जयमंगला गढ़

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जयमंगला गढ़ बिहार का प्रमुख पर्यटन स्थल और पक्षी विहार है। यह कावर झील से घिरा हुआ है, जहां हर साल देश-विदेश से लाखों की संख्या में पक्षी आते हैं। यहां माता जयमंगला का प्रसिद्ध मंदिर है।

जयमंगला-गढ में माता जयमंगला का प्राचीन मंदिर है जो कि ५२ शक्तिपीठों में से एक है ।

अवस्थिति[संपादित करें]

जयमंगला गढ़ ऐतिहासिक नमक सत्याग्रह पथ पर मंझौल से पूरब बेगूसराय- गढ़पुरा के मध्य स्थित है। यह बिहार के बेगूसराय जिला मुख्यालय से 21 किलोमीटर और मंझौल से चार किलोमीटर दूर है। जयमंगला माता का मंदिर "नमक सत्याग्रह पथ" मुख्य सड़क से करीब एक किलोमीटर दूर अवस्थित है। मंदिर चारों और से कांवर झील से घिरा हुआ है। स्थानीय स्मृत्यों को विश्व पटल पर स्थापित करने हेतु प्रति वर्ष यहाँ जयमंगलागढ़ महोत्सव का आयोजन किया जाता है। प्रथम जयमंगलागढ़ महोत्सव के मुख्य अतिथि राष्ट्रपति श्री राम नाथ कोविंद जी थे।

ऐतिहासिकता[संपादित करें]

ऐसी मान्यता है कि यह राजा जयमंगल का गढ़ था। फिलहाल इसकी ऐतिहासिकता पर शोध जारी है।

कावर झील[संपादित करें]

कावर झील मीठे पानी का विशाल झील है। जिसकी लंबाई करीब 42 किलोमीटर है। यहां हर साल लाखों पक्षी विश्व के विभिन्न देशों से आते हैं।

पक्षी शरणस्थली[संपादित करें]

यह विश्व के सबसे बड़े पक्षी विहारों में से एक है। यहां पक्षियों को मारना प्रतिबंधित है।

पर्यटन स्थल[संपादित करें]

जयमंगला गढ़ पर्यटनस्थल के रूप में प्रसिद्ध है। एक जनवरी को नए साल के मौके पर यहां हजारों लोग वनभोज के लिए आते हैं।

जयमंगला गढ शक्तिपीठ है और इसे पर्यटन स्थल मानना चिंताजनक है ।

यहां से कुछ ही किलोमीटर की दूरी पर स्वतंत्रता संग्राम की अनमोल विरासत व महान स्वतंत्रता सेनानी, अखंड बिहार के प्रथम मुख्यमंत्री तथा आधुनिक बिहार के निर्माता "बिहार केसरी" डॉ श्रीकृष्ण सिंह (श्रीबाबू) की कर्मभूमि गढ़पुरा-का ऐतिहासिक नमक सत्याग्रह स्थल अवस्थित है। गढ़़पुरा में ही प्रसिद्ध शिव मंदिर बाबा हरिगिरि धाम है, जहां प्रतिवर्ष लाखों शिवभक्तों के द्वारा भगवान शंकर का जलाभिषेक किया जाता है।