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ग्रेट नॉर्थर्न युद्ध

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ग्रेट नॉर्दर्न वॉर एक निर्णायक संघर्ष था जो उत्तर यूरोप में, विशेष रूप से बाल्टिक क्षेत्र में लड़ा गया। यह युद्ध 1700 से 1721 तक चला और इसमें प्रमुख रूप से स्वीडन, रूस, डेनमार्क, पोलैंड-लिथुआनिया और प्रशिया शामिल थे। इस युद्ध का परिणाम रूस की जीत के रूप में हुआ, जिसने इसे यूरोपीय महाशक्ति के रूप में स्थापित किया और स्वीडन के साम्राज्य की गिरावट को सुनिश्चित किया।

ग्रेट नॉर्दर्न वॉर
रूस का साम्राज्य, स्वीडन, डेनमार्क, पोलैंड-लिथुआनिया, प्रशिया का भाग
तिथि 1700 – 1721
स्थान स्वीडन, रूस, पोलैंड, प्रशिया, डेनमार्क, बेलारूस
परिणाम रूस की जीत; स्वीडन की साम्राज्य की गिरावट
योद्धा
स्वीडन रूस
डेनमार्क
पोलैंड-लिथुआनिया
प्रशिया
सेनानायक
चार्ल्स XII पीटर I
आगस्टस II
फ्रेडरिक IV
शक्ति/क्षमता
40,000 सैनिक 100,000+ सैनिक
मृत्यु एवं हानि
40,000+ मारे गए 90,000+ मारे गए

युद्ध की पृष्ठभूमि

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ग्रेट नॉर्दर्न वॉर का आरंभ कई दशकों की राजनीतिक और सैन्य अस्थिरता के बाद हुआ। 1558 में, मस्कोवी ने लिवोनियन ऑर्डर पर हमला किया था, जो कि इस क्षेत्र में रूस, स्वीडन, पोलैंड, और डेनमार्क के बीच जारी संघर्षों का हिस्सा था। स्वीडन का बाल्टिक क्षेत्र पर प्रभाव और उसकी शक्ति ने उसे अन्य शक्तियों के लिए एक लक्ष्य बना दिया। 1697 में स्वीडन के राजा चार्ल्स XI की मृत्यु के बाद, स्वीडन का सिंहासन उनके युवा पुत्र, चार्ल्स XII को मिला, जो युद्ध की परिस्थितियों में घिरे हुए थे।[1]

उसी समय, रूस के सम्राट पीटर I ने भी अपने साम्राज्य को मजबूत करना शुरू किया था। 1699 में, हाब्सबर्ग साम्राज्य और उनके सहयोगियों ने ओटोमानी साम्राज्य के खिलाफ युद्ध में हस्तक्षेप करने का फैसला किया, जिससे रूस को अपनी विरोधी स्थिति में और मजबूत होने का अवसर मिला। इसके बाद, रूस ने ओटोमानी साम्राज्य से शांति संधि की और अपनी स्थिति को फिर से मजबूत किया।[1]

युद्ध की शुरुआत

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ग्रेट नॉर्दर्न वॉर की शुरुआत 1700 में हुई, जब चार्ल्स XII के नेतृत्व में स्वीडन ने रूस के खिलाफ युद्ध शुरू किया। प्रारंभ में, डेनमार्क, पोलैंड और रूस ने एक संयुक्त गठबंधन बनाकर स्वीडन पर हमला किया, लेकिन स्वीडन ने तुरंत इन आक्रमणों को विफल कर दिया। डेनमार्क के राजा फ्रेडरिक IV ने जल्दी ही शांति संधि की और पोलिश राजा अगस्त II की सेना को भी जल्दी वापस बुला लिया।[2]

रूस का हमला, विशेष रूप से स्वीडन के नर्वा पर 1700 में, प्रारंभ में विफल हो गया। स्वीडन की सेना ने एक अप्रत्याशित हमले में रूसी सेना को हराया, जिससे रूस की स्थिति कमजोर हुई।[2]

स्वीडन का आक्रमण और रूस की प्रतिक्रिया

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स्वीडन की सेना ने युद्ध के शुरुआती वर्षों में पोलैंड और सैक्सनी में कई महत्वपूर्ण जीत हासिल की। स्वीडिश राजा चार्ल्स XII की सैन्य रणनीति थी – आक्रामकता और असामान्य युद्ध तकनीक – जिससे स्वीडन ने युद्ध में कई महत्वपूर्ण झगड़े जीतें। इस दौरान, स्वीडन ने सैक्सनी (1706), पोलैंड (1705), और अन्य क्षेत्रों में विजय प्राप्त की।[2]

स्वीडन की यह सफलता रूस के लिए एक बड़ा खतरा साबित हो सकती थी, लेकिन रूस ने अपनी सेना को सुधारने का काम तेजी से किया और अपनी सैन्य ताकत को बढ़ाया। पीटर I के नेतृत्व में, रूस ने पश्चिमी यूरोप की सैन्य विचारधाराओं को अपनाया और अपने सैनिकों को प्रशिक्षित किया।[2]

रूस और स्वीडन के बीच निर्णायक युद्ध

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1708–1709 में स्वीडिश सेना रूस में प्रवेश करती है, जहाँ उन्हें पोल्टावा की लड़ाई में एक बड़ी हार का सामना करना पड़ा। पोल्टावा में हुई यह लड़ाई रूस के लिए निर्णायक साबित हुई, जहां स्वीडन की सेना को पूरी तरह से हराया गया और चार्ल्स XII को भागने के लिए मजबूर किया गया।[1]

इसके बाद, चार्ल्स XII ने ओटोमानी साम्राज्य में शरण ली, लेकिन रूस ने अपनी सैन्य दबदबे को बनाए रखा और बाल्टिक क्षेत्र में अपनी स्थिति को मजबूत किया। चार्ल्स XII की असफलता ने स्वीडन को धीरे-धीरे संघर्ष से बाहर कर दिया।[2]

शांति समझौते और युद्ध का अंत

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स्वीडन की हार के बाद, युद्ध में समापन की ओर बढ़ने की प्रक्रिया शुरू हुई। 1719 और 1721 के बीच हुए समझौतों के तहत स्वीडन ने अपने कुछ क्षेत्रों को खो दिया। इसके परिणामस्वरूप, स्वीडन की साम्राज्य की शक्ति घट गई, जबकि रूस ने बाल्टिक क्षेत्र में अपनी स्थिति को मजबूती से स्थापित किया।[1]

1721 में, निस्टेडट की संधि पर हस्ताक्षर हुए, जिसमें स्वीडन ने रूस के सामने अपनी हार स्वीकार की और एस्टोनिया, लिवोनिया, और अन्य बाल्टिक क्षेत्रों को रूस के हाथों में सौंप दिया। स्वीडन को फ़िनलैंड की अपनी भूमि वापस मिल गई, लेकिन उसने अपनी शक्ति और साम्राज्य को स्थायी रूप से खो दिया।[1]

युद्ध के प्रभाव

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ग्रेट नॉर्दर्न वॉर के परिणामस्वरूप, रूस ने यूरोप में एक प्रमुख शक्ति के रूप में अपनी पहचान बनाई। स्वीडन का साम्राज्य टूट गया और पोलैंड-लिथुआनिया की सैन्य शक्ति खत्म हो गई। रूस ने अब बाल्टिक सागर के आसपास अपने अधिकार को सुनिश्चित किया, और यह परिवर्तन उत्तर यूरोप के राजनीतिक परिदृश्य को स्थायी रूप से बदल दिया।[1]

स्वीडन ने कई बार अपने खोए हुए क्षेत्रों को पुनः प्राप्त करने का प्रयास किया, लेकिन सफलता नहीं मिली। युद्ध ने स्वीडन और पोलैंड-लिथुआनिया के साम्राज्यों की शक्ति को स्थायी रूप से कमजोर कर दिया।[2]

  1. Stevens, Carol B. (2011), "Great Northern War (1699–1721)", The Encyclopedia of War (अंग्रेज़ी में), John Wiley & Sons, Ltd, आई॰ऍस॰बी॰ऍन॰ 978-1-4443-3823-2, डीओआइ:10.1002/9781444338232.wbeow248, अभिगमन तिथि 2025-01-19
  2. Schnakenbourg, Eric (2018), "Great Northern War (1700–21)", The Encyclopedia of Diplomacy (अंग्रेज़ी में), John Wiley & Sons, Ltd, पपृ॰ 1–4, आई॰ऍस॰बी॰ऍन॰ 978-1-118-88515-4, डीओआइ:10.1002/9781118885154.dipl0110, अभिगमन तिथि 2025-01-19