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गॉथिक युद्ध

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गोथिक युद्ध (376–382 ईस्वी) रोमन साम्राज्य और गोथिक जनजातियों (मुख्य रूप से थर्विंगी और ग्रुथुंगी) के बीच एक विनाशकारी संघर्ष था। यह युद्ध गोथिक समूहों द्वारा डैन्यूब नदी पार कर रोमन क्षेत्र में बसने की कोशिश के बाद शुरू हुआ। 382 ईस्वी में युद्ध का अंत एक शांति संधि के साथ हुआ, जिसमें गोथों को रोमन साम्राज्य की सीमाओं के भीतर अर्ध-स्वायत्त स्थिति दी गई। इस संधि ने रोमन इतिहास में एक नए युग की शुरुआत की और साम्राज्य के भीतर गैर-रोमन समूहों के स्थायी निवास का मार्ग प्रशस्त किया।

गोथिक युद्ध
रोमन-बार्बरियन युद्ध का भाग
तिथि 376–382 ईस्वी
स्थान डैन्यूब नदी, थ्रेस, बाल्कन क्षेत्र
परिणाम शांति संधि (382); गोथों को रोमन साम्राज्य में अर्ध-स्वायत्त स्थिति प्राप्त हुई
योद्धा
रोमन साम्राज्य थर्विंगी और ग्रुथुंगी गोथ
सेनानायक
सम्राट वैलेन्स
सम्राट ग्रेटियन
थियोडोसियस प्रथम
प्रोफुटुरुस
ट्रायनस
फ्रिजेरिडस
रिचोमर
फ्रिटिगर्न
अलाविवुस
अलाथेयुस
सैफ्रैक्स
शक्ति/क्षमता
लगभग 40,000–50,000 सैनिक लगभग 25,000–30,000 गोथिक सैनिक (थर्विंगी और ग्रुथुंगी), सहयोगी ताईफाली
मृत्यु एवं हानि
एड्रियनोपल की लड़ाई में 20,000 से अधिक सैनिक मारे गए अज्ञात; भारी जनहानि

पृष्ठभूमि

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गोथिक जनजातियाँ, विशेष रूप से थर्विंगी और ग्रुथुंगी, चौथी शताब्दी में काले सागर के उत्तर में बसी हुई थीं। इन जनजातियों पर हुन जनजातियों के विस्तार का दबाव बढ़ने लगा। हुनों के आक्रमण के कारण गोथिक जनजातियाँ अपनी भूमि छोड़ने और डैन्यूब नदी पार कर रोमन साम्राज्य में शरण लेने पर मजबूर हो गईं।[1]

गोथों और रोमन साम्राज्य के बीच पहले भी संघर्ष हो चुके थे। चौथी शताब्दी के शुरुआती वर्षों में गोथों ने रोमन गृहयुद्धों में सम्राट लाइसिनियस का समर्थन किया, जो सम्राट कॉन्सटेंटाइन के खिलाफ था। इस समर्थन के बाद, कॉन्सटेंटाइन ने गोथों के खिलाफ प्रतिशोधात्मक अभियान चलाया। 367–369 ईस्वी के दौरान, सम्राट वैलेन्स ने गोथों के खिलाफ युद्ध छेड़ा। हालाँकि, इन अभियानों के बाद भी गोथों और रोमनों के बीच संबंध तनावपूर्ण बने रहे।[1]

युद्ध की शुरुआत

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376 ईस्वी में, थर्विंगी जनजाति के नेता अलाविवुस ने रोमन सम्राट वैलेन्स से थ्रेस क्षेत्र में बसने की अनुमति मांगी, जो उन्हें दी गई। हालाँकि, ग्रुथुंगी जनजाति के राजा विडेरिक के अनुरोध को खारिज कर दिया गया। रोमन अधिकारियों, लुपिकिनस और मैक्सिमस, की अनुचित नीतियों और क्रूर व्यवहार ने गोथिक जनजातियों को विद्रोह के लिए प्रेरित किया।[2]

थर्विंगी और ग्रुथुंगी गोथों ने फ्रिटिगर्न के नेतृत्व में विद्रोह किया। उन्होंने रोमन सेना को थ्रेस क्षेत्र में कई स्थानों पर हराया और वहां की बस्तियों को लूट लिया। एड्रियनोपल के पास रोमन सेना को बड़ी हार का सामना करना पड़ा।[1]

एड्रियनोपल की लड़ाई (378 ईस्वी)

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9 अगस्त 378 को, सम्राट वैलेन्स ने एड्रियनोपल के पास गोथों के खिलाफ निर्णायक लड़ाई लड़ने का प्रयास किया। रोमन सेना को गोथों की ताकत का सही अनुमान नहीं था और वे थके हुए और असंगठित स्थिति में युद्ध करने गए।[2]

गोथों ने अपने वैगनों का उपयोग कर मजबूत रक्षा पंक्ति बनाई। युद्ध के दौरान, गोथिक घुड़सवार सेना ने रोमन सेना के पीछे से हमला किया, जिससे रोमन सेना में भगदड़ मच गई। इस लड़ाई में सम्राट वैलेन्स मारे गए। कुछ विवरणों के अनुसार, वे या तो एक तीर से घायल हुए या एक झोपड़ी में शरण लेने के दौरान जिंदा जला दिए गए।[1]

इस लड़ाई में रोमन सेना का लगभग दो-तिहाई हिस्सा नष्ट हो गया। यह रोमन साम्राज्य के लिए एक बड़ी आपदा थी और गोथों की सैन्य क्षमता को उजागर करने वाली घटना बन गई।[2]

युद्ध के बाद

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एड्रियनोपल की हार के बाद, गोथों ने कॉन्स्टेंटिनोपल पर कब्जा करने की कोशिश की, लेकिन वे इसके मजबूत किलेबंदी के कारण असफल रहे। उनके पास बड़े शहरों पर कब्जा करने के लिए न तो पर्याप्त अनुभव था और न ही उपकरण।[1]

379 ईस्वी में, सम्राट थियोडोसियस प्रथम को ग्रेटियन ने पूर्वी रोमन साम्राज्य का सह-सम्राट नियुक्त किया। थियोडोसियस ने गोथों के खिलाफ अभियान चलाया और अपने सैनिकों को फिर से संगठित किया। हालाँकि, गोथिक जनजातियाँ अलग-अलग क्षेत्रों में लूट और बस्तियों को नष्ट करती रहीं।[1]

शांति संधि (382 ईस्वी)

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3 अक्टूबर 382 ईस्वी को, गोथों और रोमन साम्राज्य के बीच शांति संधि हुई। इस संधि के तहत, गोथों को रोमन साम्राज्य के भीतर थ्रेस क्षेत्र में बसने की अनुमति दी गई। उन्हें अपने कानून बनाए रखने और रोमन सेना में सैनिक प्रदान करने की शर्तों पर अर्ध-स्वायत्त स्थिति दी गई।

गोथों के लिए यह संधि एक महत्वपूर्ण जीत थी, क्योंकि वे अब रोमन साम्राज्य के भीतर एक मान्यता प्राप्त समूह बन गए। हालाँकि, यह संधि रोमन साम्राज्य के कमजोर होते नियंत्रण और आंतरिक अस्थिरता का प्रतीक थी।

परिणाम और महत्व

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गोथिक युद्ध ने रोमन साम्राज्य की सैन्य शक्ति और राजनीतिक संरचना पर गहरा प्रभाव डाला। यह पहली बार था जब एक गैर-रोमन समूह को साम्राज्य के भीतर व्यापक अधिकार दिए गए। इस संघर्ष ने रोमन साम्राज्य की सीमाओं और उसकी सैन्य नीतियों में बदलाव लाया।

एड्रियनोपल की लड़ाई को रोमन सैन्य इतिहास की सबसे बड़ी आपदाओं में से एक माना जाता है। इसने रोमन साम्राज्य के पतन की प्रक्रिया को तेज कर दिया और भविष्य के बार्बरियन आक्रमणों के लिए मार्ग प्रशस्त किया।

इन्हें भी देखें

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सन्दर्भ

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  1. Dart, Christopher J. (2011), "Gothic War (376–382)", The Encyclopedia of War (अंग्रेज़ी भाषा में), John Wiley & Sons, Ltd, डीओआई:10.1002/9781444338232.wbeow240, ISBN 978-1-4443-3823-2, अभिगमन तिथि: 2025-01-16
  2. Heather, Peter (2005-10-28). The Fall of the Roman Empire: A New History of Rome and the Barbarians (अंग्रेज़ी भाषा में). Oxford University Press, USA. p. 146. ISBN 978-0-19-515954-7.