ग्राम पंचायत झोंपड़ा, सवाई माधोपुर

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झोंपड़ा
निर्देशांक: (निर्देशांक ढूँढें)
समय मंडल: आईएसटी (यूटीसी+५:३०)
देश  भारत


झोंपड़ा गाँव राजस्थान राज्य के सवाई माधोपुर जिले की चौथ का बरवाड़ा तहसील में आने वाली प्रमुख ग्राम पंचायत है ! ग्राम पंचायत का सबसे बड़ा गाँव झोंपड़ा है जिसमें मीणा जनजाति का नारेड़ा गोत्र मुख्य रूप से निवास करता हैं। ग्राम पंचायत में झोंपड़ा, बगीना, सिरोही, नाहीखुर्द एवं झड़कुंड गाँव शामिल है। झोंपड़ा ग्राम पंचायत की कुल जनसंख्या 2011 की जनगणना के अनुसार 5184 है और ग्राम पंचायत में कुल घरों की संख्या 1080 है। ग्राम पंचायत की सबसे बड़ी नदी बनास नदी है वहीं पंचायत की सबसे लम्बी घाटी चढ़ाई बगीना गाँव में बनास नदी पर पड़ती है। ग्राम पंचायत का सबसे विशाल एवं प्राचीन वृक्ष धंड की पीपली है जो झोंपड़ा, बगीना एवं जगमोंदा गाँवों से लगभग बराबर दूरी पर पड़ती है।

ग्राम पंचायत[संपादित करें]

झोंपड़ा गाँव[संपादित करें]

राजस्थान राज्य में बनास नदी के तट पर बसा हुआ झोंपड़ा गाँव जिला मुख्यालय सवाई माधोपुर से ३२ कि मी व तहसील मुख्यालय चौथ का बरवाड़ा से १२ कि मी की दूरी पर स्थित है। इस गाँव को नानका पटेल की कर्म भूमि के लिए आज भी याद किया जाता है, कहाँ जाता है कि नानका पटेल गरीबों के हमेशा सहायक बनकर रहे एवं अमीरों के अत्याचारों के हमेशा खिलाफ रहे थे। उसी नानका पटेल का वंश वर्तमान में टापरीवाला थोग कहलाता हैं, वर्तमान में इसी टापरीवाला थोग से गाँव में सबसे अधिक सरकारी कर्मचारी है। गाँव में राजकीय माध्यमिक विद्यालय, ग्राम पंचायत, हनुमानजी जी का मंदिर एवं राजकीय उपस्वास्थ्य केन्द्र आदि इसी एरिया में स्थित है। झोंपड़ा गाँव मीणा बाहुल्य क्षेत्र होते हुए भी यहाँ पर सभी जाति के लोग प्रेम व्यवहार से रहते है वहीं गाँव की एकता अखंडता को बनाए रखते है। इस गाँव से ८ किलोमीटर दूर भगवतगढ़ नामक शहर पड़ता है जहाँ हर जरूरत संबंधित सामान गाँव को उपलब्ध होता है और देखा जाए तो यह गाँव भगवतगढ़ शहर की रीढ़ की हड्डी कहाँ जा सकता है क्योंकि सालाना भगवतगढ़ से झोंपड़ा गाँव लगभग ४० लाख रूपये की खरीददारी करता है जो आस पास के गाँवों से कहीं ज्यादा है वहीं द्वितीय स्थान पर लोरवाड़ा ग्राम पंचायत का बंधा गाँव आता है जो करीब २५ लाख का इस शहर से टर्नओवर करता है। झोंपड़ा गाँव की बसावट विषमबाहु आकार की है मगर गाँव की एकता को देखने के बाद पता चलता है कि यहाँ पर विविधता में भी एकता अलग से ही दिखाई पड़ती है गाँव का पोस्ट मुख्यालय भगवतगढ़ लगता है वही डाक पोस्ट ऑफिस गाँव में स्थित है। बनास नदी के आँचल में बसा हुआ यह गाँव वास्तव में मीणा समाज की संस्कृति में रचा हुआ सामाजिक गतिविधियों वाला गाँव है। झोंपड़ा गाँव की सामान्य जानकारी :-

गाँव का नाम झोंपड़ा
ग्राम पंचायत व पोस्ट ऑफिस झोंपड़ा
वाया भगवतगढ़
तहसील व पंचायत समिति चौथ का बरवाड़ा
विधान सभा क्षेत्र खण्डार
लोकसभा क्षेत्र टोंक-सवाई माधोपुर
जिला मुख्यालय सवाई माधोपुर
पिनकोड नं. 322701
दूरभाष कोड 07462
परिवहन कोड आर. जे. - 25
संभाग भरतपुर
राज्य राजस्थान
बसावट बनास नदी के तट पर
समुद्र तल से ऊँचाई 266 मीटर
निकटतम रेलवे स्टेशन सुरेली एवं चौथ का बरवाड़ा
गाँव में कुल घर 528
कुल जनसंख्या 2483 [ पु. 1270 , म. 1213 ]
अनुसूचित जनजाति जनसंख्या 1331 [ पु. 673 , म. 658 ]
अनुसूचित जाति 304 [ पु. 165 , म. 139 ]
साक्षरता प्रतिशत 60.61 [ पु. 80.13 , म. 39.59 ]
अक्षांश व देशान्तर स्थिति 26.92 - 75.8
0 से 6 साल तक के बच्चों की जनसंख्या 358 [ लड़का 168 , लड़की 190 ]
भाषा माधोपुरी राजस्थानी, हिन्दी
सरपंच का नाम श्रीमति गंगा देवी मीणा
तहसील मुख्यालय से दूरी 12 किलोमीटर
जिला मुख्यालय से दूरी 32 किलोमीटर
जयपुर राजधानी से दूरी 103 किलोमीटर
कुल गाँव में मजदूर संख्या 1175 [ पु. 657 , म. 518 ]
मुख्य मजदूर 657
समय जोन आई एस टी ( यू टी सी + 5:30 )
जनगणना वर्ष 2011
लिंगानुपात 1000 पुरुष पर 955 महिला
कुल जनसंख्या का मीणा % 53.60
कुल जनसंख्या का एस सी % 12.24
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झोंपड़ा गांव के प्रमुख कर्मचारी[संपादित करें]

1. भागचन्द जी मीना, प्रधानाध्यापक 2. रामधन जी मीना, अधीक्षक राजकीय औद्योगिक प्रशिक्षण संस्थान, चौथ का बरवाड़ा 3. मोतीलाल जी मीना भूतपूर्व अध्यापक 4. भजनलाल जी मीना भूतपूर्व अध्यापक 5. रमेशचन्द जी मीना एलआईसी प्रबंधक 6. घनश्याम मीना आयुर्वेदिक वेद 7. हनुमान मीना भूतपूर्व एफसीआई 8. हनुमान मीना मैनेजर 9. रामप्रसाद मीना राज. पुलिस 10. मुरारीलाल मीना राज. पुलिस 11. भीमराज मीना रेलवे चालक 12. हरिमोहन मीना रेलवे चालक 13. कमलेश मीना आईटीआई इंस्ट्रक्टर 14. रामहेत मीना प्रधानाध्यापक 15. चिरंजीलाल मीना प्रोफेसर 16. प्रेमराज मीना यूडीसी 17. मटरूलाल मीना ग्राम सेवक 18. झबरू लाल मीना ग्राम सेवक 19. विक्रम मीना बैंक कैशियर 20. राजेन्द्र मीना अध्यापक 21. रामावतार मीना बैंक कैशियर 22. प्रहलाद मीना भूतपूर्व मैनेजर 23. जगदीश मीना मैनेजर 24. गणपत लाल मीना डॉक्टर 25. श्रीदास मीना स्टेशन प्रबंधक रेलवे 26. रामराज मीना राज. पुलिस 27. रतनलाल मीना आरटीओ 28. कालूराम मीना रेलवे गार्ड 29. हनुमान मीना रेलवे गार्ड 30. भरतलाल मीना अध्यापक 31. हनुमान मीना प्रधानाध्यापक 32. ओमप्रकाश शर्मा अध्यापक 33. किशन गोपाल मीना केवीएस 34. रतन लाल मीना अध्यापक 35. बाबूलाल मीना जेईन 36. रामकिशन मीना प्रधानाध्यापक 37. इन्द्रराज मीना अध्यापक 38. रामधन मीना अध्यापक 39. विकास कुमार जागिंड़ 40. रवि कुमार मीना एलआईसी 41. जयसिंह मीना कैशियर 42. मीठालाल मीना अध्यापक 43. मीठालाल मीना अध्यापक द्वितीय 44. रामराज मीना गैंगमेन 45. मुकेश कुमार मीना गैंगमेन 46. ओमप्रकाश मीना अध्यापक 47. चिरंजीलाल मीना अध्यापक 48. महेन्द्र मीना अध्यापक 49. मस्तराम मीना प्रधानाध्यापक 50. रामस्वरूप मीना अध्यापक 51. कमलेश मीना रेलवे चालक 52. मुकेश मीना अध्यापक 53. देवलीराम मीना गैंगमेन 54. जगदीश मीना सी.आई. 55. जगराम मीना वनगार्ड 56. नरसी मीना रेलवे चालक 57. रूपचन्द मीना अध्यापक

बगीना गाँव[संपादित करें]

बगीना गाँव में कुल घरों की संख्या 254 है वहीं कुल जनसंख्या 1348 है जिसमें से 742 पुरुष एवं 606 महिलाएँ है। यह गाँव ग्राम पंचायत झोंपड़ा के अंतर्गत पड़ता है। यह गाँव झोंपड़ा ग्राम पंचायत का दूसरा सबसे बड़ा गाँव है जो ग्राम पंचायत मुख्यालय से 3.5 किलोमीटर दूर है। बनास नदी के तट पर बसा हुआ। बगीना गाँव में मीणा नारेड़ा एवं झूरवाल गोत्र की बहुलता है। वर्तमान में झोंपड़ा पंचायत के सरपंच बगीना गाँव के ही है। झोंपड़ा पंचायत में इस गाँव के श्री रामनिवास जी मीणा ने लम्बे समय तक सरपंच पद पर कार्य किया था। यह गाँव चौथ का बरवाड़ा तहसील से एवं शिवाड़ कस्बे से पक्के सड़क मार्ग से जुड़ा हुआ है।

सिरोही गाँव[संपादित करें]

सिरोही गाँव में कुल घरों की संख्या 160 है वहीं कुल जनसंख्या 723 है जिसमें से 390 पुरुष एवं 333 महिलाएँ है। यह गाँव ग्राम पंचायत झोंपड़ा के अंतर्गत पड़ता है। यह गाँव झोंपड़ा-भगवतगढ़ सड़क मार्ग के बीच में पड़ता है। गलवा नदी के तट पर बसा हुआ यह गाँव झोंपड़ा गाँव से 2.7 किलोमीटर एवं भगवतगढ़ से 5.3 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है। इस गाँव में मीणा जाति का ताजी गोत्र निवास करता है। गाँव में शिक्षा हेतु पाँचवीं तक का सरकारी विद्यालय कार्यरत है।

नाहरीखुर्द एवं झड़कुंड गाँव[संपादित करें]

यह दोनों छोटे छोटे गाँव है इन दोनों गाँवों में कुल घर 138 है और कुल जनसंख्या 630 है जिसमें से 344 पुरुष और 286 महिलाएँ शामिल हैं। यह दोनों गाँव ग्राम पंचायत झोंपड़ा के अंतर्गत पड़ते है।

कला एवं संस्कृति[संपादित करें]

ठाकुर जी का मंदिर

[1]- यह मंदिर गाँव के हथाई मोहल्ला के पास में स्थित है वही गाँव का सबसे प्राचीन मंदिर भी यही है ! इस मंदिर में भगवान विष्णु व माता लक्ष्मी की एक पत्थर से बनी हुई सम्मिलित प्रतिमा है जो बहुत ही चमत्कारिक है ! मंदिर प्रांगण में भगवान शिव पंचायत रूप में विराजमान हैं वहीं पीपली का पेड़ भी विद्यमान है, इस मंदिर में प्राचीन समय में नानका पटेल मीणा का सबसे बड़ा योगदान रहा है ! वर्तमान में यह मंदिर सभी भगतों के लिए सार्वजनिक पूज्य स्थल है ! इस मंदिर में झोंपड़ा गाँव के प्रमुख थोगो ( क्षेत्रों ) का योगदान रहा है जिसमें टापरीवाला थोग , दांगड़ावाला, बड़ी गुवाड़ी वाला, खेड़ली वाला, बनोटा वाला, गुर्जर एरिया , बैरवा एरिया, हथाई मोहल्ला, छतरीनीम पाड़ा एवं नाथ मोहल्ला भी शामिल हैं।
[2] - द्वितीय ठाकुर जी का नवनिर्मित लक्ष्मी नारायण जी का मंदिर है। इस मंदिर को रूंडीवाला थोग द्वारा बनाया गया है जिसमें रूंडीवाला और बारवाल एरिया का विशेष योगदान रहा है ! इस मंदिर का गुंबज काफी ऊँचा होने के कारण दूर से मंदिर दिखाई पड़ता है।

वीर तेजाजी महाराज का मंदिर

यह मंदिर गाँव के बीच में स्थित है जो कि राजकीय माध्यमिक विद्यालय के जस्ट पीछे है पास में ग्राम पंचायत स्थित है ! गाँव का सबसे लोकप्रिय मेला वीर तेजाजी के स्थान पर भरता है ! इस मंदिर के लिए पूरे गाँव का विशेष योगदान रहा है यह मंदिर टापरीवाला थोग के पास पड़ता है ! यहाँ पर नागदंश एवं जहरीले कीड़े के काटने पर उनका इलाज किया जाता है ! वीर तेजाजी महाराज किसी मुख्य व्यक्ति को भाव भरकर आता है जिस व्यक्ति को भाव आता है उसे राजस्थानी भाषा में गोठियाँ कहते है ! वर्तमान में वीर तेजाजी महाराज का गोठियाँ श्री ममताराम मीणा है जो नवयुवक है, इससे पहले का भूतपूर्व गोठियाँ श्री श्योजी राम मीणा था ! हाल ही में यहाँ पर पंचमुखी हनुमान मंदिर की गाँव द्वारा विधि विधान से स्थापना की गई है। वीर तेजाजी महाराज के प्रांगण मे बगीचीवाला, धूणीवाला, पंचमुखी हनुमान, पीपलीवाला, बाड़ेलीवाला एवं ऊत बाबा आदि देवी देवता विद्यमान है।

कालामाल जी का थड़ा

यह स्थान गाँव का सबसे चमत्कारी स्थान है जो कालमालजी ( Kalamal Ji ) के रूप में जाना जाता है। यह स्थान टापरीवाला क्षेत्र में पड़ता है इस स्थान पर चमत्कारिक देव कालमाल जी को मदिरा का भोग लगाया जाता है। कालमाल जी देव का विशेष दिन रविवार को माना जाता है। कहाँ जाता है कि सच्चे दिल जो भी व्यक्ति यहाँ पर माँगता है उसकी हर तमन्ना यहाँ पर पूरी होती है। यह ग्राम झोंपड़ा के बस स्टैंड के पास स्थित है। कालामाल जी देव की सवारी काले कुत्तें की मानी जाती है। यह देव शुरू से लेकर आज तक किसी भी व्यक्ति को भाव के रूप में नहीं आता और न ही इस देव का कोई गोठियाँ रहता। प्राचीन समय में चमत्कारों की वजह से इस जगह देवभूमि की स्थापना टापरीवाला वंश द्वारा की गई थी। आज भी रविवार के दिन टापरीवाला वंश में जन्मे बच्चों के जड़ूलें इसी जगह पर उतारे जाते है। जडूले को हिन्दी भाषा में मूंडन संस्कार कहते है।

हनुमान जी का मंदिर

इस मंदिर का द्वार दक्षिण दिशा की तरफ है। मंदिर के भीतर हनुमान जी की विशाल प्रतिमा स्थित है। यह मंदिर गाँव के बीच में ग्राम पंचायत व राजकीय माध्यमिक विद्यालय के पास में टापरीवाला थोग में पड़ता है ! यहाँ पर हनुमान जी की भव्य प्रतिमा है ! प्रतिमा पर हर मंगलवार एवं शनिवार के दिन चोला चढ़ाया जाता है। इस मंदिर में सुबह शाम हनुमान जी की आरती होती है वही हर रोज शाम को रामधुन का गायन होता है। इस मंदिर के अलावा हनुमान जी के दो मंदिर है ओर है- आडीबाट का बालाजी एवं पंचमुखी हनुमान मंदिर (वीर तेजाजी के पास)

गरीब नाथ योगी पीठ

शमशान घाट एवं नाथ मोहल्ले के पास स्थित गरीब नाथ योगी पीठ गाँव का बहुत प्रमुख स्थान है, कहाँ जाता है कि प्राचीन समय में सिद्ध पुरुषों ने इस जगह पर जीवत समाधि ली थी। प्राचीन समय में योगी, साधु, महात्मा इसी जगह पर निवास करते थे। यह स्थान भी बनास नदी के तट पर स्थित है, बनास नदी की तरफ से गाँव की शुरूआत यही से होती है। बाबा गरीब नाथ योगी पीठ के प्रांगण में भगवान शिव पंचायत के रूप मे विराजमान है वहीं प्रांगण के मुख्य द्वार के पास में मतवाला भैरू बाबा का छोटा सा स्थान है जहाँ पर भैरू बाबा को मदिरा का भोग लगाया जाता है। गरीब नाथ योगी पीठ के चारों तरफ गाँव द्वारा दीवार करवाई गई है, पास में पानी की टंकी की सुविधा भी उपलब्ध है। बाबा गरीब नाथ की सुबह शाम आरती गाई जाती है एवं शंख ध्वनि बजाई जाती है। गरीब नाथ का अखंड धूणा हमेशा प्रज्वलित रहता है।

हीरामन बाबा का स्थान

पशुओं एवं दुधारों जानवरों के रूप में प्रसिद्ध हीरामन बाबा का स्थान टापरीवाला थोग के पास पड़ता है। हर छोटे मोटे त्योहार पर बाबा को बस्ती द्वारा भोग लगाया जाता है। गाँव में जानवरों के दूध एवं घी से बाबा को ही सबसे पहले पूजा जाता है क्योंकि पशुओं के देवताओं के रूप मे हीरामन बाबा को विशेष स्थान प्राप्त है। हीरामन बाबा की कृपा से पशु दुध अच्छा देते है और सभी रोगों से मुक्त रहते है। जानवरों के खुशहाल एवं अच्छे दुधारों रहने के लिए गाँव के लोग बाबा हीरामन से कहीं रखते है और मनौतियाँ पूरी होने पर बाबा को पूजा जाता है और घी चढ़ाया जाता है। विशेषकर गाय एवं भैंसे बाबा की कृपा से अच्छी तरह से दूध देती है और धीना की घर में बरकत बनी रहती है।

अन्य प्रमुख मंदिर

अन्य प्रमुख मंदिरों में शीतला माता जी गुर्जर मोहल्ला, भैरू बाबा का मंदिर गुर्जर मोहल्ला, पार्वती स्थान बनास नदी, चीला वाला बाबा बनास नदी, घास भैरूजी टापरीवाला थोग, खेतरपाल जी महाराज टापरीवाला थोग, ऊँधी-सूँधी माता स्थान नाथ मोहल्ला की तरफ, माता जी का मंदिर बैरवा मोहल्ला, पीर बाबा टापरीवाला थोग के सामने, ठाकुरजी का मंदिर श्मशान रास्ता, शिव पंचायत स्थान बडीगवाडी थोग, ऊत बाबा स्थान बस स्टैंड आदि मंदिर गाँव झोंपड़ा गाँव में स्थित है।

हस्थकला[संपादित करें]

कुम्हारों द्वारा निर्मित मिट्टी के बर्तन यहां पर बनाए जाते हैं एवं बनास नदी की काली मिट्टी बर्तनों के लिए सर्वाधिक उपयुक्त है ! बढ़ई द्वारा लकड़ी के पलंग, खाँट, मचलें आदि वस्तुएँ बनाई जाती है। गाँव में सबसे बेहतरीन बढ़इयों में लड्डूलाल एवं बाबू लाल बढ़ई प्रमुख है।

मेले व उत्सव[संपादित करें]

ग्राम झोंपड़ा में वीर तेजाजी की बिंदोरी व मेला का आयोजन हर वर्ष किया जाता है ! चौथ का बरवाड़ा स्थित चौथ भवानी के मेले का उत्साह भी यहाँ देखने को मिलता है व इस दिन चूरमा -बाटी की विशेष रसोई बनाई जाती है और माता के आने वाले भक्तों के लिए निशुल्क भंडारे लगाएं जाते हैं ! गाँव में होली, दीपावली, मकर संक्रांति, गुडीपड़वा, अक्षय तृतीया, रक्षा बंधन ,गंगा दशमी, विजयदशमी, महाशिवरात्री, हरियाली, जन्माष्टमी, करवा चौथ, माघ चौथ, गणेश चतुर्थी, नवरात्रि उत्सव, राजस्थान स्थापना दिवस, सवाई माधोपुर स्थापना दिवस, झलझुलनी एकादशी, श्रावण माह शिव पूजा, ईद आदि पर्व हर्षोल्लास के साथ मनाएँ जाते हैं।

खेल रंगमंच[संपादित करें]

ग्राम पंचायत में विभिन्न प्रकार की खेल प्रतियोगिताएँ चलती रहती है। झोंपड़ा में हर वर्ष क्रिकेट प्रतियोगिता का आयोजन करवाया जाता है जिसमें पंचायत के बाहरी गाँवों से विभिन्न क्रिकेट टीमों को आमंत्रित किया जाता है।

संगीत[संपादित करें]

ग्राम पंचायत झोंपड़ा में सर्वाधिक मीणा गीतों का प्रभाव देखने को मिलता है। समय समय पर यहाँ कन्हैया दंगल भरवाये जाते रहते है। विवाह आदि समारोह पर मीणा समाज की महिलाएँ गीत गाते हुए देखना यहाँ की आम बात है। मीणा गीतों के अलावा ग्राम झोंपड़ा के मुख्य गायक कलाकारों में रामस्वरूप जोगी का नाम सर्वाधिक लोकप्रिय रहा है।

रामस्वरूप जोगी[संपादित करें]

इस गाँव के गायक कलाकार रामस्वरूप जोगी ने राजस्थान स्तर पर काफी प्रसिद्धि प्राप्त की है। रामस्वरूप जोगी ने शंकर पार्वती विवाह, राजा भृतहरी की कथा, बाबा रामदेव की कथा, नृसी जी रो माहिरो सहित बहुत सी कैसेट निकाली है। सबसे अधिक प्रसिद्धि इस गायक कलाकार ने शंकर पार्वती विवाह एवं राजा भृतहरी की कथा नामक कैसेट से मिली है। इस गायक कलाकार ने सवाई माधोपुर ही नहीं बल्कि उज्जैन से लेकर अलवर तक की जनता के दिलों पर राज किया, शंकर विवाह के लिए तो रामस्वरूप जोगी को मध्यप्रदेश एवं राजस्थान में काफी प्रसिद्धि मिली है। रामस्वरूप जोगी ने बाबा रामदेव की कथा पर गुजरात और राजस्थान में काफी लोकप्रियता बनाई है।

मीणा गीत[संपादित करें]

पंचायत में मीणा गीतों का सर्वाधिक प्रचलन पाया जाता है। मीणा समाज की महिला विशेष समारोह में गीतों पर नाँचती एवं गाती है। झोंपड़ा पंचायत में मीणा उच्छाटा, मीणा लाम्बा आदि गीतों के साथ कन्हैया दंगल भी समय समय पर भरवाए जाते हैं। गाँव स्तर पर कैलाश व्यास, भरतलाल जोगी, श्योजीनाथ आदि कई कलाकार भजन व शिव विवाह पर गाते रहते है। भरतलाल जोगी द्वारा वीर तेजाजी गीत बहुत अच्छा गाया जाता है। वही बगीना गाँव से दिलकुश मीणा ने मीणा गीतों पर बहुत अच्छी अच्छी कैसेट निकाली है।

भौगोलिकता[संपादित करें]

(१) कृषि एवं फसलें - सामान्य तौर पर ग्राम पंचायत में गेहूँ सरसों, ज्वार-बाजरा, मूँगफली, ऊड़द, मूंग, तिल, चना, अलसी, ग्वार आदि पैदा किए जाते है।
(२) पहाड़ एवं नदियाँ - झोंपड़ा गाँव में एक भी पर्वत नहीं है गाँव के समीप छोटा सा गाँव सिरोही में पर्वत देखने को मिलते हैं, यहाँ कि भाषा मे इन को डूंगर कहते हैं। ग्राम पंचायत में सबसे बड़ी प्रवाहित होने वाली बनास नदी है जो हमेशा बहती रहती है। बनास नदी के तट पर झोंपड़ा एवं बगीना गाँव बसे हुए है। बनास नदी के अलावा गलवा नदी बरसाती नदी है इस नदी के तट पर ग्राम पंचायत के नाहरीखुर्द, झड़कुंड एवं सिरोही गाँव बसे हुए है। बगीना गाँव में बनास नदी पर एनीकट बनने से बगीना गाँव का जलस्तर काफी बढ़ गया है जो किसानों के लिए अच्छी बात है। इनके अलावा पंचायत में गुल्या नामक नला भी बरसात के समय बहता है।
(३) खनिज संसाधन - ग्राम पंचायत में वैसे तो कोई खनिज उत्पादन नहीं किया जाता है मगर बनास नदी की बजरी का खनन किया जाता है, यहाँ से आस पास के गाँवों बजरी की सप्लाई की जाती है लेकिन वर्तमान में झोंपड़ा ग्राम ने बजरी खनन पर पूर्ण रोक लगा दी है, बजरी गाँव के कार्य हेतु बनास नदी से निकाली जाती है मगर दूसरे गाँवों में बजरी ले जाने पर प्रतिबंध है।
(४) पशुधन सम्पदा - सामान्य तौर पर ग्राम पंचायत में सभी पशु धन पाया जाता है, लेकिन महत्वता के आधार पर गाँव में बडवारी नस्ल की बकरियाँ, भैडो़ में मालपुरी नस्ल की भेडे़, गायों में देशी भारतीय गाय और भैंसो मे मुर्राह, हरियाणवी एवं दैसी भैंसे पाई जाती है ! राजस्थान के जहाज के रूप में प्रसिद्ध ऊँट भी यहाँ पर देखने को आसानी पूर्वक मिल जाता है ! वही बैलों द्वारा खेतों की जुताई हकाई की जाती है लेकिन वर्तमान में आधुनिक मशीनों की वजह से बैल एवं ऊँट कम होते जा रहे है।

जल संसाधन[संपादित करें]

  1. कुआँ - ग्राम पंचायत झोंपड़ा में सिंचाई के प्रमुख साधन कुएँ है, गाँव की 25% सिंचाई कुओं द्वारा ही की जाती है। बनास नदी के कारण हमेशा कुओं में जल की मात्रा अच्छी बनी रहती है। झोंपड़ा गांव का सबसे अच्छा पानी का कुआँ 'बड़ी कोठी' के नाम से जाना जाता है जो कि 'टापरी वाला थोग' के पास स्थित है। इस कुऐं का जल सर्दी में काफी गर्म और गर्मी में बहुत ठंडा रहता है।
  2. बोर - आधुनिक तौर में ग्राम पंचायत में बोरिंग की व्यवस्था बढ़ती जा रही है, अकेल झोंपड़ा गांव में सरकारी बोरिंगों की संख्या १० के करीब हो चुकी है, वहीं निजी बोरिंगो का औसतन 80% से भी ज्यादा है। झोंपड़ा गांव में करीब सरकारी हेंडपम्प 25 के करीब थे जो वर्तमान में अधिकत्तर संचालित नहीं है।
  3. नलकूप - वर्तमान में गांव में नलकूपों की व्यवस्था नहीं है लेकिन आगामी समय में यह व्यवस्था गांव बन जाऐगी।
  4. पुलिया - ग्राम पंचायत में सबसे बड़ी व लम्बी पुलिया बगीना गांव में बनास नदी पर बनी हुई है। इस पुलिया के बाद सिरोही गांव में गलवा नदी पर पुलिया बनी हुई है।
  5. तालाब - ग्राम पंचायत में एकमात्र तालाब सिरोही गांव में पड़ता है, जो जानवरों के लिए उपयोगी होता है।

जातिगत विवरण[संपादित करें]

मीणा/मीना जनजाति[संपादित करें]

ग्राम पंचायत झोंपड़ा में मीणा जनजाति का सर्वाधिक वर्चस्व है, मीणा जनजाति में साधारण जीवन एवं उच्च विचार वाली प्रवृत्ति पंचायत में देखने को मिलती है। ग्राम पंचायत में मीणा जनजाति के तीन गौत्र मुख्य है, नारेड़ा, ताजी एवं झूरवाल। इनके अलावा बारवाल गौत्र भी पंचायत में देखने को मिलता है। 'मीणा का शाब्दिक अर्थ मत्स्य या मछली होता है। पौराणिक मान्यताओं के अनुसार मीणा जनजाति का संबंध भगवान मत्स्यावतार से है ! सम्पूर्ण पंचायत में जमीदार मीणा निवास करते है। मीणा जनजाति को 24 खापों में विभाजित किया गया है। ग्राम पंचायत में मीणा जनजाति के बहिभाट को जागा कहते हैं और जागा के अनुसार मीणा जनजाति 32 तड़ तथा 5200 गौत्रों में विभाजित है। मीणा जाति में संयुक्त परिवार प्रणाली पायी जाती है। यहाँ स्त्री और पुरुष सभी मिलकर काम करते है वहीं मीणा स्त्रियाँ बहुत परिश्रमी, साहसी एवं धैर्यशील होती है। झोंपड़ा पंचायत में मीणा समाज में पटेल का बड़ा महत्व होता है और गाँव का पटेल पंच-पटेल कहलाता है। मीणा जाति में बहन के पति का विशेष सत्कार किया जाता है इसके अलावा अन्य संबंधों का भी आदरपूर्वक निर्वाह किया जाता है। गोद लेने के संबंध में निकटतम संबंधी को वरीयता दी जाती है। मीणा जनजाति में पितृवंशीय परम्परा पायी जाती है। मीणा जनजाति के लोग हिन्दू धर्मावलंबी होते है, ये लोग दुर्गा एवं शिव जी की विशेष पूजा करते है। ये लोग पित्तरो को जलतर्पण भी करते है। झोंपड़ा पंचायत के मीणों का मुख्य व्यवसाय कृषि एवं पशु पालन है। आरक्षण नीति का झोंपड़ा पंचायत के मीणों ने अच्छा लाभ उठाया है और वे कई पदों पर कार्यरत है।

अन्य जातियाँ[संपादित करें]

गुर्जर - जाति भी पंचायत की मुख्य जाति है। इस जाति का आराध्य देव भगवान देवनाराण है, जिन्होंने शाडू माता की कोख से जन्म लिया था। भगवान देव नारायण का चौथ का बरवाड़ा में भव्य मंदिर स्थित है। इस जाति के लोग सर्वाधिक पूजा कृष्ण भगवान की करते है। यह जाति शुरू से सम्पन्न एवं विकसित जाति है। ग्राम पंचायत झोंपड़ा में इस जाति का प्रतिशत भी बहुत कम है। गुर्जर जाति में भाई चारे के साथ रहने की परम्परा है वहीं इस जाति में गोठे नामक गीतों का शुरू से प्रचलन चलता आया जो वर्तमान में भी जारी है।

योगी - यह जाति झोंपड़ा गाँव में निवास करती है जो योगी समाज में आती है। इस जाति के रामस्वरूप जोगी ने झोंपड़ा पंचायत का गायन कला में राजस्थान स्तर पर काफी नाम चमकाया है, रामस्वरूप की प्रमुख कैसेट्स में शंकर पार्वती विवाह , राजा भृतहरी की कथा , बाबा रामदेव की कथा एवं नृसी जी रो माहिरो आज सम्पूर्ण राजस्थान में काफी लोकप्रिय है। इस जाति के लोग भगवान शिव माता पार्वती और गोरक्षनाथ के उपासक होते है।

प्रजापत - पंचायत में प्रजापतों की संख्या बहुत कम है। इस जाति के लोगों का व्यवसाय मिट्टी के बर्तन बनना है। ये लोग हिन्दू धर्म सभी देवी देवताओं को मानने वाले होते है।

केवट - इस जाति के लोग नौका चलाकर जीवन यापन करते थे लेकिन वर्तमान में पंचायत में इस जाति की संख्या 5 घर तक ही सीमित है। इस जाति के लोग पंचायत में सब्जी बेचकर एवं दूसरे व्यवसाय करके जीवन यापन कर रहे है।

बैरवा - ग्राम पंचायत में बैरवा समाज भी बहुत कम संख्या में मिलते है वर्तमान में जो भी बैरवा है वो गाँव में मेहनत से पैसे कमाकर अपना निर्वाह कर रहे है। बैरवा समाज माता दुर्गा का उपासक होता है ! इस जाति के लोग बड़े ही ईमानदार एवं भोलेभाले लोग होते है।

नाई - ग्राम पंचायत में नाई जाति के लोग भी रहते है जो गाँव के लोगों की दाढ़ी एवं बाल की कटाई करते है और जजमानी का कार्य भी करते है, यह लोग पंचायत में मीणा समाज के विवाह एवं महत्वपूर्ण कार्य में जजमानी का कार्य करते है और उनकी दी हुई दक्षिणा पर निर्भर रहकर जीवन का निर्वाह करते है। इस जाति के लोग भगवान विश्वकर्मा के उपासक होते है।

ब्राह्मण - ब्राह्मण जाति के लोग भी पंचायत में मीणा समाज के महत्वपूर्ण कार्यों में जजमानी का कार्य करते है और दान दक्षिणा लेकर अपना जीवन यापन कर रहे है। इस जाति के लोग वर्तमान में पंचायत में बहुत गरीब स्तर के लोग हैं। यह जाति शुरूआत में बहुत सम्पन्न जाति थी। इस जाति के लोग भगवान विष्णु एवं शिव को सर्वाधिक मानते है।

राव - इस जाति के लोगों का जीवन भी जजमानी कार्य करता है एवं महत्वपूर्ण कार्यों में ढ़ोल बजाने का काम भी राव जाति के लोग ही करते है। पंचायत में इस जाति के लोग नगण्य के बराबर है।

हरिजन - पंचायत में इस जाति की संख्या भी बहुत कम है ये लोग बस्ती की दी हुई दान दक्षिणा पर निर्भर रहते है एवं बस्ती के हित में ही हमेशा कार्य करते है। इस जाति के लोग हिन्दू धर्म के सभी देवी देवताओं की पूजा करते है।

राजपूत - पंचायत में इस जाति की संख्या झड़कुंड गाँव में पाई जाती है ये लोग भी वर्तमान में मेहनत मजदूरी करके अपना जीवन निर्वाह कर रहे है। इस जाति के लोग भगवान राम को सर्वाधिक मानते है वहीं सभी देवी देवताओं को भी पूजते है।

शैक्षणिक एवं प्रशासनिक सुविधा[संपादित करें]

शिक्षा के क्षेत्र में झोंपड़ा पंचायत धीरे धीरे प्रगतिशील है। वर्तमान में इस पंचायत का शिक्षा स्तर 60.34 प्रतिशत के लगभग है। पंचायत का सबसे बड़ा विद्यालय झोंपड़ा गाँव में स्थित है जो 12वीं तक है। झोंपड़ा पंचायत में 12 वीं तक का विद्यालय है। 12वीं कक्षा के बाद विद्यार्थी सवाई माधोपुर, चौथ का बरवाड़ा में पढ़ने के लिए जाते हैं। गाँव में शिक्षा के क्षेत्र में सबसे पिछड़ा हुआ गाँव नाहरीखुर्द एवं झड़कुंड है। गांव में सबसे पहले मेथ मेटिक्स विषय में पढ़ाई करने वाले व्यक्ति श्री रामधन मीना आई.टी.आई.इन्स्ट्रक्टर हैं. गाँव के सबसे पहले सरकारी कर्मचारियों में मोतीलाल जी मीणा एवं भजनलाल जी मीणा का नाम मिलता है। सिरोही गाँव में पाँचवीं कक्षा के बाद विद्यार्थी झोंपड़ा गाँव में अध्ययन हेतु आते है। ग्राम पंचायत झोंपड़ा में निम्न विद्यालय कार्यरत है :-
 • राजकीय उच्च माध्यमिक विद्यालय , झोंपड़ा
 • राजकीय उच्च प्राथमिक विद्यालय, बगीना
 • राजकीय प्राथमिक विद्यालय, सिरोही
 • राजकीय प्राथमिक विद्यालय, नाहरी खुर्द&झड़कुंड
 • राजकीय प्राथमिक संस्कृत विद्यालय , झोंपड़ा

[१] - ग्राम पंचायत में दो उपस्वास्थ्य केन्द्र है जो पंचायत के झोंपड़ा एवं बगीना गाँव में स्थित है।
[२] - झोंपड़ा ग्राम पंचायत के झोंपड़ा, बगीना, नाहरीखुर्द एवं झड़कुंड गाँव चौथ का बरवाड़ा पुलिस स्टेशन के अंतर्गत आते है वहीं पंचायत का सिरोही गाँव नवनिर्मित सूरवाल पुलिस स्टेशन के अंतर्गत आता है। वैसे देखा जाए तो चौथ का बरवाड़ा पुलिस स्टेशन ही गाँव का सबसे नजदीकी थाना है और सिरोही गाँव के लिए सूरवाल थाना का सफर दुगना है।
[३] - ग्राम पंचायत झोंपड़ा में तीन आँगनबाड़ी केन्द्र कार्यरत है इनमें से दो आँगनबाड़ी केन्द्र झोंपड़ा गाँव में और एक आँगनबाड़ी केन्द्र बगीना गाँव में स्थित है।
[४] - झोंपड़ा पंचायत के सरपंच चुनावों की मतगणना झोंपड़ा गाँव में ही की जाती है एवं बगीना,नाहरीखुर्द, सिरोही एवं झड़कुंड गाँवों की वोटिंग भी झोंपड़ा गाँव में ही की जाती है। चारों गाँवों का पोलिंग बूथ झोंपड़ा गाँव में स्थित है।
[५] - ग्राम पंचायत की सभी विद्यालयों का नोडल केन्द्र झोंपड़ा गाँव की राजकीय उच्च माध्यमिक विद्यालय को बनाया गया है।
[६] - ग्राम पंचायत में पाँच सामुदायिक भवन बने हुए है इन में तीन सामुदायिक भवन झोंपड़ा गाँव में, एक बगीना गाँव में और एक सामुदायिक भवन सिरोही गाँव में स्थित है।

यातायात[संपादित करें]

ग्राम झोंपड़ा जिला मुख्यालय सवाई माधोपुर से 32 किलोमीटर पश्चिम दिशा की ओर पड़ता है ग्राम झोंपड़ा के लिए सवाई माधोपुर जिले से पोस्ट ऑफिस के सामने से सीधे बस सुविधा उपलब्ध है जिला मुख्यालय सवाई माधोपुर से बस निम्न गाँवों में होती हुई जाती है सवाई माधोपुर, चकचैनपुरा, करमोंदा, सूरवाल , सिणोली, बंधा, भगवतगढ़ , सिरोही एवं झोंपड़ा। सवाई माधोपुर से सूरवाल तक बस मेगा हाईवे पर चलती है बाद में सूरवाल से झोंपड़ा के लिए ग्रामीण रोड़ जा रहा है ! ग्राम झोंपड़ा तहसील मुख्यालय चौथ का बरवाड़ा से 12 किलोमीटर उत्तर दिशा की ओर पड़ता है ! चौथ का बरवाड़ा से भैडोला गाँव होते हुए जगमोंदा होकर पक्के सड़क मार्ग से झोंपड़ा गाँव पहुँचा जा सकता है। जयपुर से झोंपड़ा गाँव की दूरी 103 किलोमीटर है।

निकटतम गाँव[संपादित करें]

  1. भगवतगढ़ - भगवतगढ़ नामक कस्बा झोंपड़ा गांव से ८ किलोमीटर दूर स्थित है जो पक्के सड़क मार्ग से जुड़ा हुआ है। भगवतगढ़ में अरणेश्वर महादेव के सप्त कुंड यहाँ के प्रमुख पर्यटन स्थलों में से एक है।
  2. चौथ का बरवाड़ा - यह शहर झोंपड़ा गांव से १२ किलोमीटर की दूरी पर स्थित है, जो झोंपड़ा गांव से पक्के सड़क मार्ग से जुड़ा हुआ है। चौथ का बरवाड़ा में राजस्थान प्रसिद्ध एवं भारत का सबसे प्राचीन और सबसे बड़ा चौथ माता का भव्य मंदिर है। चौथ माता झोंपड़ा गांव के नारेड़ा गौत्र के मीणों की कुलदेवी के रूप में जानी जाती है। चौथ माता मंदिर के अलावा बरवाड़ा में भगवान मत्स्यावतार अर्थात मीन भगवान का मंदिर, भगवान देवनारायण का मंदिर, राजराजेश्वर शिव मंदिर, चौथ का बरवाड़ा का किला आदि प्रमुख पर्यटन स्थल है।
  3. शिवाड़ - झोंपड़ा गांव से १४ किलोमीटर दूर भारत का विवादित १२वाँ ज्योतिर्लिंग स्थित है। घुश्मेश्वर नाम से प्रसिद्ध यह ज्योतिर्लिंग यहाँ का प्रमुख पर्यटन स्थल है। महाशिवरात्री के दिन यहाँ पर विशाल मेले का आयोजन किया जाता है।
  4. पीपलवाड़ा - यह गांव झोंपड़ा से महज ८.४ किलोमीटर की दूरी पर स्थित है जो कि बौंली तहसील का प्रमुख गांव है। झोंपड़ा गांव से पीपलवाड़ा के लिए पक्का सड़क बना हुआ है लेकिन बनास नदी में कोई ब्रिज नहीं बनने के कारण बरसात के दिनों में यह रास्ता बंद रहता है।
  5. मांगरोल - ग्राम झोंपड़ा से मांगरोल गांव की दूरी ९.६ किलोमीटर है। मांगरोल गांव एक छोटा सा गांव है, यहाँ का हनुमान मंदिर काफी प्रसिद्ध एवं पुराना मंदिर है।
  6. राठोद - झोंपड़ा एवं राठोद गांव पड़ोसी गांव है यह गांव गुर्जर जाति का प्रमुख गांव है। झोंपड़ा एवं राठोद गांव के बीच में से बनास नदी गुजरती है। भगवतगढ़ या सवाई माधोपुर जाने के लिए राठोद गांव के लोग झोंपड़ा गांव होते हुए जाते हैं। यहाँ का तेजाजी महाराज का मंदिर बहुत चमत्कारी मंदिर है।
  7. भैडोला - झोंपड़ा एवं चौथ का बरवाड़ा सड़क मार्ग पर भैडोला गांव पड़ता है। झोंपड़ा गांव से भैडोला गांव की दूरी ९ किलोमीटर के लगभग है।
  8. बंधा - यह गांव झोंपड़ा से १२.८ किलोमीटर की दूरी पर स्थित है। इस गांव के नाम से ही यहाँ पर बंधा नामक झील बनी हुई है जो मछली उत्पादन के लिए यहाँ की सबसे मशहूर झील है। बंधा गांव मीणा एवं योगी समाज का यहाँ का प्रमुख गांव है। राजनीतिक व्यक्ति के रूप में यहाँ के जमनालाल जी मीणा व रामफूल मीणा काफी लोकप्रिय है।
  9. ईसरदा - यह ऐतिहासिक गाँव झोंपड़ा गांव से 14 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है। इस गांव के चारों तरफ ऐतिहासिक परकोटा बना हुआ है। जयपुर के अधिकतर राजा यही से गए हुए थे। यहाँ पर शिवमहापुराण में वर्णित 'ईश्वरेश्वर शिव लिंग' आज भी मौजूद है।
  10. अन्य गाँव - अन्य गाँवों में सारसोप, बगीना, जौंला, क्यावड़, लोरवाड़ा, अभयपुर, टापूर, ऐचेर, सिरोही, आदलवाड़ा, डेकवा, निमोद, कराड़ी, जगमोंदा, शेरसिंहपुरा, बागड़ोली, सहरावता, बहनोली, गुड़लाचंदन, नाहरीखुर्द, झड़कुंड आदि गाँव झोंपड़ा गांव के पड़ोसी गांव है। जौंला व लोरवाड़ा का तेजाजी मंदिर, ईटावा व दोबड़ा का बालाजी मंदिर, सारसोप का भैरूजी मंदिर यहाँ के प्रमुख सराहनीय आस्था के केंद्र है।

सन्दर्भ[संपादित करें]