टोडगढ़ - रावली वन्यजीव अभयारण्य

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टोडगढ़ - रावली वन्यजीव अभयारण्य
टोडगढ़-रावली अभयारण्य के अंदर का दृश्य।
अवस्थितिराजसमंद
निकटतम शहरब्यावर
क्षेत्रफल495 sq km
स्थापित1983

टोडगढ़ - रावली वन्यजीव अभयारण्य राजस्थान, भारत में एक वन्यजीव अभयारण्य है। राज्य के अजमेर, पाली और राजसमंद जिलों में फैला हुआ है, यह 1983 में स्थापित किया गया था। यह उष्णकटिबंधीय पर्णपाती जंगलों और घास के मैदान के लगभग 495 किमी 2 पर स्थित है। प्रमुख वन्यजीवों में तेंदुआ, जंगली सूअर, चिंकारा, आम लंगूर, सुस्त भालू और भारतीय भेड़िया शामिल हैं। साथ ही, 2013 के सर्वेक्षण में लगभग 143 पक्षी प्रजातियों को यहां दर्ज किया गया था।[1] निकटतम प्रमुख शहर अजमेर है, जो 105 किमी दूर है। अजमेर जंक्शन रेलवे स्टेशन और ब्यावर रेलवे स्टेशन निकटतम रेलवे स्टेशन हैं।

स्थान[संपादित करें]

अभयारण्य अरावली पहाड़ी श्रृंखला के बीच में काफी हद तक स्थित है, जो टोडगढ़ गांव पर आधारित है, जो NH-8 दिल्ली-उदयपुर राजमार्ग पर जस्सा खेरा से 25 किमी दूर है।

दुधलेश्वर मंदिर[संपादित करें]

करंज, इमली और बरगद के ऊंचे पेड़ों से घिरा शिव को समर्पित एक प्राचीन मंदिर पर्यटकों को आकर्षित करता है। मंदिर में झरने के पानी का एक बारहमासी स्रोत है। यहां एक प्राचीन शिवलिंग है और इस शिवलिंग से जलधारा बहती है। जिसे हर मौसम में देखा जा सकता है।

प्रज्ञा शि‍खर (महा शि‍ला अभि‍लेख)[संपादित करें]

प्रज्ञा शि‍खर के नाम से यहां एक पहाडी पर महाशि‍ला अभि‍लेख के रूप में सुदूर दक्षि‍ण से लाया गया वि‍शालकाय काले ग्राईट पत्‍थर पर मानवीयता के संदेश आने वाले 5000 वर्षो तक देता रहेगा। इस महाशि‍ला अभलेख के अति‍रि‍क्‍त यहीं पर मनोहारी हि‍तमा मय वातावरण में एक वि‍शाल पुस्‍तकालय एवं सभग्रह भी है। जो पर्यटको को अपनी और आकर्षित करता हैं।[2]

पीपलाज माता का मंदि‍र[संपादित करें]

टोडगढ़ के पास देवल उनवास में पीपलाज माता का पुराना भव्य मंदिर है।[3][4]इसे देवलमालिया भी कहते हैं। पीपलाज देवियों में सबसे बड़ी देवी मानी जाती है।[5] इस मंदिर से कई पौराणिक कथाएं जुड़ी हुई हैं।[6]

काजलवास धुनी[संपादित करें]

काजलवास धूनी प्राचीन धार्मिक महत्व का स्थान है जहां 'नाथ' संप्रदाय के नौ योगियों ने गहन तपस्या की है।[7] यह अरावली रेंज [8] की गोद में सिरियारी, राजस्थान, भारत से लगभग चार किलोमीटर पूर्व में स्थित है। इस स्थान पर नौ नाथों की समाधि है और समाधि पर श्रद्धा सुमन अर्पित करने के लिए प्रतिदिन कई भक्त इस स्थान पर आते हैं।

देवेर[संपादित करें]

देवर महाराणा प्रताप से जुड़े अभयारण्य के अंदर एक ऐतिहासिक स्थान है। यह वह स्थान है जहां उसने अकबर की मुगल सेना को हराया था। जेम्स टॉड ने अपनी पुस्तक एनल्स एंड एंटीक्विटीज ऑफ राजस्थान में इसे "मेवाड़ का मैराथन" कहा है।

भीलबेरी फॉल्स[संपादित करें]

भगोरा वन खंड में अभयारण्य के अंदर 55 मीटर ऊंचा झरना है। बरसात के दिनों में पानी का गिरना देखा जा सकता है। इसके पास की चट्टानों पर लंबे बिल वाले गिद्धों और कई चट्टानी छत्तों को बसते हुए भी देखा जा सकता है। भीलबेरी से 4 किमी प्रकृति पथ जीप द्वारा पहुंचा जा सकता है।

दर्शनीय स्‍थल[संपादित करें]

  • 1. महादेव मंदि‍र – यह स्‍थान टॉडगढ़ तेजाजी मंदि‍र से पाडल सीसी सडक पर नर्सरी तालाब के कि‍नारे स्‍थि‍त एक सुन्‍दर एवं पुराना शि‍व मंदि‍र है।
  • 2. बडा का माजाती का मंदि‍र एवं सन सेट पोईंट :- स्‍थान टॉडगढ़ से लगभग 3 कि‍मी पर ग्राम मालातो की बैर में स्‍थति‍ है वि‍वरण आगे दर्ज हैं।
  • 3. देव जी का मंदि‍र :- यह मंदि‍र पुराना ऐति‍हासि‍क मंदि‍र जो कि‍ टॉडगढ़ बसा तभी से पूजा जा रहा है जो तेजारी मंदि‍र के पास स्‍थि‍त हैं।
  • 4. शीलता माता मंदि‍र :- यह प्रज्ञा शि‍खर के पास टॉडगढ़ देवगढ सडक पर स्‍थि‍त एक भव्‍य मंदि‍र हैं।
  • 5. तेजाजी का मंदि‍र :- टॉडगढ़ में ही स्‍थति‍ है जो पुराना मंदि‍र है जहां पर दूर दूर से र्स दंश के केस ठीक होने हेतु आते हैं हर वर्ष मेला लगता हैं।
  • 6. धर्मा की तलाई :- यह टॉडगढ़ से बराखन सडक होते हुए कानपुरि‍या से 3.500 कि‍मी दूर कच्‍ची सडक से पहाडी पर राजस्‍थान के गुरूशि‍खर के बाद दूसरी सबसे उंची चोटी हैं।
  • 7. मांगट जी महाराज का मंदि‍र :- यह स्‍थान टॉडगढ़ से 17 कि‍मी दूर बडाखेडा से सरूपा पक्‍की सडक से पहाडी पर 4 कि‍मी उपर स्‍थति‍ एक पुराना धार्मिक स्‍थल है वि‍वरण आगे दर्ज है इसी स्‍थान के पास कुण्‍डामाता का मंदि‍र का दर्शनीय स्‍थान भी है।
  • 8. गोरमघाट :- उदयपुर शहर से करीब 136 किलोमीटर दूर गोरमघाट, रावली टॉडगढ़ अभयारण्य की प्राकृतिक छटा और इसके मध्य जोगमंडी वाटर फॉल देखकर हर कोई रोमांचित हो उठता है। यहां मीटर गेज पर धीमी गति से चलने वाली सात डिब्बों वाली मावली-मारवाड़ ट्रेन ही रोमांच का सफर करवाती है।[9] मानसून शुरू होते ही यह ट्रेन गोरमघाट के रेलवे स्टेशन खामली घाट तक जाती है और इसमें रोमांचक सफर करने वाले पर्यटक ही देखने को मिलते हैं।[10] ब्रिटिश काल के समय का ट्रैक और उस पर से होकर गुजरती मीटर गेज ट्रेन मावली रेलवे स्टेशन से रवाना होकर देवगढ़ क्षेत्र के खामली घाट रेलवे स्टेशन पहुंचती है। अब राजसमंद जिले में इस दर्रा से उदयपुर - जोधपुर रेलमार्ग गुजरता है।[11] गोरम घाट को राजस्थान का छोटा कश्मीर है।[12]
  • 9. हनुमान प्रति‍मा :- टॉडगढ़ से 10 कि‍मी दूर लाखागुडा ग्राम के पास 72 फि‍ट उंची हनुमान प्रति‍मा हैं जो पर्यटको का दर्शनीय स्‍थल है जि‍ला राजसमंद में आता हैं।
  • 10. तीन होटल :- (1) टॉडगढ़ में एक यूनाईटेड 21 रॉयल रि‍सोर्ट टॉडगढ़, (2) हि‍ल वैली रि‍सोर्ट मेडि‍या, (3) अमर वि‍लास मालातो की बैर।
  • 11. प्राचीन तहसील भवन :- (1) टॉडगढ़ मं ही स्‍थि‍त है अंग्रेजो के समय से बनी तहसील है जो वर्तमान में राजकीय उच्‍च माध्‍यमिक वि‍द्यालय चल रहा हैं (2) इसमें पुरानी ट्रेजरी, जैल, जि‍समें स्‍वतंत्रता सैनानि‍ वि‍जय ‍सिंह पथि‍क कैद रहे थे जि‍न्‍होने 1915 में बिजोलि‍या कि‍सान आंदोलन का नेतृत्‍व कि‍या। इस जेल को काटकर वि‍जय सि‍ह पथि‍क फरार हो गये थे।
  • 12. वीर रावत राजू चौहान स्‍मार्क :- यह स्‍थान टॉडगढ़ से 6 कि‍मी दूरी पर फुति‍या खेडा में चौराहे पर इनकी भव्‍य प्रतिमा स्‍थत हैं।
  • 13. वि‍क्‍ट्री मेमोरि‍यल फौजी धर्मशाला :- यह टॉडगढ़ में ही स्‍थत है द्वि‍ति‍य वि‍श्‍वयुद्व में शहीद यहां के नि‍वासीयों की याद मे बनी फौजी धर्मशाला हैं।
  • 14. कातर घाटी सडक :- टॉडगढ़ से बराखन सडक पर 6 कि‍मी पर वि‍हंगम दृश्‍य सजोए अद्भुत सडक है जि‍समें यू टर्न (मोड) है जि‍सका सम्‍वत् 1956 में अंग्रेजो द्वारा नि‍र्माण करवाया गया। उस समय भयंकर अकाल पडा था जि‍समें आस पास के ग्रामीणो द्वारा इसका नि‍र्माण कि‍या गया था।
  • 15. बागलि‍या भग्‍गड गुफा मामारेल टॉडगढ़ :- भग्‍गड (गुफा ) ग्राम टॉडगढ़ से भीम टॉडगढ़ पक्‍की सडक से 1/कि‍मी दूर मामाजी की रेल में स्‍थि‍त है जो कि‍ टॉडगढ़ से 13 कि‍मी दूर गोधाजी के गांव भीम के पास कि‍ले के पास नि‍कलती हैं यह स्‍थान मामादेव की धूनी के नाम से प्रसिद्ध हैं।

सन्दर्भ[संपादित करें]

  1. "The Ecotone: The Todgarh-Raoli and Kumbhalgarh Sanctuaries of Rajasthan". RoundGlass | Sustain (अंग्रेज़ी में). 2020-07-14. अभिगमन तिथि 2021-07-06.
  2. राजाराम, भादु (सितंबर 2003). Dharamsatta Aur Pratirodh Ki Sanskriti. राजकमल प्रकाशन प्राइवेट लिमिटेड.
  3. मोहनलाल, गुप्ता. Rājasthānaब- jilevāra sāṃskr̥tika evaṃ aitihāsika adhyayana · Volume 1. राजस्थानी ग्रंथागारम. अभिगमन तिथि 30 अगस्त 2008.
  4. "पिपलाज माता मंदिर". अभिगमन तिथि 15 जुलाई 2022.
  5. बनारसीदास चतुर्वेदी, हरिभां उपाध्याय. Samanvayī sādhaka Śri Haribhāu Upādhyāya abhinandana grantha. राजस्थान-संस्कृत-संसदी. अभिगमन तिथि 12 फरवरी 2008.
  6. "जिस पेड़ के नीचे नौ देवियां झूलती थी झूला, दूध-दही से सिंचा जाता वृक्ष". अभिगमन तिथि 12 अक्टूबर 2021.
  7. (वीर गडरिया) पाल बघेल धनगर
  8. (वीर गडरिया) पाल बघेल धनगर
  9. "ये है राजस्थान की 'टॉय ट्रेन', शिमला की टॉय ट्रेन जैसा होता है सफर". अभिगमन तिथि 24 सितंबर 2017.
  10. "गोरमघाट में ट्रेन सफारी का उठाया आनंद". अभिगमन तिथि 24 अगस्त 2015.
  11. कुंवर कनक, सिंह राव. DHAROHAR SAMANYA GYAN GUIDE BOOK 2022- KUNWAR KANAK SINGH RAO. प्रभात प्रकाशन.
  12. "राजस्थान का छोटा कश्मीर". अभिगमन तिथि 6 जुलाई 2021.