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ज़ैनब बिन्त जहश

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Zaynab bint Jahsh
Mother of the Believers
जन्म ल. 590
Mecca, Hejaz, Arabia
(present-day Saudi Arabia)
मौत ल. 640/641 (aged 51)
समाधि Jannat al-Baqi, Medina
प्रसिद्धि का कारण Wife of the Islamic prophet मुहम्मद, उम्मुल मोमिनीन
जीवनसाथी
माता-पिता
संबंधी
Jannat al-Baqi, Medina

ज़ैनब बिन्त जहश (Arabic:زينب بنت جحش; c. 590–641सीई), मुहम्मद की चचेरी बहन [1] और पत्नी थी, मुहम्मद की सभी पत्नियों को कुरआन (33:6)[2] के द्वारा दी जाने वाली वंदना और सम्मान की उपाधि उम्मुल मोमिनीन अर्थात "विश्वास करने वालों की माँ" अर्थात मोमिन-मुसलमानों की माँ के रूप में भी माना माना जाता है।[3][4] उसकी शादी, पहले मुहम्मद के दत्तक पुत्र ज़ैद बिन हारिसा से हुई थी।

ज़ैनब के पिता जहश इब्न रियाब थे, जो असद इब्न खुज़ायमा जनजाति के एक अप्रवासी थे, जो उमय्या कबीले के संरक्षण में मक्का में बस गए थे। उनकी मां उमैमा बिन्त अब्द अल-मुत्तलिब थीं, जो कुरैश जनजाति के हाशिम कबीले की सदस्य थीं और मुहम्मद के पिता की बहन थीं। [5] :33 इसलिए ज़ैनब और उसके पाँच भाई-बहन मुहम्मद के सगे चचेरे भाई थे।

ज़ैनब के बारे में कहा जाता था कि वह जल्दी अपना आपा खो देती थी लेकिन जल्दी शांत भी हो जाती थी। [6] वह एक कुशल चर्मकार और चमड़े का काम करने वाली थी। पैसे की जरूरत नहीं होने के बाद भी उन्होंने जीवन भर इस काम को जारी रखा। [5] :74, 77

पहली शादी और तलाक़

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विवाह की परिस्थितियाँ

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625 के आसपास मुहम्मद ने ज़ैनब को प्रस्ताव दिया कि वह उसके दत्तक पुत्र,ज़ैद बिन हारिसा से शादी करे। ज़ायद का जन्म कल्ब जनजाति में हुआ था लेकिन एक बच्चे के रूप में उसका दास-व्यापारियों द्वारा अपहरण कर लिया गया था। खदीजा बिन्त खुवेलिद के एक भतीजे भतीजे ने उसे खदीजा को बेच दिया, जिसे बाद में उसने अपने पति मुहम्मद को शादी के तोहफे के रूप में दिया। कुछ वर्षों के बाद, मुहम्मद ने जैद को आजाद कर दिया और उसे अपने बेटे के रूप में अपनाया था। [7] :6–10

अपने भाई अब्दुल्ला द्वारा समर्थित ज़ायनाब ने पहले इस प्रस्ताव को इस आधार पर अस्वीकार कर दिया कि, "मैं एक कुरैश की विधवा हूँ।" [7] :180 उसका संभवतः मतलब था कि ज़ैनब की सामाजिक स्थिति उसे एक पूर्व दास से शादी करने की अनुमति देने के लिए बहुत अधिक थी। यह दावा किया गया है कि ये सामाजिक अंतर ठीक यही कारण थे कि मुहम्मद विवाह की व्यवस्था करना चाहते थे।

उच्च परिवार की ज़ैनब का निकाह ग़ुलाम रहे ज़ैद से कर दिया गया। ये निकाह चल न सका तलाक़ हो गया।

मुहम्मद और ज़ैनब का निकाह

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पैगम्बर मुहम्मद से निकाह के समय हज़रत ज़ैनब एक जवान लड़की थी।[8]ज़ैद से तलाक होने और प्रतीक्षा अवधि पूरी हुई तब क़ुरआनी हुक्म के कारण मुहम्मद ने ज़ैनब से शादी कर ली। [7]

सो जब जैद अपनी ज़रूरत पूरी कर चुका (और उसने तलाक दे दी तो हमने उस (जैनब) का निकाह तुझसे कर दिया ताकि (आगे) मुसलमानों पर तंगी न रहे कि वह अपने मुंह बोले बेटों की बीवियों से निकाह कर सकें। जब उनके मुंह बोले बेटे अपनी हाजत पूरी कर लें (यानी तलाक़दे दे) और अल्लाह का यह हुक्म अटल है।' (क़ुरआन 33-37)

इस्लाम को इस्लाम की किताबो से देखना चाहिए, तो चलिए देखते है इस्लामिक किताबे क्या कहती है, पैगमबर ने एक लड़के को गोद लिया था जिसका नाम था ज़ैद, ज़ैद बिन मुहम्मद[9] और उसका निकाह अपने ही अंकल की बेटी ज़ैनब बिन्ते जहस के साथ करवा दिया।

तारीख अल तबरी VOL 8 PAGE 2[10]

एक बार हमारे प्यारे नबी ज़ैद के घर पर उससे मिलने गए पर ज़ैद उस समय घर पर नहीं था, ज़ैद की बीवी ज़ैनब घर में कुछ कम वस्त्रो में थी, जो की अरब की गर्मी में एक स्वाभाविक बात है, ( कम से अर्थ यहाँ घरेलु वस्त्र है ) जब हमारे प्यारे नबी सल्लालु आलेही वस्सलम ज़ैद के घर पर पहुंचे तो उन्होंने आवाज दी, क्या ज़ैद घर पर है? हमारे प्यारे नबी ने ज़ैनब को उन वस्त्रो में देखा और और वो उनके दिल में प्रवेश कर गयी, ज़ैनब हमारे प्यारे नबी का स्वागत करने के लिए उठी और हमारे प्यारे नबी से कहा, "आप अंदर पधारिए, आप वो है जो मुझे मेरे माता पिता की तरह प्रिय है" पर अल्लाह की मर्जी कुछ और थी, पैगम्बर ने उसे ये कहकर व्यक्त किया "सुभानअल्लाह जो लोगो के दिलो को बदल देता है" ज़ैनब उसका अर्थ नहीं समझ पायी और हमारे प्यारे नबी दरवाजे से ही लौट गए, पता नहीं जबरदस्ती का भाई और पिता बनाने की आदत लड़कियों की कब जाएगी, पर आगे जो हुआ, वो मिसाल है, एक पुत्र प्रेम की। ज़ैद घर पर आये, ज़ैनब ने उन्हें सारा किस्सा सुनाया, ज़ैद ने पूछा तुमने उन्हें घर में आने को क्यों नहीं कहा, ज़ैनब ने फिर कहा, मैंने तो कहा था की ए नबी आप मुझे मेरे माता पिता की तरह प्रिय है, परन्तु वो तो कुछ बड़बड़ाते हुए बाहर से ही चले गए, ज़ैद ने पूछा उन्होंने क्या कहा, ज़ैनब बोली, उन्होंने कहा "सुभानअल्लाह जो लोगो के दिलो को बदल देता है", ज़ैनब को भले ही समझ न आया हो पर ज़ैद को सब समझ आ गया, और दुनिया में एक पुत्र के त्याग और पिता के प्रति असीम प्रेम का उदाहरण प्रस्तुत करने के लिए ज़ैद अपने पिता के घर गए, और उनसे सीधे सीधे कहा की, अगर आप चाहे तो मै ज़ैनब को तलाक दे सकता हु, पर हमारे प्यारे पैगम्बर, लोग क्या कहेंगे इससे डर गए और जो उनके दिल में था उसे छुपा गए[11][12]

और कहा अपनी बीवी को अपने पास रख, पर अल्लाह ये कैसे सहन कर सकता है की किसी चीज के लिए अल्लाह के रसूल को दुःख हो, और वो इन तुच्छ मानवो से डरे तो अल्लाह ने आयत नाजिल की

क़ुरान 33:37[13]

तथा (हे नबी!) आप वह समय याद करें, जब आप उससे कह रहे थे, उपकार किया अल्लाह ने जिसपर तथा आपने उपकार किया जिसपर, रोक ले अपनी पत्नी को तथा अल्लाह से डर और आप छुपा रहे थे अपने मन में जिसे, अल्लाह उजागर करने वाला[ था तथा डर रहे थे तुम लोगों से, जबकि अल्लाह अधिक योग्य था कि उससे डरते, तो जब ज़ैद ने पूरी करली उस (स्त्री) से अपनी आवश्यक्ता, तो हमने विवाह दिया उसे आपसे, ताकि ईमान वालों पर कोई दोष न रहे, अपने मुँह बोले पुत्रों की पत्नियों कि विषय में, जब वह पूरी करलें उनसे अपनी आवश्यक्ता तथा अल्लाह का आदेश पूरा होकर रहा।

आयत उतरने के बाद नबी ने कहा की कौन ज़ैनब को ये खुसखबर देने जायेगा की अल्लाह ने उसका निकाह हमारे प्यारे नबी के साथ तय कर दिया है, और नबी ने उससे निकाह कर लिया, ये देखकर वहा खड़ी एक छोटी बच्ची आयशा ने कहा "ऐसा लगता है मानो अल्लाह आपकी ख्वाहिशे पूरी करने को उतावला रहता है"[14]

और ज़ैनब तो हमेशा अपनी सौतनों को सुनाती न थकती, की तुम सब का निकाह नबी के साथ तो तुम्हारे माँ बापो ने किया, पर नबी के साथ मेरा निकाह तो अल्लाह ने 7 वे आसमान के ऊपर किया है।[15]

पर निकाह से बड़ी समस्या आन खड़ी हुई, हमारे प्यारे नबी का डर सही साबित हुआ, वो अरब जगत जहा बच्चे को गोद लेना एक पवित्र कार्य माना जाता है, वह रसूल के इस कृत्य पर सवाल उठाने लगा, उन्होंने कहा तुम अपने बेटे की बहु से निकाह कैसे कर सकते हो, अल्लाह ने इस बार लोगो और ज़ैनब दोनों के मुँह पर तमाचा मारते हुए, फिर एक आयत नाजिल की

क़ुरान 33:40[16]

मुह़म्मद तुम्हारे पुरुषों मेंसे किसी के पिता नहीं हैं। किन्तु, वे [ अल्लाह के रसूल और सब नबियों में अन्तिम हैं और अल्लाह प्रत्येक वस्तु का अति ज्ञानी है।

पर ये अज्ञानी जन समुदाय ये समझने को तैयार नहीं था, और न ही वो अल्लाह के इस फरमान से संतुष्ट ही थे, तो अल्लाह सुब्हानहु व तआला ने फिर से एक आयत नाजिल की और इस बार समस्या को जड़ से ही मिटा दिया, अल्लाह ने बच्चे गोद लेने का रिवाज ख़त्म कर दिया, क़ुरान 33:4[17]

और नहीं रखे हैं अल्लाह ने किसी को, दो दिल, उसके भीतर और नहीं बनाया है तुम्हारी पत्नियों को, जिनसे तुम ज़िहार[ करते हो, उनमें से, तुम्हारी मातायें तथा नहीं बनाया है तुम्हारे मुँह बोले पुत्रों को तुम्हारा पुत्र। ये तुम्हारी मौखिक बाते हैं और अल्लाह सच कहता है तथा वही सुपथ दिखाता है।

और इस प्रकार ज़ैद बिन मुहम्मद फिर ज़ैद बिन हरिथा बन गया[18]

पर रुकिए ये यही समाप्त नहीं हुआ, दरअसल अब एक नयी समस्या खड़ी हो गयी, जैसा की क़ुरान फरमाता है,

क़ुरान 33 : 21[19]

तुम्हारे लिए अल्लाह के रसूल में उत्तम [ आदर्श है, उसके लिए, जो आशा रखता हो अल्लाह और अन्तिम दिन (प्रलय) की तथा याद करो अल्लाह को अत्यधिक।

पर इस्लाम में तो सिर्फ 4 शादिया करने की इजाजत है, पर अब तो ये संख्या 4 से ज्यादा थी, ऊपर से ज़ैनब अंकल की बेटी अलग, तो लोगों ने पूछा की क्या वो भी ये कर सकते है, तो इस अल्लाह ने फिर से एक आयत नाजिल कर दी क़ुरान 33 : 50[20]

हे नबी! हमने ह़लाल (वैध) कर दिया है आपके लिए आपकी पत्नियों को, जिन्हें चुका दिया हो आपने उनका महर (विवाह उपहार) तथा जो आपकी लोंडी हो, उसमें से, जो प्रदान किया है अल्लाह ने आप[ को तथा आपके चाचा की पुत्रियों, आपकी फूफी की पुत्रियों, आपके मामा की पुत्रियों तथा मौसी की पुत्रियों को, जिन्होंने हिजरत की है आपके साथ तथा किसी भी ईमान वाली नारी को, यदि वह स्वयं को दान कर दे नबी के लिए, यदि नबी चाहें कि उससे विवाह कर लें। ये विशेष है आपके लिए अन्य ईमान लालों को छोड़कर। हमें ज्ञान है उसका, जो हमने अनिवार्य किया है उनपर, उनकी पत्नियों तथा उनके स्वामित्व में आयी दासियों के सम्बंध1 में। ताकि तुमपर कोई संकीर्णता (तंगी) न हो और अल्लाह अति क्षमी, दयावान् है।

पर लोगो ने फिर कहा की क़ुरान तो कहती है की नबी का अनुसरण करो, इस पर फिर अल्लाह ताला आ गए, और अल्लाह कहता है ज्यादा सवाल न करे वरना आप अपना ईमान खो देंगे क़ुरान 5 : 101/102[21][22]

हे ईमान वालो! ऐसी बहुत सी चीज़ों के विषय में प्रश्न न करो, जो यदि तुम्हें बता दी जायें, तो तुम्हें बुरा लग जाये तथा यदि तुम, उनके विषय में, जबकि क़ुर्आन उतर रहा है, प्रश्न करोगे, तो वो तुम्हारे लिए खोल दी जायेंगी। अल्लाह ने तुम्हें क्षमा कर दिया और अल्लाह अति क्षमाशील सहनशील[ है। ऐसे ही प्रश्न एक समुदाय ने तुमसे पहले [ किये, फिर इसके कारण वे काफ़िर हो गये।

और जो इस्लाम को छोड़कर काफिर हुए है, उनकी सजा तो मौत है।[23]

सब अपने अपने घर चले गए, पर कहानी यही समाप्त नहीं हुई, एक और नई समस्या खड़ी हुई, सालिम उम्मे सलमा का आजाद किया हुआ गुलाम था जिसे उम्मे सलमा ने आजाद कर दिया और अल्लाह द्वारा गोद लेने के रिवाज को ख़त्म करने से पहले ही, उसने उसे गोद ले लिया, पर अब तो अल्लाह ने गोद लेने का रिवाज ख़त्म कर दिया और इसके अनुसार सालिम उनका बेटा नहीं था, तो उम्मे सलमा रसूल के पास आयी और उनसे पूछा, ए अल्लाह के रसूल, सालिम मेरा आजाद किया गुलाम है, जिसे मैंने गोद लिया था और अब हमारे साथ रहता है, सालिम अब बड़ा हो गया है और वह सब कुछ समझने लगा है जो एक मर्द समझता है, सालिम के घर आने से मेरे शौहर को कैफियत महसूस होती है, तो मै क्या करू ? तो अल्लाह के रसूल ने इसका भी एक तोड़ निकाला, और कहा जाओ उसे अपना दूध पिलाओ, उम्मे सलमा बोली ये आप क्या कह रहे है ? रसूल मुस्कुराये, उम्मे सलमा ने वैसा ही किया और 5 बार अपना दूध सालिम को पिलाया, उम्मे सलमा का पति भी ये सोचकर की कुछ और नहीं करवाया उसकी कैफियत भी जाती रही[24]

गैर महरम को महरम बनाने की यह निंजा टेक्निक क़ुरान में भी नाजिल हुई पर एक नामुराद बकरी अल्लाह का वो पैगाम जो एक पत्ते पर लिखा था खा गयी, वर्ना अभी आप सोचिये की क्या हो रहा होता।

पर ये सब तो इतिहास है, प्रश्न तो ये है की इससे वर्तमान मुस्लिम पर क्या फरक पड़ता है, तो इसका जवाब है, एक मुस्लिम बच्चे गोद नहीं ले सकता, इसका अर्थ है, की उस बच्चे को वह व्यक्ति अपना नाम और जायदाद दोनों ही नहीं दे सकता, दूसरे रूप में गोद ले सकता है,और इस्लाम में आप अपनी ही गोद ली हुई बच्ची से निकाह कर सकते है[25]

आप अपने गोद लिए बेटे की पत्नी से भी निकाह कर सकते है, जब वह उससे अपनी आवश्यकता पूरी कर ले, आप अपनी stepsister से भी निकाह कर सकते है[26]

आप अपनी stepdaughter से भी निकाह कर सकते है, यदि आपने उसकी माँ के साथ किसी प्रकार का शारीरिक सम्बन्ध न बनाया हो।

तो प्रभाव तो बहुत व्यापक है….

7 मार्च 627 को जैसे ही उसके तलाक की प्रतीक्षा अवधि पूरी हुई, मुहम्मद ने ज़ैनब से शादी कर ली। [7] :182 वह उसके घर में चला गया जब उसने उसकी उम्मीद नहीं की थी और बिना खटखटाए। उसने उससे पूछा: "क्या यह हमारे संघ के लिए बिना किसी गवाह या ट्रस्टी ( वली ) के ऐसा ही रहने वाला है?" मुहम्मद ने उत्तर दिया: "अल्लाह गवाह है और गेब्रियल ट्रस्टी है।" [27] [28]

मुहम्मद ने ज़ैनब को 400 दिरहम का मेहर दिया। [4] बाद में उसने उसके लिए एक विवाह भोज आयोजित किया और एक भेड़ का वध किया। अनस इब्न मलिक ने कहा कि सत्तर से अधिक मेहमान थे, और मुहम्मद की अन्य पत्नियों में से किसी को भी इतना बड़ा भोज नहीं दिया गया था।

Anas narrates: The marriage of Zainab bint Jahash was mentioned in the presence of Anas and he said, "I did not see the Prophet giving a better banquet on marrying any of his wives than the one he gave on marrying Zainab. He then gave a banquet with one sheep."

इन्हें भी देखें

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सन्दर्भ

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  1. Gwynne, Paul (2013). Buddha, Jesus and Muhammad: A Comparative Study. John Wiley & Sons. आई॰ऍस॰बी॰ऍन॰ 978-1118465493.
  2. क़ुरआन 33:6 https://tanzil.net/#trans/hi.farooq/33:6
  3. हज़रत ज़ैनब बिनते जहश https://rasoulallah.net/hi/articles/article/253
  4. Abdulmalik ibn Hisham. Notes to Ibn Ishaq's "Life of the Prophet", Note 918. Translated by Guillaume, A. (1955). The Life of Muhammad, p. 793. Oxford: Oxford University Press.
  5. Muhammad ibn Saad, Kitab al-Tabaqat al-Kabir. Translated by Bewley, A. (1995). Volume 8: The Women of Madina. London: Ta-Ha Publishers.
  6. Muslim 31:5984.
  7. Muhammad ibn Jarir al-Tabari. Tarikh al-Rusul wa'l-Muluk. Translated by Landau-Tasseron, E. (1998). Volume 39: Biographies of the Prophet's Companions and Their Successors. Albany: State University of New York Press.
  8. "Age of Prophet Wifes". WikiIslam.
  9. https://sunnah.com/bukhari:4782
  10. Smirna Si. The History of al-Tabari, vol. 8 (English में).सीएस1 रखरखाव: नामालूम भाषा (link)
  11. Smirna Si. The History of al-Tabari, vol. 8 (English में).सीएस1 रखरखाव: नामालूम भाषा (link)
  12. "Surah Al-Ahzab - 1-73". Quran.com (अंग्रेज़ी में). अभिगमन तिथि 2022-11-19.
  13. "Surah Al-Ahzab - 1-73". Quran.com (अंग्रेज़ी में). अभिगमन तिथि 2022-11-19.
  14. "Sahih al-Bukhari 4788 - Prophetic Commentary on the Qur'an (Tafseer of the Prophet (pbuh)) - كتاب التفسير - Sunnah.com - Sayings and Teachings of Prophet Muhammad (صلى الله عليه و سلم)". sunnah.com. अभिगमन तिथि 2022-11-19.
  15. "Sahih al-Bukhari 7420 - Oneness, Uniqueness of Allah (Tawheed) - كتاب التوحيد - Sunnah.com - Sayings and Teachings of Prophet Muhammad (صلى الله عليه و سلم)". sunnah.com. अभिगमन तिथि 2022-11-19.
  16. "Surah Al-Ahzab - 1-73". Quran.com (अंग्रेज़ी में). अभिगमन तिथि 2022-11-19.
  17. "Surah Al-Ahzab - 1-73". Quran.com (अंग्रेज़ी में). अभिगमन तिथि 2022-11-19.
  18. "Sahih al-Bukhari 4782 - Prophetic Commentary on the Qur'an (Tafseer of the Prophet (pbuh)) - كتاب التفسير - Sunnah.com - Sayings and Teachings of Prophet Muhammad (صلى الله عليه و سلم)". sunnah.com. अभिगमन तिथि 2022-11-19.
  19. "Surah Al-Ahzab - 1-73". Quran.com (अंग्रेज़ी में). अभिगमन तिथि 2022-11-19.
  20. "Surah Al-Ahzab - 1-73". Quran.com (अंग्रेज़ी में). अभिगमन तिथि 2022-11-19.
  21. "Surah Al-Ma'idah - 1-120". Quran.com (अंग्रेज़ी में). अभिगमन तिथि 2022-11-19.
  22. "Surah Al-Ma'idah - 1-120". Quran.com (अंग्रेज़ी में). अभिगमन तिथि 2022-11-19.
  23. "QuranX.com The most complete Quran / Hadith / Tafsir collection available!". quranx.com. अभिगमन तिथि 2022-11-19.
  24. "Sahih Muslim 1453b - The Book of Suckling - كتاب الرضاع - Sunnah.com - Sayings and Teachings of Prophet Muhammad (صلى الله عليه و سلم)". sunnah.com. अभिगमन तिथि 2022-11-19.
  25. "Can I marry my adopted daughter?". IslamQA (अंग्रेज़ी में). 2019-11-28. अभिगमन तिथि 2022-11-19.
  26. "Can You Marry Your Step Sister? - Islam Question & Answer". islamqa.info (अंग्रेज़ी में). अभिगमन तिथि 2022-11-19.
  27. Sa'id Ashur. Jurisprudence from Muhammad's life, p. 126.
  28. Ibn Hajar al-Asqalani. Al-Isaba fi tamyiz al-Sahaba, vol. IV, p. 307.

बाहरी कड़ियाँ

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