टंट्या भील
टंट्या भील | |
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![]() The Tribes and Castes of the Central Provinces of India (1916) में किये गए चित्रण में टंट्या मामा | |
जन्म |
1842 खंडवा, मध्यप्रदेश, भारत |
मृत्यु |
4 दिसंबर 1889 जबलपुर, मध्यप्रदेश, भारत |
मृत्यु का कारण | फांसी |
स्मारक समाधि | पातालपानी, मध्यप्रदेश) |
प्रसिद्धि कारण | भारत के पहले स्वाधान आंदोलन में सक्रिय भागीदारी |
अंतिम स्थान | पातालपानी, मध्यप्रदेश) |
टंट्या भील (टंट्या या टंट्या मामा) (1842 - 4 दिसंबर 1889) 1878 और 1889 के बीच भारत में सक्रिय एक जननायक (आदिवासी नायक) थे। वे भारतीय "रॉबिन हुड" के रूप में ख्यात हैं।
टंट्या आदिवासी भील समुदाय के सदस्य थे उनका वास्तविक नाम टंड्रा था , उनसे सरकारी अफसर या धनिक लोग ही भयभीत थे , आम जनता उसे ' टंटिया मामा ' कहकर उसका आदर करती थी । टंट्या भील का जन्म सेंट्रल प्राविंस प्रांत के पूर्व निमाड़ खंडवा जिले की पंधाना तहसील के ग्राम बड़दा में 1842 में हुआ था।[1] एक नए शोध के अनुसार उन्होंने 1857 में हुए पहले स्वतंत्रता संग्राम के बाद अंग्रेजों द्वारा किये गए दमन के बाद अपने जीवन के तरीके को अपनाया[2]
। टंट्या को पहली बार 1874 के आसपास "खराब आजीविका" के लिए गिरफ्तार किया गया थाफ एक साल की सजा काटने के बाद उनके जुर्म को चोरी और अपहरण के गंभीर अपराधों में बदल दिया गया। सन 1878 में दूसरी बार उन्हें हाजी नसरुल्ला खान यूसुफजई द्वारा गिरफ्तार किया गया था। मात्र तीन दिनों बाद वे खंडवा जेल से भाग गए और एक विद्रोही के रूप में शेष जीवन जिया[3]। इंदौर की सेना के एक अधिकारी ने टंट्या को क्षमा करने का वादा किया था, लेकिन घात लगाकर उन्हें जबलपुर ले जाया गया, जहाँ उन पर मुकदमा चलाया गया और 4 दिसंबर 1889 को उसे फांसी दे दी गई।
अन्य महत्वपूर्ण[संपादित करें]
रेन्गू कोरकू
बाहरी कड़ियाँ[संपादित करें]
- आदिवासियों का रॉबिनहुड था टंट्या भील
- आदिवासियों के लिए देवता है आजादी के सेनानी टंट्या भील[मृत कड़ियाँ]
- एक अनपढ़ आदिवासी ने नींद उड़ा दी थी अंग्रेज सरकार की
- टंट्या (गूगल पुस्तक (उपन्यास); लेखक - बाबा भांड]
- ↑ बी.एस., फारसिया. Bharat Mein Svatantrata Tatha Lokatantraatmak Ganarajy Ka Uday. बुक्सक्लिनिक पब्लिशिंग. अभिगमन तिथि 27 जुलाई 2021.
- ↑ Ramaṇikā Guptā; Anup Beniwal (1 January 2007). Tribal Contemporary Issues: Appraisal and Intervention. Concept Publishing Company. pp. 18–. ISBN 978-81-8069-475-2.
- ↑ Central Provinces (India) (1908). Nimar. Printed at the Pioneer Press. pp. 45