चतुर्थांश जीवन संकट

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चतुर्थांश जीवन संकट (क्वार्टर लाइफ क्राइसिस) शब्द किशोरावस्था के बड़े बदलावों के तुरंत बाद शुरू होने वाले जीवन काल के लिए प्रयुक्त होता है और आम तौर पर किशोरावस्था के अंतिम चरण (लेट टींस) से उम्र के तीसरे दशक के शुरुआती वर्षों तक रहता है। इस शब्द का नाम मध्य-जीवन संकट (मिड-लाइफ क्राइसिस) के अनुकरण पर रखा गया है।

इसकी पहचान करने वाली सबसे पहली पुस्तक क्वार्टरलाइफ क्राइसिस, द यूनीक चेंजेज ऑफ लाइफ इन योर ट्वेंटीज (टार्चर, 2001) थी जिसके सह-लेखक एब्बी विलनर और अलेक्जेंडर रॉबिन्स थे; जबकि साथियों के शोध के आधार पर व्यवहारिक समाधान प्रस्तुत करने वाली प्रथम पुस्तक थी डेमियन बार की गेट इट टुगेदर: ए गाइड टू सर्वाइविंग योर क्वार्टरलाइफ क्राइसिस (हॉडर 2004 और 2005) थी। इस तथ्य का शुरुआती विवरण एरिक एच. एरिक्सन द्वारा माना गया है, लेकिन विलनर, रॉबिन्स और बार के तर्कानुसार इसका वर्तमान स्वरूप अलग है।

भावनात्मक पहलू[संपादित करें]

काजिमिर मालेविच की प्रतिभावान बेरोजगार लड़की (1904)

क्वार्टर लाइफ क्राइसिस के लक्षणों में ये शामिल हो सकते हैं:[उद्धरण चाहिए]

  • यह मानना कि अपने साथियों का अनुसरण बेकार है
  • अपनी स्वयं की नश्वरता से संघर्ष
  • अपने माता-पिता के जीवन में समय को धीरे-धीरे गुज़रते हुए देखना और मानना कि अगली बारी उनकी है
  • इस तथ्य को लेकर असुरक्षा की भावना कि उनके कर्म व्यर्थ हैं
  • दूसरों की बात तो दूर की है, स्वयं से भी प्यार करने की क्षमता को लेकर असुरक्षा की भावना.
  • वर्तमान उपलब्धियों के प्रति असुरक्षा का भाव
  • नजदीकी पारस्परिक संबंधों का पुनः-मूल्यांकन
  • मित्रता या प्रेम संबंधों का अभाव, यौन कुंठा और अनैच्छिक ब्रह्मचर्य
  • अपने काम के प्रति असंतोष की भावना
  • विश्वविद्यालय, कॉलेज, उच्च विद्यालय, माध्यमिक विद्यालय या प्राथमिक विद्यालय के बीते दिनों की विरह स्मृति
  • मज़बूत राय रखने की प्रवृत्ति
  • सामाजिक संबंधों से ऊब जाना
  • अपने हाई स्कूल और कॉलेज के दोस्तों से निकटता में कमी
  • वित्तीय मूल के तनाव (ज़रूरत से ज्यादा कॉलेज ऋण, अप्रत्याशित रूप से ऊँचे रहन-सहन के खर्च आदि)
  • अकेलापन, अवसाद और आत्महत्या की प्रवृत्ति
  • संतानों की इच्छा
  • यह महसूस करना कि हर कोई, किसी न किसी तरह, उससे बेहतर कर रहा है
  • सामाजिक कौशल को लेकर कुंठा का भाव

ऐसी बेचैन भावनाएं और असुरक्षा न तो इस उम्र के लिए असामान्य हैं और न ही वयस्क जीवन की किसी भी उम्र के लिए. हालांकि क्वार्टर लाइफ क्राइसिस के संदर्भ में यह एक युवा व्यक्ति के - इस प्रसंग में आम तौर पर एक शिक्षित पेशेवर के - "वास्तविक संसार" में प्रवेश के फ़ौरन बाद घटित होती है।[1] वयस्क जीवन में प्रवेश और ज़िन्दगी की जिम्मेदारियों से सामना होने के बाद कुछ व्यक्ति खुद को करियर के ठहराव और अति असुरक्षा के अनुभव से गुज़रता हुआ महसूस करते हैं। व्यक्ति विशेष को अक्सर यह एहसास होता है कि वास्तविक संसार उसके/उसकी कल्पना के संसार से दुष्कर, ज्यादा प्रतिस्पर्धी और कम क्षमाशील है।

एक संबंधित समस्या यह है कि कई कॉलेज स्नातक, स्नातक होने के बाद अपेक्षित जीवन स्तर हासिल नहीं कर पाते हैं। वे अपनी जीविका चलाने के योग्य उच्च आय अर्जित करने की बजाए अक्सर निम्न आय अपार्टमेन्ट में दूसरे साथियों के साथ रहते हुए जीवन व्यतीत करते हैं। नौकरी में तुच्छ या बार-बार दोहराया जाने वाला उबाऊ काम, जीवन निर्वाह की घटिया परिस्तिथियों के साथ मिलकर काफी ज्यादा निराशा, उत्तेजना और गुस्सा पैदा करता है। कोई भी "पराजित" जैसा महसूस करने करने की बात स्वीकार नहीं करना चाहता, यह गोपनीयता समस्या को और बढ़ा सकती है।

जैसे ही किशोरावस्था और कॉलेज जीवन के भावनात्मक उतार-चढ़ाव शांत पड़ते हैं, क्वार्टर लाइफ क्राइसिस से ग्रस्त कई लोग भावनाओं की "नीरसता" का अनुभव करते हैं।

इसके अलावा काम करने की जगह में तालमेल बैठाने में परेशानी भी क्वार्टर लाइफ क्राइसिस में योगदान देने वाला एक कारक हो सकता है। कॉलेज में प्रोफेसर की अपेक्षाएं स्पष्ट तौर पर दी जाती हैं और छात्रों को पाठ्यक्रम के दौरान अपने प्रदर्शन पर जल्दी-जल्दी प्रतिक्रिया (फीड बैक) मिलती रहती है। कोई व्यक्ति शिक्षा प्रणाली में साल दर साल प्रगति करता है। इसके विपरीत कार्य स्थल के माहौल के भीतर कोई अपने प्रदर्शन पर बॉस की नाखुशी या अपने सहकर्मी की उसके व्यक्तित्व के प्रति नापसंदगी से बिलकुल बेखबर भी रह सकता है। किसी की भी प्रगति अपने आप नहीं होती है। ऑफिस की राजनीति में पारस्परिक संबंध कौशल की आवशयकता होती है जो शैक्षिक माहौल में सफलता के लिए ज़्यादातर अनावश्यक होता है।

वित्तीय और पेशेवराना पहलू[संपादित करें]

स्नातक उपाधि अक्सर छात्र के शैक्षणिक करियर के समापन को इंगित करती है।

"क्वार्टर लाइफ क्राइसिस" से जुड़े तनाव का एक मुख्य कारण वित्तीय होता है; अधिकतर पेशेवर हाल के वर्षों में अत्यधिक प्रतिस्पर्धात्मक हो गए हैं।[कब?]साँचा:Where? विश्विद्यालय में पूर्णावधि पद और कानूनी फर्मों में "साझेदार" की हैसियत जैसे अपेक्षाकृत सुरक्षित पदों की संख्या में लगातार कमी आई है। इसके साथ-साथ ज़रूरत से ज्यादा नौकरियों में कटौती का मतलब है कि बहुत सारे लोग अपने जीवन में कभी भी व्यवसाय से जुड़ी सुरक्षा का अनुभव नहीं कर सकेंगे और तरुण वयस्कता में तो ऐसा होने की संभावन और भी कम है। जनरेशन एक्स इस अनिश्चित "नई अर्थव्यवस्था" का एक साथ सामना करने वाली पहली पीढ़ी थी। इसके अलावा पंगु कर देने वाले छात्र ऋण की भी समस्या है।[उद्धरण चाहिए]

बीस और तीस की आयु वाले अपने भविष्य के लिए बचत करने के अनिच्छुक (या असमर्थ) होते हैं। पेंशन प्रदाता स्टैण्डर्ड लाइफ के एक शोध के अनुसार केवल आधे ही लोग पेंशन के लिए बचत कर रहे हैं और उनमें से आधे सोचते है कि वे ज्यादा भुगतान नहीं कर रहे हैं। री-रन जेनेरेशन पर उनकी रिपोर्ट के अनुसार इस पीढ़ी द्वारा भविष्य की योजना बनाने में असफल रहने के कारणों मे से एक यह है कि वे वर्तमान में ज़रूरत से ज्यादा तनावग्रस्त और चिंतित हैं। इस शोध में बार भी शामिल थे।

एक ऐसा युग जब पेशेवर करियर का अर्थ होता था व्यवसायिक सुरक्षा का जीवन और व्यवसायिक पेंशन - इस तरह एक व्यक्ति को आतंरिक जीवन की स्थापना की ओर आगे बढ़ने का अवकाश मिलता था - अपने अंत को प्राप्त होता हुआ दिख रहा है। तनाव संबंधी विकारों को जन्म देने वाली परिस्थितियों में वित्तीय पेशेवरों से अक्सर ऑफिस में प्रति सप्ताह कम से कम 80 घंटे काम करने की अपेक्षा की जाती है और कानूनी, चिकित्सकीय, शैक्षिक और प्रबंधन व्यवसाय से जुड़े लोगों का औसत 60 से अधिक हो सकता है।[2][3] ज़्यादातर मामलों में काम के ये लम्बे घंटे वास्तव में अनैच्छिक होते हैं जो आर्थिक और सामाजिक असुरक्षा को दर्शाते हैं। चूंकि यह बुराई हर उम्र के वयस्कों को परेशान कर रही है, इसके सबसे बुरे शिकार वे तरुण वयस्क हैं जो खुद को स्थापित नहीं कर सके हैं।[उद्धरण चाहिए]

कॉलेज स्नातक शारीरिक और मानसिक रूप से कई कार्य करने मे सक्षम होते हैं, लेकिन उनके पास नौकरी पाने के लिए आवश्यक 1-2 साल के अनुभव की कमी होती है और परिणामस्वरूप वे ऐसे साधारण थकाऊ तथा उबाऊ काम करने के लिए मजबूर होते हैं जिसके लिए उनकी योग्यता कहीं ज्यादा होती है। कॉलेज में कुछ छात्र समय पर स्नातक उपाधि और अच्छे अंक हासिल करने के लिए मेहनत करने में अपना सारा समय बिता देते हैं लेकिन एक नौकरी पाने के लिए "वास्तविक संसार" के अनुभवों को हासिल नहीं करते हैं।[उद्धरण चाहिए]

इस प्रकार की कैच-22 परिस्थिति छात्रों के लिए बहुत कठिन होती है: नौकरी पाने के लिए डिग्री होना अनिवार्य है लेकिन बिना 1-2 साल के व्यवहारिक अनुभव के इन्हें नौकरी नहीं मिल पाती है। यह सिलसिला नए स्नातकों को काफी कुंठित कर सकता है। कुछ स्नातकों को, जो ग्रेजुएट होने के बाद सम्मानित नौकरी प्राप्त कर लेते हैं, कॉलेज के दौरान नौकरी में आम तौर पर प्रति सप्ताह 15-20 घंटे काम करना होता है और इसके कारण वे उपयुक्त समय प्रबंधन लागू किये बिना विश्विद्यालय जीवन के सामाजिक कार्यक्रमों से वंचित रह सकते हैं। ऐसे छात्र प्रायः रूमानी संबंधों की ख्वाहिश करते हैं लेकिन कॉलेज में इन संबंधों को बनाने और आगे जारी रखने के लिए उनके पास समय नहीं होता. इस प्रकार उन्हें कॉलेज के बाद नौकरी तो मिल जाती है लेकिन एक रोमांटिक साथी की चाह भी बनी रहती है और वे उन स्नातकों की ही तरह अतृप्त, अधूरा महसूस करते हैं जिनके पास साथी तो है लेकिन नौकरी नहीं.[उद्धरण चाहिए]

द चीटिंग कल्चर में डेविड कैलाहन कहते हैं कि अति प्रतिस्पर्धा और असुरक्षा की ये बुराइयाँ हमेशा किसी के स्थापित होने (पद या "साझीदार" की हैसियत दिए जाने पर) के साथ ही अनिवार्य रूप से ख़त्म नहीं होती हैं और इसलिए क्वार्टर लाइफ क्राइसिस वास्तव में वयस्कता के परे भी जारी रह सकती है। वित्तीय सुरक्षा के कुछ उपाय - जिसके लिए व्यवसायगत सुरक्षा की आवश्यकता होती है - मनोवैज्ञानिक विकास के लिए ज़रूरी हैं। कुछ लोगों ने अनुमान लगाया है कि "नई अर्थव्यवस्था" मे असुरक्षा, काफी सारे लोगों को प्रभावशाली ढंग से चिरस्थाई किशोरावस्था की स्थिति में बना कर रख देगी और यह कि 1990 और 2000 के दशक का तेज़ी से फैलता और प्रतियोगी उपभोक्तावाद यह संकेत देता है कि ऐसा पहले से ही हो रहा है।[उद्धरण चाहिए]

अन्य सिद्धांत[संपादित करें]

विकास के दौरान मनुष्य के सामने आने वाले आठ संकटों को प्रस्तावित करने वाले एरिक एच. एरिक्सन ने इस आयु में घटित होने वाले जीवन संकट के अस्तित्व को भी प्रस्तावित किया था। अपने विकासात्मक सिद्धांत में उन्होंने सुझाव दिया कि इंसान की ज़िन्दगी आठ चरणों में विभाजित है, प्रत्येक के अपने द्वंद्व हैं जिनका समाधान मनुष्य को अनिवार्य रूप से तलाशना चाहिए. उन्होंने तरुण वयस्कता से जो द्वंद्व जोड़ा वह है अंतरंगता बनाम एकाकीपन का संकट. उनके अनुसार किशोरावस्था में वैयक्तिक पहचान स्थापित करने के बाद तरुण वयस्क दूसरे लोगों के साथ गहन और आम तौर पर रूमानी संबंध बनाने की तलाश में रहते हैं।

एरिक्सन द्वारा प्रस्तावित "क्वार्टर लाइफ क्राइसिस" का संस्करण लोकप्रिय संस्कृतियों में घटित होने वाले परिवर्तनों से काफी अलग है। दरअसल "क्वार्टर लाइफ क्राइसिस" के पॉप-संस्कृति संस्करण में उस संकट के अधिक तत्त्व सम्मिलित हैं जिसे एरिक्सन ने किशोरावस्था की अस्मिता बनाम भूमिका-भ्रम से जोड़ा था, यह इस सिद्धांत को विश्वसनीय बनाता है कि बीसवीं सदी के अंत का जीवन आराम और असुरक्षा के विचित्र मेल के साथ लोगों के धीमी गति से परिपक्व होने का कारण बन रहा है।

इन्हें भी देखें[संपादित करें]

  • बूमरैंग जनरेशन (पीढ़ी)
  • उभरती वयस्कता
  • जनरेशन एक्स
  • मध्य-जीवन क्राइसिस
  • जीवन का अर्थ
  • हिकिकोमोरी
  • एमटीवी जनरेशन
  • ट्विक्सटर्स

सन्दर्भ[संपादित करें]

  1. Goldstein, Meredith (सितंबर 8, 2004). "The quarter-life crisis". The Boston Globe. मूल से 22 फ़रवरी 2014 को पुरालेखित. अभिगमन तिथि 2007-09-05.
  2. हवाई बोर्ड एजुकेशन तथा हवाई स्टेट टीचर्स एसोसिएशन की स्थिति (2005) टाइम कमीटी प्रिलिमनेरी रिपोर्ट. Archived 2011-07-11 at the वेबैक मशीन
  3. मिनेसोटा विश्वविद्यालय (1995). रिपोर्ट ऑफ दी फैकल्टी वर्कलोड टास्क फोर्स. Archived 2011-01-16 at the वेबैक मशीन

विस्तार से पठन[संपादित करें]

  • एबर्दीन, जोडी. "क्यूएलओ: दी क्वार्टर-लाइफ ऑपोर्चुनिटी." लुलु प्रकाशन, 2008. आईएसबीएन 978-0-557-03696-7.
  • बर्र, डेमिन. गेट इट टुगेदर: ए गाइड टू सर्वाइविंग योर क्वार्टरलाइफ क्राइसिस . होडर और स्तोघ्टन पेपरबैक्स, 2004. आईएसबीएन 0-340-82903-6
  • हेसस्लर, क्रिस्टीन. "20 समथिंग, 20-एवरीथिंग: ए क्वार्टर-लाइफ वूमंस गाइड टू बैलेंस एंड डायरेक्शन." न्यू वर्ल्ड लाइब्रेरी, 2005. आईएसबीएन 978-1577314769.
  • हेसस्लर, क्रिस्टीन. "20-समथिंग मेनिफेस्टो: क्वार्टर-लाइफर्स स्पीक आउट एबाउट हू दे आर, वॉट दे वॉन्ट, एंड हाउ टू गेट इट" न्यू वर्ल्ड लाइब्रेरी, 2008. आईएसबीएन 978-1577315957.
  • पोलेक, लिंडसे. "गेटिंग फ्रॉम कॉलेज टू करियर: 90 थिंग्स टू डू बिफोर यू ज्वाइन दी रियल वर्ल्ड." कोलिन्स बिजनेस, 2007. आईएसबीएन 006114259X
  • रॉबिंस, एलेक्जेंडर. "कांगक्रिंग योर क्वार्टरलाइफ क्राइसिस: एडवाइस फ्रॉम ट्वेंटीसम्थिंग्स हू हेव बीन देयर एंड सर्वाइव्ड." पेरिगी, 2004. आईएसबीएन 978-0399530388
  • रॉबिंस, एलेक्जेंडर; विल्नेर एबी. क्वार्टरलाइफ क्राइसिस: दी यूनिक चैलेंजस ऑफ लाइफ इन योर ट्वेंटीज . टार्चेर, 2001. आईएसबीएन 1-585-42106-5
  • स्टेंले, जेसन. "अपलोड एक्सपीरियंस: क्वार्टरलाइफ सॉल्यूशन्स फॉर टीन्स एंड ट्वेंटीसम्थिंग्स". नासोज पब्लिकेशन्स, 2005. आईएसबीएन 1-933246-03-0
  • विल्नेर एबी, स्टोकर, कैथरीन. "क्वार्टरलाइफर्स कैम्पेनियन: हाउ टू गेट ऑन दी राईट करियर पाथ, कंट्रोल योर फायनेंसेस, एंड फाइंड दी सपोर्ट नेटवर्क यू नीड टू थ्रीव." मैकग्रौक- हिल 2004. आईएसबीएन 978-0071450157

बाहरी कड़ियाँ[संपादित करें]