परीक्षा कार्यसमिति ने रद्द कर दिया। हालाँकि, अधिकारियों ने परीक्षा के रद्द होने को कुछ तकनीकी कारणों की वजह से स्थगित किया जाना बताया।[2]

सन्दर्भ[संपादित करें]

  1. Rs 10,000 cr scam: Thousands of admissions in medical colleges through DMAT under scanner in MP Archived 2015-09-08 at the वेबैक मशीन, June 10, 2015, Hindustan Times.
  2. Madhya Pradesh DMAT exam cancelled Archived 2015-09-15 at the वेबैक मशीन, June 10, 2015, Tribune India.
  3. MP’s DMAT scam seems to be worse than Vyapam scam, Supreme Court says Archived 2015-07-20 at the वेबैक मशीन, Reported by Amit Anand Choudhary, July 17, 2015.
  4. MP DMAT scam bigger than Vyapam: CBI tells Supreme Court Archived 2015-08-17 at the वेबैक मशीन, Amit Anand Choudhary, August 13, 2015, The Times of India.
  5. DMAT Scam: 7 Facts That Explains Everything About This Scam Archived 2015-07-14 at the वेबैक मशीन, July 12, 2015, NationalViews.com.
  6. Madhya Pradesh: DMAT scam could have been busted 2 years ago Archived 2015-08-27 at the वेबैक मशीन, June 13, 2015, Hindustan Times.
  7. DMAT scam: Interpreter used to deal with clients Archived 2016-06-03 at the वेबैक मशीन, September 23, 2013, The Times of India.
  8. Dental and Medical Admission Test: Scamsters operated in cyber cafes, colleges Archived 2016-06-03 at the वेबैक मशीन, October 10, 2013, The Times of India.
  9. Almost all entrance tests in Madhya Pradesh since 2006 rigged, says accused Archived 2015-09-17 at the वेबैक मशीन, June 7, 2015, The Indian Express.
  10. Four Madhya Pradesh ministers under scanner in new Rs 4000 cr 'DMAT scam' Archived 2015-06-13 at the वेबैक मशीन, June 6, 2015, The Times of India.
  11. Chouhan kin among beneficiaries of DMAT scam, alleges Congress, June 14, 2015, The Hindu.