जयदयाल डालमिया

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'जयदयाल डालमिया'
जन्म 1904
मौत 1993
राष्ट्रीयता भारतीय
पेशा उद्योगपति
उल्लेखनीय कार्य {{{notable_works}}}

जयदयाल डालमिया (1904-1993) [1] भारत के एक प्रमुख उद्योगपति और परोपकारी तथा लेखक थे। वे डालमिया समूह के सह-संस्थापकों में से एक तथा [2] [3] रामकृष्ण डालमिया के छोटे भाई थे।

आरम्भिक जीवन[संपादित करें]

जयदयाल डालमिया का जन्म 11 दिसंबर 1904 को राजस्थान के चिरावा शहर में एक हिन्दू अग्रवाल परिवार में हुआ था। उन्होंने अपनी प्रारंभिक शिक्षा कलकत्ता में शुरू की और बांग्ला सीखी। बाद में चिरावा जाकर उन्होंने मैट्रिक तक की पढ़ाई की।

व्यवसाय[संपादित करें]

उन्होंने अपने बड़े भाई रामकृष्ण डालमिया से व्यवसाय सीखा और डालमिया इंडस्ट्रीज की स्थापना में एक प्रमुख भूमिका निभाई । बाद में 1935 में डालमिया सीमेंट्स की स्थापना की, [4] जिसे अब उनके बेटे और पोते चलाते हैं। [5] [6]

वर्ष 1932-33 में बिहार के एक व्यापारी निर्मलकुमार जैन के साथ रामकृष्ण डालमिया ने एक चीनी मिल चलाया। जयदयाल को मिल की देखभाल के लिए नियुक्त किया गया। अपनी गहरी रुचि और समर्पण के साथ उन्होंने 1 वर्ष की छोटी अवधि के भीतर मिल चालू कर दिया। एक वर्ष के भीतर डालमियानगर में डेहरी-ऑन-सोन के पास 'रोहतास इंडस्ट्रीज लिमिटेड' नामक एक और चीनी मिल शुरू की गई। जयदयाल ने अपने सभी उपक्रमों में अपने बड़े भाई रामकृष्ण का सहयोग किया और व्यवसाय में अत्यधिक रुचि दिखाई।

कुछ वर्षों में रामकृष्ण और जयदयाल ने डिंडोत, कल्लकुडी, राजगांगपुर, चरखी दादरी में छह सीमेंट कारखाने और शांतिनगर, कराची में एक और कारखाना स्थापित किया। जयदयाल ने यूरोप से मशीनरी प्राप्त करने में प्रमुख भूमिका निभाई। उन्होंने बेहतर तकनीक का आयात किया जो न केवल उनके प्रतिस्पर्धी की तकनीक को अप्रचलित बना दिया बल्कि उन्होंने दानिश को भी मजबूर किया कि वे भारत को निर्यात की जा रही 'वेट प्रोसेस टेक्नोलॉजी' की कीमत को कम करें।

जयदयाल डालमिया को मशीनरी में व्यापक रुचि थी। इसलिये उन्होंने डालमियानगर और अन्य संयंत्रों में भी सभी कारखानों के तकनीकी कार्यों में प्रमुख भूमिका निभाई। 'उड़ीसा सीमेंट्स' नामक राजगंगपुर कारखाने की स्थापना के तुरंत बाद जयदयाल ने 1954 में राउरकेला में फायर ब्रिक्स रिफ्रैक्टरी की शुरुआत की।

रामकृष्ण डालमिया ने बैंकिंग क्षेत्र में कदम रखा और भारत में कई जगहों पर भारत बैंक की शाखाएँ आरम्भ हुईं। उन्होंने उड्ड्यन उद्योग में भी प्रवेश किया और भारत इंश्योरेंस कंपनी में अंश हासिल किया और पंजाब नेशनल बैंक में नियंत्रण हासिल किया। मोटर वाहन क्षेत्र में उन्होंने हाथ लगाया। उनकी 'एलन बेरी एंड कंपनी लिमिटेड', कम्पनी ने लगभग 50,000 अमेरिकी वाहन खरीदे जो द्वितीय विश्वयुद्ध के बाद बच गये थे और जिन्हें निपटाया जा रहा था। इस कंपनी ने 1950 के दशक तक भारत के विभिन्न हिस्सों में विशाल कार्यशालाएँ चलाईं। इसके बाद इसे भंग कर दिया गया। वे जानते थे कि मीडिया ने राष्ट्र के विकास में एक अत्यंत महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है। अतः उन्होंने टाइम्स ऑफ इंडिया का अधिग्रहण किया और साथ ही हिंदी और बांग्ला में समाचार पत्र भी आरम्भ किये। उन्होंने गोवन ब्रदर्स को खरीद लिया और रसायनिक उद्यम के क्षेत्र में भी उद्यम किया। उस समय डालमिया कंपनियां, टाटा और बिड़ला के बाद भारत के प्रमुख औद्योगिक समूहों में एक साथ तीसरे स्थान पर थीं।

स्वतंत्रता के कुछ समय बाद, डालमिया साम्राज्य रामकृष्ण डालमिया, जयदयाल डालमिया और रामकृष्ण के दामाद साहू शांति प्रसाद जैन के बीच विभाजित हो गया। डालमियानगर और बेनेट, कोलमैन एंड कंपनी लिमिटेड नामक प्रकाशन कम्पनी साहू शांति प्रसाद जैन को मिली। जयदयाल डालमिया को राजगांगपुर और डालमियापुरम की सीमेंट फैक्ट्रियां तथा पाकिस्तान की दो फैक्ट्रियां मिल गईं। वर्ष 1964 में पाकिस्तान की दोनों फैक्ट्रियां बिक गईं।

जयदयाल डालमिया कई कंपनियों से जुड़े थे। उन्होंने चीनी, डिस्टिलरी और अन्य कारखानों के प्रबंध निदेशक के रूप में काम किया। वे चुर्क में स्थापित उत्तर प्रदेश के पहले सीमेंट कारखाने के तकनीकी निदेशक भी थे। उन्होंने सार्वजनिक लिमिटेड कंपनियों जैसे सीमेंट, चीनी, डिस्टिलरी, पेपर, वनस्पति घी, रिफ्रेक्ट्रीज, सिरेमिक, मैग्नेटाइट, फाइनेंसिंग, इंश्योरेंस और विभिन्न उद्योगों के अध्यक्ष, निदेशक, तकनीकी निदेशक के पद भी संभाले।

परिवार[संपादित करें]

जयदयाल डालमिया का विवाह कृष्णा देवी से हुआ था। उनके सात पुत्र और दो पुत्रियाँ थीं। उनके बेटों के नाम विष्णु हरि डालमिया, [7] नरहरि डालमिया, मृदुहरि डालमिया, जयहरि डालमिया, अजय हरि डालमिया, यदुहरि डालमिया और रघुहरि डालमिया हैं, जिन्हें 1993 में उनके निधन के बाद डालमिया समूह में उनकी हिस्सेदारी विरासत में मिली थी। [5] [6] उनकी दो बेटियां उमा देवी और उषा देवी थीं।

लोकोपकार के कार्य[संपादित करें]

जयदयाल महान परोपकारी थे। 1951 के बाद उन्होंने कई ट्रस्टों की स्थापना की जो निजी अस्पतालों, स्कूलों, विधवा घरों, धर्मशालाओं आदि को चलाते हैं। [3] वे मुखर समाज सुधारक थे। उन्होंने गौ-वध विरोधी आंदोलन [1] का समर्थन किया और कृष्ण जमनाभूमि केशव देव मंदिर के निर्माण में वे गहराई से जुडे थे। [8]

उन्होंने बाढ़, सूखा, भूकंप और दंगों के पीड़ितों को वित्तीय सहायता प्रदान की। मेधावी व गरीब छात्रों को छात्रवृत्ति दी। साथ ही निर्धन परिवारों की लड़कियों के विवाह में भी सहायता की।

उनके बड़े भाई रामकृष्ण डालमिया और जयदयाल डालमिया, ने मिलकर कई ट्रस्टों की स्थापना की, जिनमें से रामकृष्ण जयदयाल डालमिया श्रीवाणी अलंकरण प्रसिद्ध है। यह अलंकरण संस्कृत भाषा और साहित्य में उत्कृष्ट कार्य के लिये दिया जाने वाला एक पुरस्कार है।[9] [10] इसी तरह, दोनों भाइयों द्वारा स्थापित श्री रामकृष्ण जयदयाल डालमिया सेवा संस्थान नामक एक अन्य ट्रस्ट द्वारा जल संचयन और पर्यावरण संरक्षण के क्षेत्र में उत्कृष्ट कार्य के लिए डालमिया ट्रस्ट जल पर्यावरण पुरस्कार दिया जाता है। यह राजस्थान के झुंझुनू जिले में उनके पैतृक गांव चिरावा से संचालित होता है। [11]

अपने व्यावसायिक जीवन से निवृत्ति की घोषणा करने के बाद दो दशकों तक वे मथुरा के श्री कृष्ण जन्मस्थान सेवा संस्थान के प्रबंध न्यासी रहे और कई मंदिरों के निर्माण में मदद की। उन्होंने ट्रस्ट के प्रकाशन साहित्य को भी संभाला। गरीबों, विकलांगों, नेत्रहीनों और जरूरतमंदों की मदद करने वाले विभिन्न धार्मिक और धर्मार्थ ट्रस्टों में उनकी रुचि थी।

लेखन कार्य[संपादित करें]

उन्होंने कैइ पुस्तकें भी लिखीं। 1971 में प्रकाशित 'धर्मशास्त्र और अस्पृश्यता' और 'प्राचीन भारत में गोमांस - एक समीक्षा' जैसी पुस्तकों की रचना की। [12] बंगाली वैष्णव साहित्य के अनेक पुस्तकों को हिंदी में प्रकाशित करने में भी वे आगे रहे।

संदर्भ[संपादित करें]

  1. Jaffrelot, Christophe (2010). Religion, Caste, and Politics in India By Christophe Jaffrelot. पृ॰ 234. आई॰ऍस॰बी॰ऍन॰ 9789380607047.
  2. .Who's who in India, Burma & Ceylon. Who's Who Publishers (India) Limited. 1941. पृ॰ 131.
  3. The Aggarwals: a socio-economic study by am Gupta. S. Chand. 1975. पपृ॰ vii, 67. आई॰ऍस॰बी॰ऍन॰ 9780883867150.
  4. "History That Dates Back To 1935". Dalmia Cement. मूल से 22 अगस्त 2013 को पुरालेखित. अभिगमन तिथि 10 April 2013.
  5. "Barclays Wealth". Moneycontrol.com. अभिगमन तिथि 10 April 2013.
  6. "Will Your Legacy Live On?". Entrepreneurindia.in. 16 January 2010. मूल से 28 October 2013 को पुरालेखित. अभिगमन तिथि 10 April 2013.
  7. Barque's Pakistan trade directory and who's who. 1961. पृ॰ 2058.
  8. "Shri Krishna Janmasthan". Shri Krishna Janmasthan Trust. मूल से 4 September 2015 को पुरालेखित. अभिगमन तिथि 24 August 2012.
  9. "The Office of Speaker Lok Sabha". Speakerloksabha.nic.in. 18 January 2007. अभिगमन तिथि 10 April 2013.
  10. Culturopedia.com. "Non-governmental Awards of India". Culturopedia.com. मूल से 26 मई 2013 को पुरालेखित. अभिगमन तिथि 10 April 2013.
  11. "News # 100413-174753]". Newkerala.com. अभिगमन तिथि 10 April 2013.
  12. Dalmia, Jaidayal (1971). A Review of beef in ancient India – Google Books. अभिगमन तिथि 10 April 2013.