जोधा सिंह अटैया

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प्रारंभिक जीवन और परिग्रहण[संपादित करें]

राणा महाराज सिंह गौतम के पुत्र राणा जोधा सिंह गौतम ने एक ऐसे परिवार के वंशज के रूप में इस दुनिया में प्रवेश किया, जिसे अर्गल के महाराजा वीर सिंह देव से राणा की उपाधि प्राप्त करने के लिए पर्याप्त सम्मान दिया गया था। महाराजा ने जोधा सिंह जी के पूर्वजो को को खजुआ की जागीर प्रदान की, जिससे उनकी स्थिति और प्रभाव में और वृद्धि हुई.[1][2]

अंग्रेजो से युद्ध[संपादित करें]

देश की आजादी के लिए हजारों आजादी के मतवालों ने जान कुर्बान की थी। इन्हीं में से थे शहर से 50 किमी दूर स्थित खजुआ ब्लॉक के रसूलपुर गांव निवासी जोधा सिंह अटैया। उन्होंने महज 20 साल की उम्र में अंग्रेजों के खिलाफ हथियार उठाया और एक समूह बनाकर अंग्रेजो को चुन-चुन कर मारा। जोधा सिंह पहले क्रांतिकारी थे, जिन्होंने गुरिल्ला युद्ध के जरिए अंग्रेजों के नाक में दम कर रखा था। रसूलपुर (पधारा) निवासी कुंवर सुखराम सिंह गौतम जो जोधा सिंह के परिवार से हैं, ने बताया कि ताया को मौत से डर नहीं लगता था। वह अक्सर कहा करते थे कि जोधा गुलामी में पैदा तो जरूर हुआ है, लेकिन आजादी के बाद ही मरेगा। जोधा सिंह ने 9 दिसंबर 1857 को अंग्रेज सरकार की तहसील जहानाबाद को अपने 51 साथियों के साथ घेर लिया। मुठभेड़ के दौरान अंग्रेजों के दो दर्जन पुलिसवाले मारे गए।जोधा सिंह ने इस दौरान तहसीलदार को बंधक बना लिया और पूरा खजाना लूट लिया। इतना ही नहीं जोधा सिंह तहसीलदार का अपहरण कर ले गए और फिरौती के तौर पर अंग्रेजों से पूरी तहसील के किसानों की लगान माफ करवाई थी।

बाहरी कड़ियाँ[संपादित करें]

  1. Sushant Singh Gautam Pahadpur. Argal Rajya Ka Itihas Part 1 By Shiv Singh Chauhan.
  2. Sushant Singh Gautam Pahadpur. Argal Rajya Ka Itihas Part 1 By Shiv Singh Chauhan.