जुगलकिशोर जैन मुख्तार

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जुगलकिशोर जैन मुख्तार (16 दिसम्बर 1877 -- 22 दिसम्बर 1968) एक जैन विद्वान, दार्शनिक एवं लेखक थे। वे विशाल जैन साहित्य, जैन आचार्यों का इतिहास और बड़ी संख्या में शोध लेखकों के निर्माता थे। वह एक दृढ़ पत्रकार और निष्पक्ष और साहसी आलोचक और टिप्पणीकार थे।

पं. जुगलकिशोर जैन मुख्तार “युगवीर” का जन्म सरसावा, जिला सहारनपुर (उत्तर प्रदेश) में एक जैन (अग्रवाल) परिवार में मंगसीर शुक्ला 11, संवत 1934 (16 दिसम्बर 1877) में हुआ था। इनके पिता का नाम श्री नाथूमल जैन “चौधरी” और माता का नाम श्रीमती भुई देवी जैन था। पंडित जुगलकिशोर जैन “मुख्तार” जी हुआ था। इनको प्रारंभिक शिक्षा उर्दू और फारसी में मिली। 13-14 साल की उम्र में विवाह के बाद, उन्होंने जैन दर्शन, हिंदी, संस्कृत, प्राकृत और अंग्रेजी भाषाओं का अध्ययन शुरू किया।[1]

कृतियाँ[संपादित करें]

जैन साहित्य और इतिहास पर विश्व प्रकाश,

जैन आचार्यॉन-का-शसन भेद,

जैन ग्रंथ परीक्ष (4 खंड),

युगीर निभाधवली (2 खंड),

युवीर भारती,

स्वयंभू-स्टोत्रा,

समचिन धर्म शास्त्र,

अध्यात्मा- राहसाया,

युक्युतुष्सन,

तात्वानुशसन,

रत्नाकरंद श्रवकाचर,

कल्याण-कल्पद्रम,

योगसार प्रभात आदि

प्रमुख साहित्यिक रचनाएं हैं-

1) समाधितन्त्र और इष्टोपदेश संस्कृत और हिंदी टीका सहित

2) बनारसी नाम माला पद्यात्मक हिंदी शब्दकोश शब्दानुक्रम सहित

3) अनित्यभावना हिंदी पद्यानुवाद और भावार्थ सहित

4) उमास्वामी श्रावकाचार परीक्षा ऐतिहासिक प्रस्तावना सहित

5) विवाह समुद्देश्य

6) न्याय दीपिका

7) प्रभाचन्द्रका तत्त्वार्थसूत्र- हिंदी अनुवाद तथा व्याख्यान सहित

8) सत्साधु स्मरण मंगलपाठ श्री वीर – वर्द्धमान और उनके बाद 21 महान आचार्य के 137 पुण्य स्मरणो का महत्व का संग्रह हिंदी अनुवाद सहित

9) अध्यात्म कमल मार्तण्ड विस्तृत प्रस्तावना सहित हिंदी अनुवाद

10) पुरातन जैन वाक्य सूची( जैन प्राकृत पद्यानुक्रमणी) 63मूल ग्रन्थों और ग्रन्थकारों के परिणय को लिए हुये विस्तृत प्रस्तावन

11) स्वंमभू स्तोत्र

12) जैन ग्रन्थ प्रशस्ति संग्रह संस्कृत व प्राकृत के 150 अप्रकाशित ग्रन्थों की प्रशस्तियो मंगलाचरण सहित अपूर्व संग्रह

13) स्तुति विद्या

14) युक्त्यनुशासन ( तत्व ज्ञान से परिपूर्ण समत्तभद्र जी की असाधारण कृति) हिंदी अनुवाद पं जी ने किया

15) अनेकांत रस लहरी

16) समन्तभद्र विचार दीपिका( प्रथम भाग)

17) बाहुबली जिन पूजा

18) सेवा धर्म ( निबंध)

19) परिग्रह का प्रायशिचत (निबंध)

20) मेरी भावना

1916 में रचित उनकी छोटी काव्य रचना ‘मेरी भावना’ ने राष्ट्रीय महत्व प्राप्त किया है। यह एक सच्चे नागरिक के उच्च आदर्शों को दर्शाता है।


सन्दर्भ[संपादित करें]