चारु चंद्रलेख

मुक्त ज्ञानकोश विकिपीडिया से

द्विवेदीजी द्वारा 1963 मेंं लिखीत इस ऐतिहासिक उपन्यास में गहरवार नरेश जयचन्द की पराजय के बाद का समय चित्रित हुआ है।