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छाप तिलक सब छीनी

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"छाप तिलक सब छीनी"

"چھاپ تلک سب چھینی"
अमीर ख़ुसरो द्वारा एकल संगीत
प्रकार क़व्वाली
गीत लेखक अमीर ख़ुसरो

छाप तिलक सब छीनी : (ब्रजभाषा), १४वीं सदी के सूफ़ी संत अमीर खुसरो की एक कविता है जो अवधी में लिखी गयी थी। अक्सर क़व्वाली की तरह गाया जाता है। [1] भारतीय उपमहाद्वीप के मशहूर गायकों ने ये गाना गाया जैसे नुसरत फ़तेह अली ख़ान, फ़रीद अयाज़, निजामी बंधु नाहीद अख़्तर, मेहनाज़ बेग़म, आबिदा परवीन इक़बाल हुसैन ख़ान, उस्ताद विलायत ख़ान, उस्तान शुजात ख़ान, ज़िला ख़ान, हदीक़ा कियानी और उस्ताद राहत फ़तेह अली खान[उद्धरण चाहिए]

सूफ़ीमत में सूफ़ी क़व्वाली गा कर इबादत करते हैं,ये[2][3] भी एक ऐसी ही क़व्वाली है जिसे निज़ामुद्दीन औलिया के लिए गाया गया है। छाप तिलक सब छीनी रे मोसे नैना मिलाय के, मोहे सुहागन कीनी रे/मोसे नैना मिलाइके प्रेम भटी का मधवा पिलाइके

शब्द हिंदी में

छाप तिलक सब छीनी रे मोसे नैना मिलाइके

बात अगम कह दीनी रे मोसे नैना मिलाइके

प्रेम भटी का मधवा पिलाइके

मतवाली कर लीनी रे मोसे नैना मिलाइके

गोरी गोरी बईयाँ, हरी हरी चूड़ियाँ

बईयाँ पकड़ हर लीनी रे मोसे नैना मिलाइके

बल बल जाऊं मैं तोरे रंग रजवा

अपनी सी रंग दीनी रे मोसे नैना मिलाइके

ख़ुसरो निजाम के बल बल जाए

मोहे सुहागन कीनी रे मोसे नैना मिलाइके

बात अजब कह दीनी रे मोसे नैना मिलाइके

शब्द उर्दू में

چھاپ تلک سب چھینی رے موسے نیناں ملائیکے

بات اگم کہہ دینی رے موسے نیناں ملائیکے

پریم بھٹی کا مدھوا پلائیکے

متوالی کر لينی رے موسے نیناں ملائیکے

گوری گوری بياں، ہری ہری چوڑیاں

بياں پکڑ ہر لينی رے موسے نیناں ملائیکے

بل بل جاؤں میں تورے رنگ رجوا

آپ کی سی رنگ دينھی رے موسے نیناں ملائیکے

خسرو نظام کے بل بل جائے

موہے سہاگن کر دینی رے موسے نیناں ملائیکے

چھاپ تلک سب چھینی رے موسے نیناں ملائیکے

بات عجب کہہ دینی رے موسے نیناں ملائیکے

सन्दर्भ

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  1. "A message of love: Sabri brothers enthrall the audience with their qawwali". Times of India. TNN. 24 January 2011. Archived from the original on 28 सितंबर 2013. Retrieved 26 October 2017.
  2. "Love and the Metaphors of Wine and Drunkenness in Persian Sufi Poetry" (in अंग्रेज़ी). Archived from the original on 16 अगस्त 2018. {{cite web}}: Cite has empty unknown parameter: |dead-url= (help)
  3. "What was Rumi talking about?". Al Jazeera (in अंग्रेज़ी). Archived from the original on 17 अगस्त 2018. {{cite web}}: Cite has empty unknown parameter: |dead-url= (help)