जिझौतिया ब्राह्मण

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जिझौतिया ब्राह्मण चम्बल नदी और यमुना नदी नदियों के घाटियों और दक्षिण मे नर्मदा नदी की घाटी में रहने वाला देशज ब्राह्मन समुदाय है। यह अंतर्विरादरी विवाह जातीय समूह है यह विशुद्ध निरामिष और वैदिक प्रेक्टिस को अभी भी फॉलो करने वाला मध्य भारत का मूल देशज ब्राह्मण समूह है इनका मूल वर्तमान जिझौति प्रदेश है जिसे सत्रहवी सदी में अंग्रेजों द्वारा बुंदेलखंड कहा जाने

जिझौतिया ब्राह्मण जिझौतिया ब्राह्मण परिवार


जिझौतिया ब्राह्मण चम्बल और यमुना नदियों के घाटियों और दक्षिण में नर्मदा नदी की घाटी में रहने वाला देशज ब्राह्मण समुदाय है। यह अंतर्विरादरी विवाह जातीय समूह है यह विशुद्ध निरामिष और वैदिक प्रेक्टिस को अभी भी फॉलो करने वाला मध्य भारत का मूल देशज ब्राह्मण समूह है इनका मूल वर्तमान जिझौति प्रदेश है जिसे सत्रहवी सदी में अंग्रेजों द्वारा बुंदेलखंड कहा जाने लगा है।



_____________________________ जिझौतिया ब्राह्मण का इतिहास:


जिझौतिया ब्राह्मण मूलतः वर्तमान में बुन्देलखण्ड क्षेत्र में पाये जाने वाले ब्राह्मण है वास्तव में ये उत्तर वैदिक काल से यजुर्वेद के पारंगत शाखा के वैदिक ब्राह्मण हैं इनका क्षेत्र बड़ा विस्तृत और महत्वपूर्ण रहा है उत्तर में यमुना,दक्षिण में नर्मदा,पूर्व में तमस नदी और पश्चिम में चम्बल वास्तव में जिझौति प्रांत यजुर्होति का ही अपभ्रंश है जो बाद में जिझौति,जुझौति या जेजाभुक्ति क्षेत्र के नाम से ख्यात हुआ है।जिझौतिया ब्राह्मण विशुद्ध वैदिक ब्राह्मण है जो शुद्ध निरामिषी हैं संस्कृत में पारंगत और नागर शैली और देवनागरी लिपि के अविष्कारक रहे हैं।बौद्ध धर्म से वैदिक धर्म की रक्षा में इनका महत्वपूर्ण योगदान रहा है वाकाटकों,नागवंश,सातवाहन और गुप्त वंश से इनका सम्बंध रहा है वर्तमान सनातन संस्कृति का जो स्वरूप है उसमें जिझौतिया ब्राह्मणों का महत्वपूर्ण योगदान है ये बड़ी ही वीर और जुझारू जाति रही है जिसे कालान्तर में चंदेलो,खंगारों और क्षत्रिय बुन्देलों ने बड़ा सम्मान दिया 10 वीं सती की कृष्णचंद्र मिश्र की "प्रबोध चंद्रोदय"चंदेल वंश के वारे में देवनागरी लिपि की ज्ञात अबतक की प्रमाणित पुस्तक है।ब्राह्मण वंश वाकाटकों का मूल पन्ना मध्यप्रदेश का किल-किल प्रदेश ही माना गया है जयशक्ति जेजाक ने भी जेजाक उपाधि धारण की थी।जब ह्वेनसांग चीनी यात्री 5वीं शती भारत आया तो उसने अपने यात्रावृतांत में मध्यभारत के जेजाभुक्ति प्रांत में ब्राह्मण राज्य का उल्लेख किया है।उसने वहाँ के रहने वालों को निरामिषी व्यंजनों का प्रिय,श्वेत वस्त्रों का अधिकतम प्रयोग,शुद्ध संस्कृत बोलने वालों और दुनिया की विकसित नागरशैली में विकसित नगरों का वर्णन किया है।सन 1182 में खंगार राजा खेतसिंह ने भी अपने राज्य का "जुझौति" नाम ही रखा था और प्रत्येक नागरिकों को जूझने,युद्धकौशल की और वीरता का समावेशी समाज बनाने का सफल प्रयास किया था जो 200 वर्षो तक चला।जिझौतिया ब्राह्मणों 13 उपनाम 13 पटे चलते हैं यहाँ "मिश्र" प्राचीन और श्रेष्ठ उपजाति हैं जिनके तीन प्रवर मोनस,कश्यप और भार्गव प्रमुखता से प्रचलित हैं। इसके उपरांत ये 13वीं शती 14वीं शती से विन्ध्यशक्ति के कारण विन्ध्येलखण्ड और बाद में बुन्देलखण्ड कहलाने लगा इस क्षेत्र में ब्राह्मण आज भी महाराज की उपाधि से विभूषित होते हैं वर्तमान में हिन्दू संस्कृति,शौर्य के साथ इस क्षेत्र में सुरक्षित है संरक्षित हैं।जिझौतिया ब्राह्मण इस क्षेत्र का श्रेष्ठ ब्राह्मण माना गया है।बुंदेलखण्ड में ब्राह्मण अपने आपको जिझौतिया ब्राह्मण कहकर क्षेत्रीय पहचान और ऐतिहासिक महत्व से जोड़ते हैं,नचना-कुठार पन्ना क्षेत्र के नागवंशी राजा भारशिव ने दस अश्वमेध यज्ञ कर वाराणसी का दशास्वमेध घाट बनवाया था,छठी शताब्दी में चीनी यात्री ह्वेनसांग ने इस क्षेत्र को विश्व के अतिविकसित क्षेत्रों मे से एक माना था उसके लेख के अनुसार यहाँ नागर शैली में विकसित शहर, शुद्ध संस्कृत भाषा बोलने बाले,निरामिषी व्यंजनों का प्रयोग करने वाले और श्वेत वस्त्र धारण करने वाले लोगों की विकसित सभ्यता थी,पन्ना से महज 35 कि.मी.। मध्य प्रदेश के ओरछा, निवाड़ी, पृथ्वीपुर, मोहनगढ़, मजल , जेरोंन , अचर्रा (आचार्य धाम), तरीचर कला , दिगौरा,लिधौरा, बराना बम्होरी, मडिया, विज्रावन, सिमरा, असाटी, कारी, सुनवाहा,जतारा, खरगापुर, बल्देवगढ़,टीकमगढ़,दतिया , छतरपुर, विजावर, खुजराहो , बड़ागांव धसान, शाहगढ़,मलहरा, नौगांव, दामोह, वीना, सागर, खुरई,जबलपुर,दामोह,पन्ना, शिवपुरी, पिछोर और उत्तर प्रदेश के महोवा, कुलपहाड़, राहठ पनवाड़ी, झाँसी, मऊरानीपुर , गुरसुराए, ववीना, गौरौठा, ललितपुर, तालहवेट, बार बांसी, महरौनी बानपुर, जालौन,उरई, कोच, कालपी, बांदा, चितकूट, और कानपुर जनपद का का दक्षिण पश्चिम भाग आदि प्राचीन गांव , कसवे, नगर, है जहां पर प्राचीन समय से जिझौतिया ब्राह्मण निवास कर रहे ये ब्राह्मण कुलीन एवं श्रेष्ठ माने जाते है इनका भारत की संस्कृति को संरक्षित करने में बड़ा योगदान रहा है ।


_____________________________ जिझौतिया ब्राह्मण का इतिहास

जिझौतिया ब्राह्मण मूलतः वर्तमान में बुन्देलखण्ड क्षेत्र में पाये जाने वाले ब्राह्मण है वास्तव में ये उत्तर वैदिक काल से यजुर्वेद के पारंगत शाखा के वैदिक ब्राह्मण हैं इनका क्षेत्र बड़ा विस्तृत और महत्वपूर्ण रहा है उत्तर में यमुना,दक्षिण में नर्मदा,पूर्व में तमस नदी और पश्चिम में चम्बल वास्तव में जिझौति प्रांत यजुर्होति का ही अपभ्रंश है जो बाद में जिझौति,जुझौति या जेजाभुक्ति क्षेत्र के नाम से ख्यात हुआ है।जिझौतिया ब्राह्मण विशुद्ध वैदिक ब्राह्मण है जो शुद्ध निरामिषी हैं संस्कृत में पारंगत और नागर शैली और देवनागरी लिपि के अविष्कारक रहे हैं।बौद्ध धर्म से वैदिक धर्म की रक्षा में इनका महत्वपूर्ण योगदान रहा है वाकाटकों,नागवंश,सातवाहन और गुप्त वंश से इनका सम्बंध रहा है वर्तमान सनातन संस्कृति का जो स्वरूप है उसमें जिझौतिया ब्राह्मणों का महत्वपूर्ण योगदान है ये बड़ी ही वीर और जुझारू जाति रही है जिसे कालान्तर में चंदेलो,खंगारों और क्षत्रिय बुन्देलों ने बड़ा सम्मान दिया 10 वीं सती की कृष्णचंद्र मिश्र की "प्रबोध चंद्रोदय"चंदेल वंश के वारे में देवनागरी लिपि की ज्ञात अबतक की प्रमाणित पुस्तक है।ब्राह्मण वंश वाकाटकों का मूल पन्ना मध्यप्रदेश का किल-किल प्रदेश ही माना गया है जयशक्ति जेजाक ने भी जेजाक उपाधि धारण की थी।जब ह्वेनसांग चीनी यात्री 5वीं शती भारत आया तो उसने अपने यात्रावृतांत में मध्यभारत के जेजाभुक्ति प्रांत में ब्राह्मण राज्य का उल्लेख किया है।उसने वहाँ के रहने वालों को निरामिषी व्यंजनों का प्रिय,श्वेत वस्त्रों का अधिकतम प्रयोग,शुद्ध संस्कृत बोलने वालों और दुनिया की विकसित नागरशैली में विकसित नगरों का वर्णन किया है।सन 1182 में खंगार राजा खेतसिंह ने भी अपने राज्य का "जुझौति" नाम ही रखा था और प्रत्येक नागरिकों को जूझने,युद्धकौशल की और वीरता का समावेशी समाज बनाने का सफल प्रयास किया था जो 200 वर्षो तक चला।जिझौतिया ब्राह्मणों 13 उपनाम 13 पटे चलते हैं यहाँ "मिश्र" प्राचीन और श्रेष्ठ उपजाति हैं जिनके तीन प्रवर मोनस,कश्यप और भार्गव प्रमुखता से प्रचलित हैं। इसके उपरांत ये 13वीं शती 14वीं शती से विन्ध्यशक्ति के कारण विन्ध्येलखण्ड और बाद में बुन्देलखण्ड कहलाने लगा इस क्षेत्र में ब्राह्मण आज भी महाराज की उपाधि से विभूषित होते हैं वर्तमान में हिन्दू संस्कृति,शौर्य के साथ इस क्षेत्र में सुरक्षित है संरक्षित हैं।जिझौतिया ब्राह्मण इस क्षेत्र का श्रेष्ठ ब्राह्मण माना गया है।बुंदेलखण्ड में ब्राह्मण अपने आपको जिझौतिया ब्राह्मण कहकर क्षेत्रीय पहचान और ऐतिहासिक महत्व से जोड़ते हैं,नचना-कुठार पन्ना क्षेत्र के नागवंशी राजा भारशिव ने दस अश्वमेध यज्ञ कर वाराणसी का दशास्वमेध घाट बनवाया था,छठी शताब्दी में चीनी यात्री ह्वेनसांग ने इस क्षेत्र को विश्व के अतिविकसित क्षेत्रों मे से एक माना था उसके लेख के अनुसार यहाँ नागर शैली में विकसित शहर, शुद्ध संस्कृत भाषा बोलने बाले,निरामिषी व्यंजनों का प्रयोग करने वाले और श्वेत वस्त्र धारण करने वाले लोगों की विकसित सभ्यता थी,पन्ना से महज 35 कि.मी.। मध्य प्रदेश के ओरछा, निवाड़ी, पृथ्वीपुर, मोहनगढ़, मजल , जेरोंन , अचर्रा (आचार्य धाम), तरीचर कला , दिगौरा,लिधौरा, बराना बम्होरी, मडिया, विज्रावन, सिमरा, असाटी, कारी, सुनवाहा,जतारा, खरगापुर, बल्देवगढ़,टीकमगढ़,दतिया , छतरपुर, विजावर, खुजराहो , बड़ागांव धसान, शाहगढ़,मलहरा, नौगांव, दामोह, वीना, सागर, खुरई,जबलपुर,दामोह,पन्ना, शिवपुरी, पिछोर ,गुना, अशोकनगर, विदिशा, ग्वालियर,भिंड, मुरैना, आदि और उत्तर प्रदेश के महोवा ,कुलपहाड़, राहठ पनवाड़ी, झांसी, गौरौठा, मऊरानीपुर, गुरसुराय,ववीना, बारूआसागर, बांदा ,चित्रकूट,कालपी , जालौन, ललितपुर , तालहवैट ,बानपुर,बार बांसी, , महरौनी, कानपुर जनपद का कुछ दक्षिण पश्चिमभाग, प्राचीन गांव , कसवे, नगर, है जहां पर प्राचीन समय से जिझौतिया ब्राह्मण निवास कर रहे ये ब्राह्मण कुलीन एवं श्रेष्ठ माने जाते है इनका भारत की संस्कृति को संरक्षित करने में बड़ा योगदान रहा है ।


जिझौतिया ब्राह्मण समाज बुंदेलखंड में वेतवा नदी के आसपास निवास करने वाले प्राचीन ब्राह्मण।

Jijhautiya Brahmin Samaj विषय सूची जिझौतिया ब्राह्मणों के आस्पदों की सूची जिझौतिया ब्राह्मणों के कुल आस्पदों (उपनामों) की सूची वर्तमान में निम्न प्रकार है ।

1. अगरिया

2. अग्निहोत्री

3. अध्वर्यु (Adhwaryu)

4. अयाची

5. अरजरिया

6. अवस्थी

7. आचार्य

8. उपाध्याय

9. किलेदार (Kiledar)

10. कुचवार (Kuchwar)

11. कुठारी (Kuthari)

12. कौशिक

13. गंगेले

14. गर्ग

15. गोस्वामी

16. गौतम (Gautam)

17. चौधरी (Choudhary)

18. चौबे / चतुर्वेदी

19. छिरौल्या (Chirolya)

20. जसरेले

21. जारौलिया

22. झरा

23. टिमरैंयां (Timrainya)

24. टोंटे (Tonte)

25. तपा

26. तिवारी / त्रिवेदी /त्रिपाठी

        27. दीवान 

28. दीक्षित

29. दुन्देले (Dundele)

30. दुबे / द्विवेदी

31. नसेले

32. नायक (Nayak)

33. निसरेले

34. पंडा

35. पटेल

36. पटैरिया (Pateriya)

37. पड़ेले

38. पथरेले (Pathrele)

39. पपरेले (Paprele)

40. परसाई

41. पस्तोर

42. पाँड़े / पाण्डेय (Pande / Pandey)

43. पाठक (Pathak)

44. पिपरैया

45. पुंडरिक

46. पुरोहित (Purohit)

47. पौराणिक (Pauranik)

48. बबेले

49. बिलगईंयां (Bilgainya)

50. भट्ट

51.भरद्वाज

52. भोंड़ेले

53. मकड़ारिया (Makrariya)

54. मनियां (Maniya)

55. मिश्र

56. मिसरेले (Misrele)

57. रावत

58. रिछारिया (Richhariya)

59. लिटौरिया(Litoriya)

60. वशिष्ठ

61. वाजपेयी Bajpayee

62. विदुआ

63. व्यास (Vyas)

64. शाण्डिल्य

65. शुक्ल

66. शेषा

67. श्रृड़्गरेले / सिंगरेले

68. श्रुंगरेले (सुंगरेले) (Shrugrele (Sungrele)

69. श्रोत्रिय / श्रोती (Shrotriya / Shroti)

70. संज्ञा Sangya

71. समेले

72. सरवरिया

73. सुड़ेले (Sudele)

74. सुमेले

75. सिमरैंयां (Simrainya)

76. सिरवैया

77. सुल्लेरे

78. सौनकिया (Saunakiya)

79 . हुण्डैत (Hundet)

80. भंडारी

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