चेम्सफोर्ड योजना
प्रथम विश्व युद्ध के समय मित्र राष्ट्रों ने यह घोषणा किया था कि वे यह युद्ध विश्व में लोकतंत्र को सुरक्षित रखने के लिए तथा आत्म निर्णय के अधिकार के लिए लड़ रहे हैं। इसी कारण भारतीयों ने भी ब्रिटिश सरकार को इस युद्ध में अपना पूर्ण सहयोग प्रदान किया था। लेकिन युद्ध की समाप्ति पर भारतीयों को घोर निराशा हुई, क्योंकि उन्हें कोई विशेष सुविधा प्रदान नहीं की गई। युद्ध के दौरान ही होमरूल आंदोलन आरंभ हो गया। कांग्रेस और मुस्लिम लीग में भी समझौता हो गया। अंग्रेज के उदारवादी और उग्रवादी भी आपस में मिल गए भारत से कई क्षेत्रों में क्रांतिकारी क्रियाकलाप भी आरंभ हो गया। इसी बीच महात्मा गांधी के भारत के राजनीति में प्रवेश करने से देशवासियों में एक नया आत्मविश्वास पैदा हो गया। 1909 में जो अधिनियम पारित किया गया था उसे भी भारतीय संतुष्ट नहीं थे। ऐसी परिस्थिति में भारत मंत्री मांटेगू ने ब्रिटिश संसद में घोषणा किया कि सरकार भरतीयों को प्रशासन में अधिक संख्या में सम्मिलित करें उत्तरदायी सरकार की स्थापना करना चाहती है।अतः भारत मंत्री मांटेग्यू या मांटेगू और वायसराय चेम्सफोर्ड एक सम्मिलित रिपोर्ट ब्रिटिश संसद में भेजा और उसी आधार पर संसद में 1919 ईस्वी का अधिनियम पारित किया, जिसे मांटेग्यू चेम्सफोर्ड सुधार या मांटफोर्ड सुधार कहते हैं।