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जैन धर्म में शुभ सपने

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जैन धर्म में सोलह शुभ सपने

शुभ सपनों को अक्सर जैन धर्म के ग्रंथों में वर्णित किया जाता है, जो बच्चे के गुणों की भविष्यवाणी करते है। उनकी संख्या अलग-अलग परंपराओं के अनुसार भिन्न होती है और वे अक्सर चौदह या सोलह सपनों के रूप में वर्णित किये जाते हैं। वे गुणों का वर्णन करते हैं और भविष्य के बच्चे के शासन के रूप में व्याख्या करते हैं। वे विभिन्न कलात्मक मीडिया में एक अलंकरण के रूप में भी पाए जाते हैं।[1][2]

महत्त्व

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कल्पसूत्र के अनुसार भविष्यवाणी
सपनों की संख्या भविष्यवाणी
१४ सपने भविष्य के तीर्थंकर या चक्रवर्ती (सार्वभौमिक सम्राट) का जन्म
१४ सपनों में से ७ भविष्य के वासुदेव का जन्म
१४ सपनों में से ४ भविष्य के बलदेव/बलभद्र का जन्म
१४ सपनों में से १ भविष्य के माण्डलिक (राजा) का जन्म

इन सपनों का कलात्मक मीडिया में प्रतीकीकरण होता हैं और ये इनमें पाया जाते हैं, जैसे कि पाण्डुलिपियों में चित्र और इसके कवर, किताबें, पत्थर के नक्काशियों में सजावट, निमंत्रण स्क्रॉल और मंदिर के फर्नीचर।

इन्हें भी देखें

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सन्दर्भ

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  1. Jain, Vijay K. (2015-01-01). Acarya Samantabhadra’s Svayambhustotra: Adoration of The Twenty-four Tirthankara. Vikalp Printers. ISBN 978-81-903639-7-6.
  2. Pruthi, Raj (2004). Jainism and Indian Civilization (in अंग्रेज़ी). Discovery Publishing House. ISBN 978-81-7141-796-4.

बाहरी कड़ियाँ

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