चुणीलाल बसु

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राय बहादुर चुणीलाल बसु (१३ मार्च, १८६१ - ०२ अगस्त, १९३०) भारत के एक रसायनज्ञ, विज्ञानसाधक, चिकित्सक और देशप्रेमी थे। वे रसायन विज्ञान के मेधावी विद्यार्थी थे। उन्होने ग्रामीण बंगाल में स्वच्छता और स्वास्थ्य के विषय में जागरूकता फैलाने का प्रयास किया। अनेक दृष्टियों से वे अपने समय से आगे थे। उस समय वे खाद्य पदार्थों में मिलावट एवं पर्यावरण के प्रदूषण की बात करते थे। २०वीं शताब्दी के आरम्भिक दिनों में वे सन्तुलित भोजन और व्यायाम के महत्व पर प्रकाश डालते थे। उन्होने कहा था कि हमारा (बंगाल का) वर्तमान भोजन सही नहीं है।[1]

बसु का जन्म कोलकाता में १८६१ में हुआ था। उन्होने स्कॉटिश चर्च कॉलेज और उसके बाद कोलकाता मेडिकल कॉलेज से शिक्षा ग्रहण की। उनकी आर्थिक स्थिति चिकित्सा शिक्षा के उपयुक्त नहीं थी जिसके कारण उनको बहुत संघर्ष करना पड़ा। अन्ततः वे एक महान चिकित्सक हुए।


उनके दो लेख ( चेचक की रोकथाम ; भारत में मधुमेह के बारे में कुछ प्रेक्षण) उनकी विद्वता के प्रमाण हैं। वे बंगाल सरकार के १८८९ से १०२० तक रासायनिक परीक्षक थे। उनकी सबसे बड़ी उपलब्धि भारतीय विष अधिनियम पारित कराना था जिसके द्वारा विषकारक पदार्थों का मुक्त क्रय-विक्रय रोका गया। रसायन विज्ञान, खाद्य विज्ञान और चिकित्सा के क्षेत्र में उनके योगदान के लिए ब्रितानी सरकार ने उन्हें १८९८ में राय बहादुर की पदवी से सम्मानित किया था। १९२१ में उन्हें कलकता का शेरिफ चुना गया।

कृतियाँ[संपादित करें]

चुणीलाल बसु केवल रसायनविज्ञानी, चिकित्सक और समाजसुधारक ही नहीं थे बल्कि वे एक अच्छे लेखक भी थे।

  • गुरुदास बनर्जी की जीवनी (बांग्ला में)
  • फलित रसायन
  • रसायन सूत्र
  • जल
  • बायु
  • खाद्य
  • आलोक
  • शरीर स्बास्थ्य बिधान (शरीर स्वास्थ्य के नियम)
  • पल्ली स्बास्थ्य (हिन्दी - ग्रामीण स्वास्थ्य)
  • स्बास्थ्य पञ्चक
  • पुरी याइबार पथे

सन्दर्भ[संपादित करें]

  1. "Chemist, doctor and patriot". मूल से 7 अक्तूबर 2018 को पुरालेखित. अभिगमन तिथि 7 अक्तूबर 2018.