गोवा राज्य की मोहर
गोवा का राजकीय चिह्न | |
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विवरण | |
सामंत | गोवा सरकार |
कलग़ी | भारत का राष्ट्रीय चिह्न |
ढाल | वृक्ष दीप |
सहायक | खुले हाथ |
ध्येयवाक्य | सर्वे भद्राणि पश्यन्तु मा कश्चिद् दुःखमाप्नुयात् |
गोवा का राजकीय चिह्न गोवा सरकार की आधिकारिक मुहर व राज्य सरकार का प्रतीकचिह्न है। इसे गोवा सरकार से संबंधित सारे कागज़ों, फाइलों व दस्तावेज़ो के शीर्शणी(हेडर) के स्थान पर स्पष्ट रूप से देखा जा सकता है। चिन्हशास्त्रिक रूपसे यह एक लोगो है। मुख्य रूपसे यह एक "वृक्ष दीप" को दर्शाता है, जोकी एक प्रकार का दीया है। प्रतीकात्मक रूप से यह ज्ञान के म्ध्यम से प्राप्त की गई पूरबुद्धता का प्रतीक है, इसके इर्द-गिर्द नाड़ियल के पत्तों की भांती कलात्मक वेदिका बनाई गई है, जो गोवा की प्राकृतिक सौन्दर्य के स्वरूप को दर्शाता है। इसके ऊपर गोलाकार आभिन्यास में सुप्रसिद्ध संस्कृत श्लोक:
सर्वेभद्राणि पश्चन्चु मा कश्चिद् दुःखमाप्नुयात्
अंकित देखा जा सकता है, जिसका अर्थ होता है "हर प्राणी सम्पन्न व समृद्ध रहे और कोई भी दुःख व दर्द में ना रहे"। इसके अलावा, कलगी पर भारत का प्रतीकचिन्ह, सारनाथ के शेरों के मुकुट भी है। इस पूरे चिन्ह-समूह का सहायक के रूप में दो हाथ हैं जिन्हें इस चिह्न को नीचे से समर्थन देता देखा जा सकता है।
गोवा के उपनिवेशकालीन कुल-चिन्ह
[संपादित करें]गावा 1510 से 1961 तक पुर्तगाली भारत का हिस्सा था, अर्थात् पुर्तगाल के उपनिवेश था। इस बीच के गोवा के कुल चिन्हों को दर्शाया गया है
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पुर्तगाली भारत का लघू कुल चिन्ह
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पुर्तगाली भारत का कुल-चिन्ह (1935-1951).
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पुर्तगाली भारतीय स्म्राज्य का कुल-चिन्ह (1951-1961).
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पुर्लगाली भारत का कुल-चिन्ह (1600-1951).