चतुरलाल
चतुरलाल | |
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जन्म | 16 अप्रैल 1925 उदयपुर, राजस्थान |
निधन | 14 अक्टूबर 1965 (आयु 40 वर्ष) |
विधायें | शास्त्रीय संगीत और विश्व संगीत |
वाद्ययंत्र | तबला |
सक्रियता वर्ष | 1949–1965 |
पूर्व में | अली अक़बर ख़ाँ, रवि शंकर, चरणजीत चतुर लाल, प्रांशु चतुरल लाल, श्रुति चतुर लाल, राम नारायण |
वेबसाइट | web |
चतुरलाल (16 अप्रैल 1925 – 14 अक्टूबर 1965) भारतीय तबला वादक थे। उन्होंने पश्चिमी जगत में तबला वादन को लोकप्रिय बनाने में मदद की थी।[1]
जीवनी
[संपादित करें]चतुरलाल का जन्म 16 अप्रैल 1925 को राजस्थान के उदयपुर में हुआ।[1] उन्होंने 1950 और 1960 के दशक में रविशंकर, निखिल बनर्जी, बाबा अलाउद्दीन ख़ाँ, शरण रानी और अली अकबर ख़ाँ के साथ कई देशों का दौरा किया तथा पश्चिमी देशों में तबले को लोकप्रिय बनाने में अपना महत्वपूर्ण योगदान दिया। उन्होंने इस भारतीय वाद्य की बारीकियों को लोगों तक पहुंचाया।[1] उनके छोटे भाई राम नारायण 20वीं सदी के उत्तरार्द्ध में विश्व प्रसिद्ध सारंगी वादक हुए।[2]
जब उन्हें वायलिन वादक येहुदी मेनुहिन ने मॉडर्न म्यूजियम आर्ट, रॉकफेलर सेंटर और ओमनीबस के लिए यूरोप और अमेरिका में प्रस्तुति के लिए आमंत्रित किया गया तब वो पहले अंतरराष्ट्रीय स्तर पर प्रशंसित तबलावादक थे जिन्होंने 1950 के दशक के मध्य में रविशंकर और उस्ताद अली अकबर खाँ के साथ मिलकर पश्चिम में भारतीय शास्त्रीय संगीत की शुरूआत की।
चतुरलाल का 14 अक्टूबर 1965 को 40 वर्ष की आयु में निधन हो गया।[3] उनकी विरासत को पंडित चतुरलाल मेमोरियल सोसाइटी और उनके बड़े बेटे चरणजीत चतुरलाल, उनकी पुत्रवधु मीता चतुरलाल, पौत्रि श्रुति चतुरलाल और पोते प्रांशु चतुरलाल द्वारा सम्भाला जाता है।
सन्दर्भ
[संपादित करें]- ↑ अ आ इ नेम्पल्ली, सदानन्द (2005). Theory and Practice of Tabla. पॉप्युलर प्रकाशन. p. 107. ISBN 81-7991-149-7. अभिगमन तिथि: 27 मई 2012.
- ↑ "Listen: Sarangi master Ram Narayan experiments with raags, rhythm and pace". 6 मई 2017.
- ↑ Sorrell 1980, p. 26