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जापानी भाषा-परिवार

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जापानी
जापानी-रयुक्युवी
भौगोलिक
विस्तार:
जापान, शायद पहले कोरिया पर
भाषा श्रेणीकरण: दुनिया की प्राथमिक भाषा-परिवारों में से एक
आदि-भाषा: आदिम-जापानी
उपश्रेणियाँ:
आइसो ६३९-५: jpx

जापानी भाषाएँ और उनकी उपभाषाएँ

जापानी या जापानी-रयुक्युवी एक भाषा-परिवार है जिसमें जापानी भाषा शामिल है, जो जापान के मुख्य द्वीपों में बोली जाती है, और रयुक्युवी भाषाएँ, जो रयुक्यु द्वीपों में बोली जाती हैं। भाषाविज्ञानिकों में यह भाषा-परिवार सार्वकाम्य रूप से स्वीकार किया गया है, और इस की आदिम-भाषा की पुनर्रचना में बहुत प्रगति हुई है।[1] इज़ू द्वीप पर बोली जाने वाली हचिजो भाषा भी इस में शामिल है, पर परिवार के अंदर इसकी स्थिति स्पष्ट नहीं है।

आदिम-जापानी

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इसकी आदिम-भाषा प्राचीन जापानी की आभ्यंतर पुनर्रचना और प्राचीन जापानी और रयुक्युवी भाषाएँ की तुलनात्मक प्रणाली के संयोग से पुनर्रचना की गई है।[2] 20वीं सदी की प्रमुख पुनर्चनाएँ सैम्युएल एल्मो मार्टिन(Samuel Elmo Martin) और शिरो हत्तोरी(Shirō Hattori) द्वारा प्रस्तुत की गई थीं।[2][3]

आदिम-जापानी के शब्द आम तौर पर अनेकाक्षरी(polysyllabic) होते हैं, जिनके अक्षर (C)V के रूप से होते हैं।[4]

आदिम-जापानी व्यंजन
द्वयोष्ठ्य
(Bilabial)
वर्त्स्य
(Alveolar)
तालव्य
(Palatal)
कण्ठ्य
(Velar)
नासिक्य
(Nasal)
*m *n
स्पर्श
(Plosive)
*p *t *k
संघर्षी
(Fricative)
*s
अन्तस्थ
(Approximant)
*w *j
तरल स्वन
(Liquid)
*r

प्राचीन जापानी में घोष व्यंजन "b", "d", "z", "g" जो शामिल थे, जो शब्द-आद्य स्थिति पर कभी आते नहीं थे, वो बीच वाले स्वर के लोप के बाद मौजूद हुए नासिक्य व्यंजन और अघोष व्यंजनों के गुच्छ से पाए हैं।[5]

अधिकांश लेखक मानते हैं कि आदिम-जापानी में छह स्वर मौजूद थे:[6]

आदिम-जापानी स्वर
अग्रस्वर मध्यस्वर पश्वस्वर
संवृत *i *u
बीच का *e *o
विवृत *a

कुछ लेखक एक संवृत मध्यस्वर का भी प्रस्ताव करते हैं।[7][8] बीच के स्वर *e और *o क्रमशः "i" और "u" तक हर जगह आरोह हुए थे, शब्द-अंत्य के सिवाए।[9][10] अन्य प्राचीन जापानी स्वर आदिम-जापानी के स्वर के अनुक्रम से आए थे।[11]

माना जाता है कि एक शाब्दिक स्वराघात की पुनर्रचना होनी चाहिए, पर उसका सटीक रूप विवादग्रस्त है।[5]

सन्दर्भ

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  1. Shimabukuro (2007).
  2. Frellesvig & Whitman (2008), पृ॰ 1.
  3. Martin (1987).
  4. Frellesvig & Whitman (2008), पृ॰ 3.
  5. Whitman (2012), पृ॰ 27.
  6. Whitman (2012), पृ॰ 26.
  7. Frellesvig (2010), पृ॰प॰ 45–47.
  8. Vovin (2010), पृ॰प॰ 35–36.
  9. Frellesvig & Whitman (2008), पृ॰ 5.
  10. Frellesvig (2010), पृ॰ 47.
  11. Frellesvig (2010), पृ॰ 50.