जॉन बेट्स क्लार्क
जॉन बेट्स क्लार्क एक बहुत ही प्रसिद्ध अमेरिकी अर्थशास्त्री थे। वे अपनी ज़ादातर ज़िन्द्गी को कोलंबिया विश्वविद्यालय में प्रोफेसर के रूप में बिताया था।
जन्म
[संपादित करें]उन्का जन्म प्रोविडेंस, रोड आइलैंड में हुआ था। वे वहिन पर बङे हुए थे। उन्होंने एमहर्स्ट कॉलेज, मैसाचुसेट्स से स्नातक की उपाधि प्राप्त करी थी। वे उस समय २५ बरस के थे। वे जनवरी २६, १८४७ - २१ मार्च - गई, १९३८ तक जीये थे।
शिक्षा
[संपादित करें]उन्होंने ब्राउन विश्वविद्यालय और एमहर्स्ट कॉलेज से अपनी पढाई खतम करी थी। वे फिर हीडलबर्ग, जर्मनी, और ज्यूरिख, स्विट्जरलैंड में भी पढने गये थे। वे अमेरिका से लौटने के बाद कोलम्बिया विश्वविद्यालय के कार्लटन, स्मिथ, और एमहर्स्ट कॉलेजों में पढाने लगे।
जीवन
[संपादित करें]वे जीवन भर चर्च के सद्स्य रहे थे। उन्के पूर्वज किसान और व्यापारी थे जो[1] अर्थशास्त्र के बारे में बहुत कुछ जानते थे और उनका ग्यान उन्के हि वजह से बढ़ा। उनका ध्यान इस विशय में उनके ही कारण और भि ज़्यादा बङा।
योगदान
[संपादित करें]उन्होंने अर्थशास्त्र में अनेक विषयों पर अनेक सामग्री उत्पादित करी है। उन्होंने अनेक विशयों जैसे सीमांत उपयोगिता सिद्धांत पर बहुत लिखा है। उनके सारे लेखों में इस विशय पर बहुत चरचा करी गयी है। उनका अर्थशास्त्र में योगदान बहुत ज़रूरी साबित हुआ है। क्लार्क अमेरिकी आर्थिक एसोसिएशन (जिसमें से वह राष्ट्रपति, १८९३-१८९५ था) के संस्थापकों में से एक था। वे अनेक जाने माने अर्थशास्त्री के साथ काम कर चुके थे जैसे अल्फ्रेड मार्शल। उन्होंने अनेक विशयों पर उनके साथ काम किया है। १८९५ में उन्होंने कोलंबिया विश्वविद्यालय में राजनीति विज्ञान संकाय में शामिल हुए जो हाल ही में स्थापित हुआ था। उनका अधिक परिपक्व काम, उनके कोलंबिया जाने के बाद दिखाई देता है। वे इस बात से आश्वस्त थे कि युद्ध मानव भाग्य के लिए सबसे बड़ा खतरा था, वह शांति आंदोलन में एक तेजी से सक्रिय भाग लिया। वे फिर तर्राष्ट्रीय शांति के लिए कार्नेगी एंडोमेंट के मुखिया बने जो १९११ मेइन स्थपित हुआ था। उन्होंने वहाँ १९२३ तक काम किया जब तक वे सेवानिवृत्ति नहिं हुए। उनका मानना था कि श्रमिकों यूनियनों का संरक्षण जरूरत है और हर आदमी को जीने का अधिकार है, विशेष रूप से अगर सामाजिक रूप से उत्पन्न समायोजन उसे कमाई करने से रोका करती हैं। वे अपने धार्मिक विश्वासों के कारण सामाज में प्रस्तुत वआर्थिक "जाति व्यवस्था" की निंदा कीया करते थे। वे अपने सिद्धांत में सामाजिक पूंजी और कैपिटल पूंजी के बीच का अंतर बताते हैं। वे अपनी कुछ पुस्तकों में पर्याप्त शक्ति और संकल्प के साथ राष्ट्र के एक लीग के लिए शांति लागू करने के लिए एक संक्षिप्त याचिका भी लिख चुके हैं।
पुस्तकें
[संपादित करें]१) द फलसफा ऑफ वेल्थ: इकनोमिक प्रिंसिपल्स न्यूली फॉर्मूलेटेड (१८८६) २) कैपिटल एंड इट्स एअर्निंग्स. अमेरिकन इकनोमिक एसोसिएशन मोनोग्राफ्स, भाग। ३, नो। २ (१८८८) ३) द डिस्ट्रीब्यूशन ऑफ वेल्थ: अ थ्योरी ऑफ़ वजस, इंटरेस्ट एंड प्रॉफ़िट्स (१९०२) ४) द कण्ट्रोल ऑफ़ ट्रस्ट्स (१९१२) ५) एसएनटिल्स ऑफ़ इकनोमिक थ्योरी अस एप्लाइड तो मॉडर्न प्रोब्लेम्स ऑफ इंडस्ट्री एंड पब्लिक पालिसी (१९०७) ६) सोशल जस्टिस विथौत सोशलिज्म (१९१४) ७) अ टेंडर ऑफ़ पीस: थे टर्म्स व व्हिच सिविलिज़ेद नेशन्स कैन, इफ थेय विल, अवॉयड वारफेयर (१९३५) ८) द प्रॉब्लम ऑफ़ मोनोपोली: या स्टडी ऑफ़ अ ग्रेव डेंजर एंड ऑफ़ थे नेचुरल मोड ऑफ़ अवेर्टिंग आईटी (१९०४)[2]
सन्दर्भ
[संपादित करें]- ↑ "संग्रहीत प्रति". मूल से 9 जुलाई 2016 को पुरालेखित. अभिगमन तिथि 5 नवंबर 2016.
- ↑ "संग्रहीत प्रति". मूल से 12 अप्रैल 2016 को पुरालेखित. अभिगमन तिथि 5 नवंबर 2016.
बाहरी कड़ियाँ
[संपादित करें]जॉन बेट्स क्लार्क से संबंधित मीडिया विकिमीडिया कॉमंस पर उपलब्ध है। |
- प्रोजेक्ट गुटेनबर्ग पर John Bates Clark की रचनाएँ
- Works by John Bates Clark, at JSTOR
- Works by John Bates Clark, at Hathi Trust
- Works by John Bates Clark, at Unz.org
- New School: John Bates Clark, 1847–1938
- जॉन बेट्स क्लार्क at Find a Grave