टीका कूटनीति

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टीका कूटनीति (वैक्सीन कडिप्लोमैसी) से आशय किसी देश द्वारा अपने राजनयिक सम्बन्ध तथा अन्य देशों में अपने प्रभाव को बढ़ाने से है। [1][2]

कोविड-19 महामारी के दौरान[संपादित करें]

भारत[संपादित करें]

भारत ने अपने पड़ोसी देशों सहित विश्व के सैकड़ों देशों को कोविड-१९ का टीका उपलब्ध कराकर एक महान सम्मान प्राप्त की है। कोरोना महामारी के चलते विश्व में अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर पैदा हुई वैक्सीन डिप्लोमैसी में कोविशील्ड (Covishield) ने भारत को चीन से बेहद आगे कर दिया है। चीन की वैक्सीन को कुछ मुट्ठीभर देशों ने ही मान्यता दी है। जबकि भारत की वैक्सीन को दुनिया के ज्यादातर देशों ने मान्यता दी है। चीन ने नेपाल और पाकिस्तान को ही वैक्सीन की आपूर्ति की है वहीं भारत ने अब तक करीब 20 देशों की वैक्सीन की आपूर्ति करके इस मामले में चीन को काफी पीछे छोड़ दिया है।[3][4][5]

ऑस्ट्रेलिया[संपादित करें]

ऑस्ट्रेलिया के प्रधानमन्त्री स्कॉट मॉरिसन ने कहा कि वह "हमारे प्रशान्त महासागर परिवार के देशों के लिए और साथ ही दक्षिण पूर्व एशिया में क्षेत्रीय भागीदारों के लिए एक टीका की पहुँच शीघ्र सुनिश्चित करने के लिए काम कर रहे हैं।"

चीन[संपादित करें]

अगस्त के मध्य में, चीन के चीनी विदेश मन्त्रालय ने चीनी टीका के लिए फिलीपींस को प्राथमिकता देने के लिए सहमति व्यक्त की। निजी स्वामित्व वाली चीनी कम्पनी साइनोवैक बायोटेक ने ब्राज़ील और इण्डोनेशिया के साथ काम करने के लिए "स्थानीय उपयोग के लिए अपने वैक्सीन उम्मीबदवार की सैकड़ों लाखों खुराक का उत्पादन करने के लिए सहमति व्यक्त की है।" रूसी व्यवसाय, पेट्रोवैक्स, वर्तमान में मॉस्को क्षेत्र में अपने टीके के विकास के साथ चीन के कैन्सिनो बायोलॉजिक्स की मदद कर रहा है और रूस के भीतर और सोवियत देशों के बाद के टीके को बेच देगा।

जापान[संपादित करें]

जुलाई में, जापान ने मेकांग (मेकाङ्ग) नदी के किनारे पाँच देशों में 11.6 अरब येन (यूएस $10.9 करोड़) प्रदान करने पर सहमत हुआ: कम्बोडिया, लाओस, म्यांमार, थाईलैण्ड और वियतनाम के साथ एशिया में टीके के उत्पादन और वितरण पर तथा साथ ही चीन के प्रभाव के बारे में चिन्ता व्यक्त की।

रूस[संपादित करें]

रूस कोविड-19 के टीके Gam-COVID-Vac (स्पुतनिक वी) का दावा करने वाला पहला देश था, 20 देशों का कहना है, "ब्राज़ील, इण्डोनेशिया और संयुक्त अरब अमीरात सहित ने पहुँच का अनुरोध किया है।"

संयुक्त राज्य अमेरिका[संपादित करें]

यह अज्ञात है कि ट्रम्प प्रशासन अपने टीका आपूर्ति के साथ कितना खुला रहेगा, हालाँकि, स्वास्थ्य और मानव सेवा सचिव एलेक्स अजार ने कहा कि संयुक्त राज्य अमेरिका की जरूरतों को पूरा करने के बाद ही संयुक्त राज्य अमेरिका अन्य देशों के साथ टीके को साझा करेगा। संयुक्त राज्य अमेरिका ने संयुक्त अरब के एस्ट्राजेनेका और जर्मनी के बायोएनटेक एसई से अमेरिकन फाइजर के सहयोग से टीके के करोड़ों खुराक खरीदने के लिए बहु-अरब डॉलर के ऑर्डर रखे हैं। 11 अगस्त, 2020 को, मॉडर्न ने संयुक्त राज्य सरकार से 100 मिलियन टीकों के लिए 1.5 बिलियन डॉलर की खरीद की घोषणा की।

मेक्सिको[संपादित करें]

मेक्सिको के विदेश मामलों के सचिव मार्सेलो एबरार्ड ने मेक्सिको और संयुक्त राज्य अमेरिका में अमेरिकी टीकों के परीक्षण के लिए जॉनसन एंड जॉनसन के साथ समझौता ज्ञापन पर हस्ताक्षर करने की घोषणा की।

टीका राष्ट्रवाद[संपादित करें]

टीका राष्ट्रवाद पर भी आशंका पैदा हो गई है, जहाँ अमीर देशों को स्व-निर्मित टीका के उत्पादन में लाभ होगा और गरीब देशों को टीका तक पहुँच नहीं मिलेगी, जो अन्ततः महामारी को बढ़ावा देगा। इसी तरह की घटना एच1एन1 फ्लू और इबोला संकट के दौरान देखी गई थी।

इसे भी पढ़े[संपादित करें]

संदर्भ (सन्दर्भ)[संपादित करें]

  1. Snyder, Alison. "A coronavirus vaccine is a chance for China to show its scientific muscle". Axios (अंग्रेज़ी में). अभिगमन तिथि 2020-08-21.
  2. Deng, Chao (2020-08-17). "China Seeks to Use Access to Covid-19 Vaccines for Diplomacy". Wall Street Journal (अंग्रेज़ी में). आइ॰एस॰एस॰एन॰ 0099-9660. अभिगमन तिथि 2020-08-21.
  3. टीका-कूटनीति में भारत ने चीन को पछाड़ा ; 20 देशों को भेजे सवा 2 करोड़ डोज
  4. भारत की वैक्सीन डिप्लोमेसी से घबराया चीन, करने लगा ये 'गंदा काम'
  5. रंग ला रही है भारत की 'वैक्सीन डिप्लोमेसी', विश्व स्वास्थ्य/स्वस्थ संगठन के प्रमुख ट्रेडोस भी हुए कायल; ऐसे की तारीफ