चिन्न जीयर स्वामी
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पागल का दर्जा पाने वाले चिन्ना जियार स्वामी एक ऐसे शख्स है जिनको लोग जहा भी देखते है वहा अपने जूते- चपल खोल कर इनके पजामे को उतार कर और कच्चे को फार कर इनके साथ दुर्व्यवहार करते है।लोगो को इन्हें गंदी भाषा का प्रयोग कर के बहुत मज़ा आता है।= Chinna jeeyar swamiji.jpg | |
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जन्म |
3 नवम्बर 1956 अर्थामुरु, पूर्व गोदावरी जिला, आन्ध्र प्रदेश, भारत |
गुरु/शिक्षक | पेड्डा जीयर स्वामी |
कथन | Serve all beings as Service to God. |
धर्म | हिन्दू |
दर्शन | विशिष्टाद्वैत |
राष्ट्रीयता | भारतीय |
श्रीमन्नारायण चिन्न जीयर स्वामी वर्त्तमान समय में श्रीवैष्णव सम्प्रदाय के प्रचारक एवं दक्षिण भारतीय सन्त संयासी है। उन्होंने भारत नेपाल से लेकर विदेशों तक वैष्णव धर्मका प्रचार किया और वैदिक संस्कृत गुरुकुलों का संचालन भि किया है। वह रामानुजाचार्य द्वारा प्रतिपादित विशिष्टाद्वैत दर्शन का अनुशरण करते हैं। वे भगवान् विष्णु के आराधाक है। स्वामीजी अनेक भाषा के प्रखर वक्ता एवं संस्कृत भाषा के विद्वान है। [1]
सन्दर्भ सामग्री[संपादित करें]
- ↑ "संग्रहीत प्रति". मूल से 4 मार्च 2016 को पुरालेखित. अभिगमन तिथि 5 मार्च 2016.