जेरोम के. जेरोम
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जेरोम क्लैप्का जेरोम (2 मई 1859 – 14 जून 1927) एक अंग्रेज़ी लेखक और हास्यकार थे, जिन्हें उनकी हास्य यात्रा-वृत्तांत थ्री मेन इन ए बोट (1889) के लिए जाना जाता है। उनकी अन्य प्रमुख कृतियों में आइडल थॉट्स ऑफ़ एन आइडल फ़ेलो (1886) और थ्री मेन ऑन द बम्मेल (1900) शामिल हैं।
जेरोम के लेखन की सबसे खास विशेषता उनकी सहज हास्य शैली थी, जो समाज, मानव स्वभाव और यात्रा अनुभवों पर आधारित थी। उन्होंने अपनी रचनाओं में व्यंग्य और हल्के-फुल्के हास्य का अद्वितीय मिश्रण प्रस्तुत किया, जिससे वे अपने समय के सबसे लोकप्रिय लेखकों में से एक बन गए। उनकी लेखनी में सरलता और वास्तविकता झलकती है, जिससे पाठक उनके पात्रों से जुड़ाव महसूस करते हैं। उनके कार्यों का कई भाषाओं में अनुवाद किया गया और वे आज भी दुनिया भर के पाठकों द्वारा पढ़े और सराहे जाते हैं।
प्रारंभिक जीवन
[संपादित करें]जेरोम क्लैप्का जेरोम का जन्म 2 मई 1859 को इंग्लैंड के स्टैफ़र्डशायर के वाल्साल में बेलसाइज हाउस, 1 काल्डमोर रोड पर हुआ था। वे अपने माता-पिता, मार्गरेट जोंस और जेरोम क्लैप (बाद में जेरोम क्लैप्का जेरोम) की चौथी संतान थे। उनके पिता एक लोहार, वास्तुकार और उपदेशक थे, जिन्होंने अपना अधिकांश जीवन एक गैर-अनुयायी उपदेशक के रूप में बिताया। उनकी माता मार्गरेट वेल्श मूल की थीं। जेरोम की दो बहनें थीं: पॉलिना डियोडेटा क्लैप और ब्लांडिना डोमेनिका क्लैप, और एक भाई, मिल्टन मेलैंक्थन क्लैप, जिनका कम उम्र में निधन हो गया था।

जेरोम के पिता ने परिवार को वाल्साल में बसाया, जहाँ उन्होंने अपना स्वयं का चैपल बनाया और एक बड़े और वफादार अनुयायी समूह को आकर्षित किया। हालांकि, परिवार की आर्थिक स्थिति स्थिर नहीं थी, और जब जेरोम केवल दो वर्ष के थे, तब उनके पिता के कुछ असफल निवेशों के कारण परिवार गरीबी में चला गया। इस आर्थिक संकट के चलते, परिवार को अपना घर छोड़ना पड़ा, और जेरोम का बचपन कठिन परिस्थितियों में बीता।
जब जेरोम 13 वर्ष के थे, तब उनके पिता का निधन हो गया, और दो वर्ष बाद, उनकी माता का भी देहांत हो गया। इन परिस्थितियों ने जेरोम को 14 वर्ष की आयु में स्कूल छोड़ने के लिए मजबूर किया, ताकि वे परिवार की आर्थिक सहायता कर सकें। उन्होंने विभिन्न नौकरियाँ कीं, जैसे रेलवे क्लर्क, शिक्षक, अभिनेता और पत्रकार। इन विविध अनुभवों ने उनकी लेखनी को समृद्ध किया और उनके हास्यबोध को विकसित करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई।
जेरोम के जीवन के ये प्रारंभिक संघर्ष और विविध अनुभव उनकी रचनाओं में झलकते हैं, जहाँ उन्होंने समाज, मानव स्वभाव और जीवन की विडंबनाओं को हास्यपूर्ण ढंग से प्रस्तुत किया है। उनकी लेखनी में उनकी व्यक्तिगत चुनौतियों और अनुभवों की छाप स्पष्ट रूप से दिखाई देती है, जो उन्हें अपने समय के प्रमुख हास्यकारों में से एक बनाती है।
अभिनय करियर
[संपादित करें]जेरोम के. जेरोम का अभिनय करियर उनके साहित्यिक करियर से पहले था। 1879 में, 20 वर्ष की उम्र में, उन्होंने एक अभिनेता के रूप में अपने करियर की शुरुआत की। उन्होंने विभिन्न नाटकों में अभिनय किया और इंग्लैंड के विभिन्न हिस्सों में प्रदर्शन किए। हालांकि, अभिनय में स्थिरता की कमी के कारण, उन्होंने 1884 में इसे छोड़ दिया और लेखन की ओर रुख किया।
लेखन करियर
[संपादित करें]थ्री मेन इन ए बोट से पूर्व
[संपादित करें]अभिनय छोड़ने के बाद, जेरोम ने पत्रकारिता, निबंध लेखन, व्यंग्य और लघु कथाएँ लिखने का प्रयास किया, लेकिन अधिकांश अस्वीकृत हो गईं। कुछ समय बाद, उन्होंने शिक्षक, पैकर और वकील के सहायक के रूप में भी कार्य किया। 1885 में, उनकी पुस्तक 'ऑन द स्टेज—एंड ऑफ़' प्रकाशित हुई, जो उनके अभिनय अनुभवों पर आधारित थी। इसके बाद, 1886 में 'आइडल थॉट्स ऑफ़ एन आइडल फ़ेलो' प्रकाशित हुई, जिसने उन्हें प्रसिद्धि दिलाई। 1889 में प्रकाशित 'थ्री मेन इन ए बोट' ने उन्हें अंतर्राष्ट्रीय ख्याति दिलाई और यह पुस्तक आज भी लोकप्रिय है। इस पुस्तक की सफलता के बाद, उन्होंने 'थ्री मेन ऑन द बम्मेल' (1900) लिखा, जो उनकी पूर्व पुस्तक का सीक्वल था।
थ्री मेन इन ए बोट के पश्चात
[संपादित करें]थ्री मेन इन ए बोट (1889) की अपार सफलता के बाद, जेरोम के. जेरोम ने अपनी साहित्यिक खोज जारी रखी, लेकिन इसकी लोकप्रियता को दोहराने में चुनौतियों का सामना करना पड़ा। उन्होंने 1892 में द आइडलर पत्रिका के संपादक के रूप में काम किया और 1893 में टू-डे की स्थापना की; दोनों प्रकाशन अंततः वित्तीय कठिनाइयों के कारण बंद हो गए। 1898 में, उन्होंने थ्री मेन ऑन द बमल प्रकाशित किया, जो एक सीक्वल था, जो साइकिल यात्रा के अपने हास्य चित्रण के बावजूद, अपने पूर्ववर्ती के समान प्रशंसा प्राप्त नहीं कर सका। जेरोम के 1902 के अर्ध-आत्मकथात्मक उपन्यास, पॉल केल्वर को सकारात्मक समीक्षा मिली और चार्ल्स डिकेंस के काम से तुलना की गई। नाटक में बदलाव करते हुए, उनके 1908 के नाटक पासिंग ऑफ़ द थर्ड फ्लोर बैक ने बोर्डिंग हाउस के निवासियों के जीवन को बदलने वाले एक मसीह-जैसे अजनबी को पेश किया; हालाँकि, इसे सीमित दर्शकों की स्वीकृति मिली।

प्रथम विश्व युद्ध के फैलने के साथ, जेरोम, जो उस समय 56 वर्ष के थे, ने सैन्य सेवा के लिए स्वेच्छा से आवेदन किया, लेकिन उम्र के कारण उन्हें अस्वीकार कर दिया गया। दृढ़ निश्चयी होकर, वह एम्बुलेंस चालक के रूप में फ्रांसीसी सेना में शामिल हो गए, एक ऐसा अनुभव जिसने उन्हें गहराई से प्रभावित किया। 1921 में उनकी प्यारी सौतेली बेटी एल्सी की मृत्यु ने उनके भावनात्मक बोझ को और बढ़ा दिया। 1926 में, उन्होंने अपनी आत्मकथा, माई लाइफ़ एंड टाइम्स प्रकाशित की, और उन्हें वॉल्सॉल के बरो के एक स्वतंत्र व्यक्ति के रूप में सम्मानित किया गया। अगले वर्ष, एक ऑटोमोबाइल यात्रा के दौरान, जेरोम को आघात लगा और 14 जून, 1927 को उनका निधन हो गया। उन्हें टेम्स नदी के पास, ऑक्सफ़ोर्डशायर के इवेल्मे में दफनाया गया था। जे.एम. बैरी, एच.जी. वेल्स, रुडयार्ड किपलिंग, आर्थर कॉनन डॉयल, थॉमस हार्डी और इज़राइल ज़ैंगविल जैसे समकालीनों के साथ उनकी दोस्ती साहित्यिक समाज में उनके महत्वपूर्ण स्थान को उजागर करती है। आज, उनके जन्मस्थान वॉल्सॉल में एक संग्रहालय उनकी विरासत का सम्मान करता है।
व्यक्तिगत जीवन
[संपादित करें]जेरोम के. जेरोम का व्यक्तिगत जीवन प्रारंभ से ही कठिनाइयों और जटिल संबंधों से भरा हुआ था। उनके पिता, जेरोम क्लैप जेरोम, एक वास्तुकार और उपदेशक थे, जबकि उनकी माता, मार्गरेट जोन्स, एक वकील की पुत्री थीं। जेरोम का मध्य नाम 'क्लैपका' एक हंगेरियन मित्र के सम्मान में जोड़ा गया था।
अपने जीवन के पहले वर्षों में, जेरोम ने अभिनय, पत्रकारिता, और शिक्षण जैसे विभिन्न पेशों में काम किया। 1885 में उन्होंने अपनी पहली पुस्तक 'ऑन द स्टेज़ – एंड ऑफ़' प्रकाशित की, जो उनके अभिनय अनुभवों पर आधारित थी। इसके बाद, 1886 में 'आइडल थॉट्स ऑफ़ अन आइडल फेलो' नामक हास्य निबंध संग्रह आया।

21 जून 1888 को, जेरोम ने जॉर्जिना एलिज़ाबेथ हेन्रियेटा स्टैनली मैरिस ('एटी') से विवाह किया, जो अपने पहले पति से तलाक के बाद नौ दिनों के भीतर उनकी पत्नी बनीं। एटी की एक बेटी, एल्सी, थी, जो जेरोम की सौतेली बेटी बनी। उनकी हनीमून यात्रा थीम्स नदी पर एक नाव में हुई, जो बाद में उनकी प्रसिद्ध कृति 'थ्री मेन इन ए बोट' का आधार बनी।
जेरोम का जीवन कई व्यक्तिगत और पेशेवर चुनौतियों से भरा था, लेकिन उनकी लेखनी में इन अनुभवों की झलक मिलती है, जो आज भी पाठकों को आकर्षित करती हैं।
मृत्यु और अंतिम वर्ष
[संपादित करें]जेरोम के. जेरोम के अंतिम वर्ष उनके व्यक्तिगत और पेशेवर जीवन में महत्वपूर्ण परिवर्तनों से भरे हुए थे। प्रथम विश्व युद्ध के दौरान, उन्होंने ब्रिटिश सेना में सेवा देने के लिए स्वयंसेवा किया, लेकिन उनकी उम्र के कारण अस्वीकृत कर दिए गए। फिर भी, उन्होंने फ्रांसीसी सेना में एम्बुलेंस चालक के रूप में सेवा की, जो उनके देशभक्ति और साहस को दर्शाता है।

उनकी सौतेली बेटी, एल्सी की 1921 में मृत्यु ने उन्हें गहरे शोक में डुबो दिया, जिससे उनकी मानसिक और भावनात्मक स्थिति पर प्रभाव पड़ा। 1926 में, उन्होंने अपनी आत्मकथा 'माय लाइफ एंड टाइम्स' प्रकाशित की, जिसमें उन्होंने अपने जीवन के अनुभवों और संघर्षों को साझा किया। अगले वर्ष, 1927 में, वाल्साल नगर ने उनकी स्मृति में एक संग्रहालय स्थापित किया, जो उनकी विरासत को सम्मानित करने का एक प्रयास था।
14 जून 1927 को, जेरोम ने नॉर्थहैम्पटन में 68 वर्ष की आयु में अंतिम सांस ली। उनकी मृत्यु के बाद, उनकी स्मृति को सम्मानित करने के लिए वाल्साल में उनके जन्मस्थान पर एक संग्रहालय स्थापित किया गया, जो आज भी उनके योगदान को जीवित रखता है। उनकी रचनाएँ, विशेष रूप से 'थ्री मेन इन ए बोट', आज भी पाठकों के बीच लोकप्रिय हैं, जो उनकी हास्यात्मक शैली और मानवीय समझ को प्रदर्शित करती हैं।
प्रमुख कृतियाँ
[संपादित करें]- आइडल थॉट्स ऑफ़ एन आइडल फ़ेलो (1886)
- थ्री मेन इन ए बोट (1889)
- डायरी ऑफ़ ए पिल्ग्रिमेज (1891)
- वीड्स: ए स्टोरी इन सेवन चैप्टर्स (1892)
- नॉवेल नोट्स (1893)
- थ्री मेन ऑन द बम्मेल (1900)
- पॉल केलवर (1902)
- टी-टेबल टॉक (1903)
- टॉमी एंड को (1904)
- दे एंड आई (1909)
- ऑल रोड्स लीड टू कैल्वरी (1919)
- एंथनी जॉन
पुरस्कार और सम्मान
[संपादित करें]जेरोम के. जेरोम के जीवन में कई महत्वपूर्ण उपलब्धियाँ थीं, जिनमें से प्रमुख हैं:
- फ्रीमैन ऑफ द बॉरो ऑफ वॉलसॉल: 1927 में, उन्हें उनकी साहित्यिक उपलब्धियों के लिए वॉलसॉल नगर निगम द्वारा 'फ्रीमैन' की उपाधि से सम्मानित किया गया।
- 'द गार्डियन' और 'द ऑब्जर्वर' की सूचियाँ: उनकी कृति 'थ्री मेन इन ए बोट' को 'द गार्डियन 1000 नोवेल्स एवरीवन मस्ट रीड' और 'द ऑब्जर्वर की 100 सर्वश्रेष्ठ नोवेल्स' जैसी प्रतिष्ठित सूचियों में शामिल किया गया है।
इन उपलब्धियों के माध्यम से जेरोम के. जेरोम ने साहित्य जगत में अपनी अमूल्य छाप छोड़ी, जो आज भी पाठकों के बीच लोकप्रिय है।
निष्कर्ष
[संपादित करें]जेरोम के. जेरोम की लेखनी में हास्य और व्यंग्य का अनूठा मिश्रण था, जिसने समाज और मानव स्वभाव को एक नए दृष्टिकोण से प्रस्तुत किया। उनकी कृतियाँ आज भी पाठकों को मनोरंजन और सोचने पर मजबूर करती हैं, जिससे उनकी विरासत साहित्य जगत में अमर है।