चंद्रबली सिंह

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वे हिंदी साहित्य के प्रसिद्ध समालोचक और जनवादी लेखक संघ के संस्थापक महासचिव थे।

जीवन-वृत्त[संपादित करें]

उनका जन्म गाजीपुर जिला में हुआ था। उन्होंने आगरा के राजा बलवंत कालेज और बनारस के यूपी कालेज में अंग्रेजी का अध्यापन किया। वे जनवादी लेखक संघ के अध्यक्ष भी रहे। गिरने के कारण उनके कूल्हे की हड्डी टूट गई थी। इस कारण वे लगभग एक साल तक बिस्तर पर रहे। 87 वर्ष की अवस्था में 6 जून 2011 (सोमवार) की सुबह उनका निधन हो गया। लाल झंडे में लिपटे उनके पार्थिव शरीर को भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी (मार्क्सवादी) के दशाश्वमेध कार्यालय पर ले जाया गया जहां भावभीनी श्रद्धांजलि दी गई। इसके बाद हरिश्चंद्र घाट पर उनका अंतिम संस्कार किया गया।

साहित्यिक कृतियाँ[संपादित करें]

उनकी प्रमुख आलोचनात्मक कृतियों में ‘लोकदृष्टि और हिंदी साहित्य’ और ‘साहित्य आलोचना का जनपक्ष’ प्रसिद्ध रहीहुई। उन्होंने पाब्लो नेरूदा, मायकोवस्की, एमिली डिकिंसन, वाल्ट ह्विटमैन, नाजिम हिकमत सरीखे लेखकों की कविताओं का अनुवाद किया।

बाहरी कड़ियाँ[संपादित करें]

नहीं रहे मार्क्सवादी चिंतक चंद्रबली सिंह