झांसी का किला
झांसी का किला | |
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बुंदेलखण्ड का भाग | |
झांसी, उत्तर प्रदेश, भारत | |
2009 में झांसी का किला | |
निर्देशांक | 25°27′29″N 78°34′31″E / 25.4581258°N 78.5753775°E |
ऊँचाई | 285 मीटर |
स्थल जानकारी | |
स्वामित्व | भारत सरकार |
जनता प्रवेश | हाँ (सुबह 7 से शाम 6 बजे तक) |
दशा | अच्छी हालत में |
स्थल इतिहास | |
सामग्री | पत्तर, चूना |
युद्ध/संग्राम | झाँसी की लड़ाई |
दुर्गरक्षक जानकारी | |
निवासी | पेशवा |
उत्तर प्रदेश राज्य के झाँसी में बंगरा नामक पहाड़ी पर १६१३ ईस्वी में यह दुर्ग ओरछा के बुन्देल राजा बीरसिंह जूदेव ने बनवाया था। २५ वर्षों तक बुंदेलों ने यहाँ राज्य किया उसके बाद इस दुर्ग पर क्रमश: मुगलों, मराठों और अंग्रेजों का अधिकार रहा। मराठा शासक नारुशंकर ने १७२९-३० में इस दुर्ग में कई परिवर्तन किये, जिससे यह परिवर्धित क्षेत्र 'शंकरगढ़' के नाम से प्रसिद्ध हुआ। १८५७ के स्वतंत्रता संग्राम में इसे अत्यधिक महत्वपूर्ण स्थान प्राप्त हुआ।
१९३८ में यह किला केन्द्रीय संरक्षण में लिया गया। यह दुर्ग १५ एकड़ में फैला हुआ है। इसमें २२ बुर्ज और दो तरफ़ रक्षा खाई हैं। नगर की दीवार में १० द्वार थे। इसके अलावा ४ खिड़कियाँ थीं। दुर्ग के भीतर बारादरी, पंचमहल, शंकरगढ़, रानी के नियमित पूजा स्थल शिवमंदिर और गणेश मंदिर जो मराठा स्थापत्य कला के सुन्दर उदाहरण हैं।
कूदान स्थल, कड़क बिजली तोप पर्यटकों का विशेष आकर्षण हैं। फांसी घर को राजा गंगाधर के समय प्रयोग किया जाता था जिसका प्रयोग रानी ने बंद करवा दिया था।
किले के सबसे ऊँचे स्थान पर ध्वज स्थल है जहाँ आज तिरंगा लहरा रहा है। किले से शहर का भव्य नज़ारा दिखाई देता है। यह किला भारतीय पुरातत्व विभाग के संरक्षण में है और देखने के लिए पर्यटकों को टिकट लेना पड़ता है। यहां सड़क तथा रेलमार्ग दोनों से पहुँचा जा सकता है।
बाहरी कड़ियाँ[संपादित करें]
झाँसी के किला के बारे में रोचक तथ्य
सन्दर्भ[संपादित करें]
झाँसी का किला https://www.janoisko.com/2021/06/intresting-facts-about-jhansi-fort.html