जनपत्रकारिता

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हाल के दिनों में मीडिया रिपोर्टिंग में मोबाइल फ़ोन के उपयोग से पत्रकारों और ग़ैर-पत्रकारों के बीच का रिश्ता बदलता दिख रहा है। इसके ज़रिए कोई भी रिपोर्टर की अहम भूमिका निभा सकता है। इसी की एक मिसाल अमरीका मे चले चुनाव अभियान और भारत में आए सूनामी आपदा में भी आम जमता द्वारा ली गई कैमराफ़ोन तस्वीरों और वीडियो क्लिप का इस्तेमाल समझा गया है। इसे ओपन-सोर्स जर्नलिज़्म या जनपत्रकारिता का नाम दिया जा रहा है।

इंगलैंड में जनपत्रकारिता[संपादित करें]

२००५ में जनपत्रकारिता में तकनीक के उपयोग मिसाल बनी थी। लंदन में जुलाई में हुए बम हमलों के आरंभिक तस्वीरें वो थीं जो आम लोगों ने अपने मोबाइल फ़ोन के कैमरों से खींचे थे। इसी तरह उसी साल दिसंबर में लंदन के पास एक तेल डिपो में लगी भयानक आग की शुरूआती रिपोर्टिंग भी शौकिया पत्रकारों ने ही की।[1]

भारत में जनपत्रकारिता[संपादित करें]

भारत में भी हाल के दिनों में कई स्थानों में हुई भयंकर बारिश से मची तबाही की रिपोर्टिंग में आम लोगों के कैमरा फ़ोनों की अहम भूमिका रही है।[1]


सन्दर्भ[संपादित करें]

  1. "विज्ञान 2005". बीबीसी हिन्दी. मूल से 3 मार्च 2006 को पुरालेखित. अभिगमन तिथि 23 मार्च 2014. नामालूम प्राचल |acessdate= की उपेक्षा की गयी (|access-date= सुझावित है) (मदद)