घराना-संगीत
घराना (शास्त्रीय सङ्गीत)
भारतीय शास्त्रीय सङ्गीत और नृत्य, एक ऐसी परम्परा, जो एक ही श्रेणी की कला को कुछ विशेषताओं के कारण दो या अनेक उप श्रेणियों में बाँटती है।
घराना (परिवार, कुटुम्ब), भारतीय शास्त्रीय सङ्गीत की विशिष्ट शैली है क्योंकि भारतीय सङ्गीत बहुत विशाल भौगोलिक क्षेत्र में विस्तृत है। कालान्तर में इसमें अनेक भाषाई तथा शैलीगत बदलाव आए हैं।
शास्त्रीय सङ्गीत की गुरु-शिष्य परम्परा में प्रत्येक गुरु अथवा उस्ताद अपने हाव-भाव अपने शिष्यों की जमात को देता जाता है।
घराना किसी क्षेत्र विशेष का प्रतीक होने के अलावा व्यक्तिगत आदतों की पहचान बन गया और यह परम्परा अधिकतर सङ्गीत शिक्षा के पारम्परिक ढंग तथा सञ्चार सुविधाओं के अभाव के कारण फली-फूली क्योंकि इन परिस्थितियों में शिष्यों की पहुँच सङ्गीत की अन्य शैलियों तक बन नहीं पाती थी।
भारत के विभिन्न सङ्गीत घरानों के पद्धति पालक परिजनों का सम्पर्ण अद्वितीय है। चाहे जैसी भी परिस्थिति बने, पर उनका सङ्गीत उनके लिए कभी रोटी का कारण नहीं बनता।
भारतीय सङ्गीत के प्रमुख घराने
[संपादित करें]- ग्वालियर घराना
- आगरा घराना
- किराना घराना
- बनारस घराना
- जयपुर-अतरौली घराना
- रामपुर-सहस्वान घराना
- मेवाती घराना
- पटियाला घराना
- दिल्ली घराना
- दर्शन बाज़ार घराना
- अंकित घराना
- दरभंगा घराना