चारशंबे सुरी

मुक्त ज्ञानकोश विकिपीडिया से
पवित्र आग के ऊपर से कूदकर चारशंबे सुरी मनाता हुआ एक नवयुवक

चारशंबे सुरी (फारसी: چارشنبه ‌سوری – Čāršanbe Suri‎‎; अजरबैजानी: Çərşənbə Bayramı; कुर्दिश: Çarşema Sor‎), ईरान में मनाया जाने वाला एक त्यौहार है जो वर्तमान वर्ष के अन्तिम मंगलवार ( नौरोज के पहले) की शाम को मनाया जाता है। पंजाब, हरियाणा और दिल्ली में मनाई जाने वाली लोहड़ी और ईरान का चहार-शंबे सूरी बिल्कुल एक जैसे त्योहार हैं। इस मंगलवार की रात लोग अपने घरों के आगे आग जलाकर उसके ऊपर से कूदते हैं और अग्नि को पवित्र मानकर उसमें तिल, शक्कर और सूखे मेवे अर्पित करते हुए यह गीत गाते हैं-

ऐ आतिश-ए-मुक़द्दस! ज़रदी-ए-मन अज़ तू सुर्ख़ी-ए-तू अज़ मन

इसका अर्थ है - हे पवित्र अग्नि! हमारा निस्तेज पीलापन तू हर ले, अपनी जीवंत लालिमा से हमें भर दे। यह ईरानी पर्वगीत ऋग्वेद की ऋचा की याद दिलाता है-

यो अग्निं देववीतये हविष्मा आविवासति, तस्मै पावक मृळय।[1]

सन्दर्भ[संपादित करें]

  1. "ईरान की 'लोहड़ी' में ऋग्वेद की ऋचाएं". मूल से 19 मार्च 2016 को पुरालेखित. अभिगमन तिथि 18 मार्च 2016.