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चट्टानी टीला

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डोवर की स्वेत चट्टानी टीले

चट्टानी टीला' भूविज्ञान में, उस क्षेत्र को कहते हैं जहाँ चट्टानों का झुकाव सामान्यतः ऊर्ध्वाधर होता है। ये चट्टानें मुख्यतः अपक्षय तथा अपरदन की प्रक्रियाओं से बनती हैं। चट्टानी टीले प्रायः पर्वतीय क्षेत्रों, ढलानों, नदियों के किनारों और समुद्री तटों पर पाए जाते हैं। इस प्रकार के चट्टानी टीले बलुआ पत्थर, चूना पत्थर, और डोलोमाइट के अवसाद से बनता हैं। इसके अलावा, ग्रेनाइट और बेसाल्ट से बनी चट्टानों के भ्रंश भी अक्सर टीले का रूप ले लेती हैं। अधिकांश टीलों में ढलान पाई जाती है। शुष्क क्षेत्रों में यह भ्रंश चट्टानों के ढेर के रूप में दिखाई देती है।

शब्द-साधन

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"चट्टानी टीला" शब्द अंग्रेजी के क्लिफ शब्दसे लिया गया है, जिसका मूल अर्थ ‘चट्टान’ है। डच, और जर्मन शब्दकोश से लिया गया शब्द 'क्लिफ' आपस में मिलता-जुलता है। जिसका अर्थ ‘चट्टानी टीला’ या ‘पहाड़ी’ होता है। [1][2]

विश्व के प्रसिद्ध चट्टानी टीले

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कनाडा के बाफिन द्वीप पर स्थित माउंटथोर को सबसे ऊँचा चट्टानी टीला माना जाता है। इसकी कुल ऊँचाई 1,370 मीटर (4,500 फीट) है, इसका शीर्ष भाग 480 मीटर (1,600 फीट) है। अमेरिका में ज़ायन राष्ट्रीय उद्यान के पश्चिमी भाग में स्थित यूटा चट्टानी टीला है। इसकी ऊँचाई 670 मीटर है। इसे दुनिया की सबसे ऊंची बलुआ पत्थर के अवशेषों से निर्मित चट्टानी टीला माना जाता है।

इन्हें भी देखें

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  1. "Francia 18/1 (1991)". francia.digitale-sammlungen.de. 2015-01-29 को मूल से पुरालेखित. अभिगमन तिथि: 2023-10-04.
  2. Max Pfister: Altromanische Relikte in der östlichen und südlichen Galloromania, in den rheinischen Mundarten, im Alpenraum und in Oberitalien. In : Sieglinde Heinz, Ulrich Wandruszka [ed.]: Fakten und Theorien : Beitr. zur roman. u. allg. Sprachwiss.; Festschr. für Helmut Stimm zum 65. Geburtstag, Tübingen 1982, pp. 219 – 230, ISBN 3-87808-936-8