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चिंताराम टिकरिहा

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चिंताराम टिकरिहा
जन्म1880
कुम्हारी, सेंट्रल प्रॉविन्सेस, ब्रिटिश राज
मृत्युनवम्बर 21, 1982(1982-11-21) (उम्र 102 वर्ष)
जीवनसाथीविक्टोरिया बाई टिकरिहा
(वि॰ 1910; नि॰ 1953)

श्री बाई टिकरिहा (वि॰ 1955)
माँ-बापसुखिया बाई टिकरिहा
दौवाराम टिकरिहा

चिंताराम टिकरिहा (1880-21 नवंबर 1982) एक भारतीय कृषिविद, बलवान, परोपकारी और सामाजिक कार्यकर्ता थे।[1][2] उन्होंने विद्यालय व सड़क निर्माण के लिए अपनी भूमि और धन दान किया, वे कई गरीब परिवारों के नामकरण, विवाह व दशगात्र आदि का खर्च स्वयं वहन किया करते थे । अपने असाधारण शारीरिक पराक्रम के लिए वे स्थानीय समुदाय में व्यापक रूप से प्रसिद्ध थे। 2025 की डॉक्यूमेंटरी फिल्म छत्तीसगढ़ के भीम चिंताराम उनके जीवन पर आधारित थी।[3]

प्रारंभिक जीवन

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चिंताराम टिकरिहा का जन्म 1880 में ब्रिटिश भारत के कुम्हारी नामक गांव में हुआ था। उनके पिता दौआराम टिकरिहा एक समृद्ध जमींदार थे। युवावस्था में चिंताराम वर्तमान बलौदाबाज़ार जिले के बुड़गहन गांव में आकर वहाँ लोगों को बसाकर उन्हें रोजगार उपलब्ध कराया। सन 1900 के शुरुआती दशकों में उन्होंने विक्टोरिया बाई से विवाह किया, जिससे उन्हें दो पुत्र और तीन पुत्रियां हुईं। विक्टोरिया बाई के निधन के बाद उन्होंने श्री बाई से विवाह किया और आगे चलकर उनके दो पुत्र और नौ पुत्रियां हुईं।[4]

कृषि सुधार

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1950 के दशक में टिकरिहा ने अपने क्षेत्र में कृषि से जुड़ी चुनौतियों को देखते हुए देशभर में विभिन्न कृषि पद्धतियों का अध्ययन करने के लिए यात्रा की। स्वतंत्रता सेनानी सालिक चंद्रवंशी के साथ उन्होंने भारत के कई राज्यों का भ्रमण किया और विभिन्न प्रकार की खेती की तकनीकों को समझा। उनके प्रयासों से मध्य छत्तीसगढ़ में कृषि की रोपा पद्धति का परिचय हुआ, जिसे आज इस क्षेत्र के किसानो के लिए एक महत्वपूर्ण प्रगति माना जाता है।[4]

शारीरिक बल

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टिकरिहा द्वारा उठाया गया 14 फीट का स्तंभ, जिसके ऊपर उनका नाम उत्कीर्ण किया गया था।

चिंताराम अपने अद्भुत शारीरिक बल के लिए प्रसिद्ध थे। उनके समकालीनों के अनुसार, जब कोई बैलगाड़ी कीचड़ में फंस जाती, तो वे एक बैल को खोलकर उसकी जगह खुद जुत जाते और गाड़ी को खींचकर बाहर निकाल देते। एक बार जब एक विशाल पेड़ सड़क पर गिर गया और रास्ता अवरुद्ध हो गया, तो उन्होंने अकेले ही उसे हटाकर किनारे कर दिया। एक अन्य घटना में, जब चार मेहमान बिना भोजन किए लौटने लगे, तो उनकी जीप आगे नहीं बढ़ सकी; जब उन्होंने पीछे देखा, तो पाया कि टिकरिहा ने हंसते हुए जीप के पिछले पहियों को कुछ इंच ऊपर उठा लिया था।टिकरिहा की असाधारण शक्ति के कई किस्से आज भी लोककथाओं में सुनाए जाते हैं। 1935 में उन्होंने चित्रकूट की परिक्रमा स्थल पर गिरे एक विशाल पत्थर को हटाया था, जिसके सम्मान में स्थानीय लोगों ने उस पर उनका नाम अंकित कराया था। यह पत्थर कई दशकों तक वहीं रहा, लेकिन 1996 में एक निर्माण परियोजना के दौरान इसे स्थानांतरित कर दिया गया।[5]

उसी वर्ष, टिकरिहा ने चौदह फुट लंबा, 500 किलोग्राम से अधिक वजन का एक विशाल पत्थर उठाकर खड़ा किया, जिस पर उनका नाम और तारीख अंकित की गई। प्रत्यक्षदर्शियों के अनुसार, 1960 के दशक में तुरतुरिया मंदिर के पुनर्निर्माण के दौरान उन्होंने कई बार 100 से 200 किलोग्राम तक के पत्थर उठाकर निर्माण स्थल तक पहुंचाए।1940 के दशक में भवन निर्माण के समय वे बाईस फुट लंबी, 1800 किलोग्राम से अधिक वजनी लकड़ी के खंभे को उठाने वाले दस लोगों में शामिल थे।।[5]

परोपकार

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टिकरिहा द्वारा पुनर्निर्मित वाल्मीकि आश्रम मंदिर।

टिकरिहा परोपकारी कार्यों में सक्रिय थे। उन्होंने अपने निवास के एक हिस्से को स्कूल खोलने के लिए दान कर दिया और स्थानीय मजदूरों के लिए रोजगार के अवसर उत्पन्न किए। उन्होंने निर्धन परिवारों को कई स्थानों पर आर्थिक सहायता प्रदान की और अकाल व बाढ़ के समय उनके भोजन व निवास की व्यवस्था भी उपलब्ध कराई। इसके अलावा, उन्होंने बुड़गहन के लिए  नहर मार्ग को परिवर्तित कराया और बिना किसी मुआवजे के सड़क निर्माण के लिए अपनी भूमि भी दान कर दी।[6][1]

मंदिर पुनर्निर्माण

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1969 से 1974 के बीच, टिकरिहा ने तुरतुरिया में स्थित प्राचीन मंदिर के पुन[2]र्निर्माण में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई, जिसे वाल्मीकि आश्रम के नाम से जाना जाता है। यह स्थल बलौदाबाज़ार जिले के एक सुदूर इलाके में स्थित जर्जर अवस्था में था। टिकरिहा के प्रयासों से मंदिर का पुनरुद्धार संभव हुआ और यह एक प्रसिद्ध धार्मिक एवं सांस्कृतिक केंद्र के रूप में स्थापित हुआ।[7]

अपनी संपन्नता के बावजूद चिंताराम ने सादा जीवन व्यतीत किया और स्थानीय लोग उन्हें प्रेमपूर्वक "बाबूजी" कहकर संबोधित करते थे। उनकी स्मृति आज भी जनश्रुतियों में जीवित है, और उन्हें बुड़गहन तथा आसपास के क्षेत्रों के लिए गौरव का प्रतीक माना जाता है।[5]

फिल्में

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  • 2025 में, फिल्म निर्देशक एस अंशु धुरंधर द्वारा उनके जीवन पर एक वृत्तचित्र बनाया गया। इस डाक्यूमेंट्री फिल्म में 250 से अधिक लोगों के साक्षात्कार शामिल थे और इसमें कैबिनेट मंत्री टंक राम वर्मा, सांसद विजय बघेल और छत्तीसगढ़ के पूर्व मुख्यमंत्री भूपेश बघेल सहित कई प्रमुख हस्तियों के वीडियो संदेश और टिप्पणियाँ प्रस्तुत की गई। यह फिल्म अब तक चिंताराम टिकरिहा के जीवन पर आधारित एकमात्र प्रामाणिक दस्तावेजी स्रोत मानी जाती है।[8][9][10]
  • 2024 में एस अंशु धुरंधर द्वारा लिखित 'चिंताराम' नामक जीवनी प्रकाशित हुई।[11][12][2]
  1. Aṭapaṭū, Ajaya (2015). Chhattisgarh Ke Lokjeevan Mein Ram. Vani Prakashan. आई॰ऍस॰बी॰ऍन॰ 978-93-5229-093-2.
  2. "CG News: दाऊ चिंताराम टिकरिहा पर बनी फिल्म व पुस्तक का हुआ विमोचन, मंत्री टंकराम वर्मा बोले – कसरत के साथ संस्कार सिखाएगी | CG News: Film and book made on Bhim Chintaram Tikriha of Chhattisgarh released". Patrika News. 2025-01-08. अभिगमन तिथि 2025-02-05.
  3. Dhurandhar, S Anshu (2024-06-23). Chintaram. Bluerose Publishers. पृ॰ 107. आई॰ऍस॰बी॰ऍन॰ 978-9364525763.सीएस1 रखरखाव: तिथि और वर्ष (link)
  4. Dhurandhar, S Anshu (2024-06-23). Chintaram. Bluerose Publishers. पृ॰ 53. आई॰ऍस॰बी॰ऍन॰ 978-9364525763.सीएस1 रखरखाव: तिथि और वर्ष (link)
  5. Dhurandhar, S Anshu (2024-06-23). Chintaram. पृ॰ 34. आई॰ऍस॰बी॰ऍन॰ 978-9364525763.सीएस1 रखरखाव: तिथि और वर्ष (link)
  6. Dhurandhar, S Anshu (2024-06-23). Chintaram. Bluerose Publishers. पृ॰ 73. आई॰ऍस॰बी॰ऍन॰ 978-9364525763.सीएस1 रखरखाव: तिथि और वर्ष (link)
  7. Aṭapaṭū, Ajaya (2015). Chhattisgarh Ke Lokjeevan Mein Ram. Vani Prakashan. आई॰ऍस॰बी॰ऍन॰ 978-93-5229-093-2.
  8. Verma, Chandrakant (2025-01-04). "छत्तीसगढ़ के भीम चिंताराम टिकरिहा, 6 जनवरी को होगी 'चिंताराम फिल्म' रिलीज!". Chhattisgarh Talk (अंग्रेज़ी में). अभिगमन तिथि 2025-01-10.
  9. Agrawal, Trisha (2025-01-04). "छत्तीसगढ़ के भीम चिंताराम: तुरतुरिया मंदिर के जीर्णोद्धारकर्ता चिंताराम टिकरिहा के जीवन पर बन रही फिल्म, 6 जनवरी को होगी रिलीज …". Lalluram. अभिगमन तिथि 2025-01-10.
  10. "दाऊ चिंताराम टिकरिहा पर बनी फिल्म "छत्तीसगढ़ के भीम चिंताराम" और पुस्तक का हुआ विमोचन, मंत्री टंकराम वर्मा ने कहा- युवाओं को उनके जीवन से लेनी चाहिए प्रेरणा". दाऊ चिंताराम टिकरिहा पर बनी फिल्म “छत्तीसगढ़ के भीम चिंताराम” और पुस्तक का हुआ विमोचन, मंत्री टंकराम वर्मा ने कहा- युवाओं को उनके जीवन से लेनी चाहिए प्रेरणा. अभिगमन तिथि 2025-01-10.
  11. Dwivedi, Silky (2025-01-04). "Bhim Chintaram of Chhattisgarh: A film is being made on the life of Chintaram Tikariya, the restorer of Turturiya temple, will be released on January 6… -". www.the-journalist.com (अंग्रेज़ी में). अभिगमन तिथि 2025-01-10.
  12. "cg streetbuzz दाऊ चिंताराम टिकरिहा पर बनी फिल्म "छत्तीसगढ़ के भीम चिंताराम" और पुस्तक का हुआ विमोचन, मंत्री टंकराम वर्मा ने कहा-". streetbuzz.co.in. अभिगमन तिथि 2025-01-10.