जसमा ओड़न

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जसमा ओड़न ( जसमल ओडणी ) मध्ययुगीन गुजरात की एक लोक देवी हैं। एक ऐसी महिला जो चालुक्य वंश के राजा सिद्धराज जयसिंह द्वारा अपने पति की हत्या के बाद अपने सम्मान की रक्षा के लिए सती हुई थी।

दंतकथा[संपादित करें]

जसमा रूद की पत्नी थीं। वे गुजरात, काठियावाड़ और राजस्थान के कुछ हिस्सों में मज़दूरों की बहाव जनजाति, ओढ़ राजपूत जनजाति के थे।[1] चालुक्य वंश के राजा सिद्धराज जयसिंह ने जसमा की सुंदरता पर मोहित होकर उनके सामने विवाह का प्रस्ताव रखा। उसने उन्हें गुजरात की रानी बनाने की पेशकश की लेकिन उन्होंने मना कर दिया। जयसिंह ने उनके पति की हत्या कर दी। जसमा अपने सम्मान की रक्षा के लिए चिता में कूदकर सती हो गईं। उनके श्राप ने सहस्रलिंग तालाब के तालाब को निर्जल और सिद्धराज को उसके गुजरात राज्य का उत्तराधिकारीहीन राजा बना दिया।[2]

जसमादेवी मंदिर उन्हीं को समर्पित है। यह मंदिर बारहवीं शताब्दी में ओड राजपूत जनजाति द्वारा निर्मित किया गया जो पाटन, गुजरात में सहस्रलिंग तालाब के पास स्थित है।

लोकप्रिय संस्कृति[संपादित करें]

भवई वेशा पौराणिक कथाओं पर आधारित एक लोक नाट्य रूप है।[3] शांता गांधी द्वारा १९८२ में जस्मा ओडन नामक एक मंचीय प्रदर्शन के लिए इसका पुनःसृजन किया गया था।[4]

संदर्भ[संपादित करें]

  1. (वीर गडरिया) पाल बघेल धनगर
  2. Bharati Ray (4 October 2005). Women of India: Colonial and Post-colonial Periods. SAGE Publications. पपृ॰ 527–. आई॰ऍस॰बी॰ऍन॰ 978-0-7619-3409-7.
  3. Manohar Laxman Varadpande (1992). History of Indian Theatre. Abhinav Publications. पपृ॰ 174–. आई॰ऍस॰बी॰ऍन॰ 978-81-7017-278-9.
  4. Vasudha Dalmia; Rashmi Sadana (5 April 2012). The Cambridge Companion to Modern Indian Culture. Cambridge University Press. पृ॰ 218. आई॰ऍस॰बी॰ऍन॰ 978-1-139-82546-7.