गैलीलियो गैलिली
गैलीलियो गैलिली | |
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जन्म |
15 फ़रवरी 1564 (Julian)[1][2][3][4] पीसा[2][5][6] |
मौत |
8 जनवरी 1642[1][7][8][9][10][11][12][13][14][15][16][17][18][19][3][20][21] ![]() |
आवास |
पीसा, पडुआ, फ़्लोरेन्स ![]() |
नागरिकता |
यूनाइटेड किंगडम ![]() |
पेशा |
खगोल विज्ञानी,[22][23][3][20] दार्शनिक,[22][3] गणितज्ञ,[22][3][4] भौतिक विज्ञानी,[22][24][20] आविष्कारक, विश्वविद्यालय शिक्षक,[4] वैज्ञानिक,[25][26][3] अभियन्ता, दार्शनिक,[20] राजनीतिज्ञ ![]() |
प्रसिद्धि का कारण |
गैलिलियो रूपांतरण ![]() |
जीवनसाथी |
none ![]() |
हस्ताक्षर |
गैलीलियो गैलिली (१५ फरवरी, १५६५ - ८ जनवरी, १६४२) इटली के वैज्ञानिक थे। वे एक महान आविष्कारक थे तथा दूरदर्शी के विकास में उनका अतुलनीय सहयोग था।
जीवन परिचय
[संपादित करें]मुख्य शृंखला |
चिरसम्मत यांत्रिकी |
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इस महान विचारक का जन्म आधुनिक इटली के पीसा नामक शहर में एक संगीतज्ञ परिवार में हुआ था। आधुनिक इटली का शहर पीसा 15 फ़रवरी 1564 के महान वैज्ञानिक गैलीलियो गैलिली के जन्म को भी ईश्वर की रचना का दोष मानकर ऐतिहासिक भूल कर बैठा था। गैलीलियो के द्वारा प्रतिपादित सिंद्वांतो से धार्मिक मान्यताओं का खंडन होता था जिसके लिये गैलीलियो को ईश्वरीय मान्यताओं से छेडछाड करने के लिये सारी उम्र कारावास की सजा सुनायी गयी। इनके पिता विन्सौन्जो गैलिली उस समय के जाने माने संगीत विशेषज्ञ थे। वे "ल्यूट" नामक वाद्य यंत्र बजाते थे, यही ल्यूट नामक यंत्र बाद में गिटार और बैन्जो के रूप में विकसित हुआ। अपनी संगीत रचना के दौरान विन्सौन्जो गैलिली ने तनी हुयी डोरी या तार के तनाव और उससे निकलने वाले स्वरों का गहनता से अध्ययन किया तथा यह पाया कि डोरी या तार के तनाव और उससे निकलने वाली आवाज में संबंध है। पिता के द्वारा संगीत के लिये तनी हुयी डोरी या तार से निकलने वाली ध्वनियों के अंतरसंबंधों के परिणामों का वैज्ञानिक अध्ययन उनके पुत्र गैलीलियो द्वारा किया गया। इस अध्ययन को करने के दौरान बालक गैलीलियो के मन में सुग्राहिता पूर्ण प्रयोग करते हुये उनके परिणामो को आत्मसात करने की प्रेरणा प्रदान की।
इनको परीक्षा मूलक (प्रयोगात्मक) विज्ञान का जनक माना जाता है। इन्होंने दोलन का सूत्र का प्रतिपादन किया। इन्होंने दूरबीन का आविष्कार किया। उसने दूरदर्शी यंत्र को अधिक उन्नत बनाया। उसकी सहायता से अनेक खगोलीय प्रेक्षण लिये तथा कॉपरनिकस के सिद्धान्त का समर्थन किया। उन्हें आधुनिक प्रायोगिक खगोलिकी का जनक माना जाता है।
गैलीलियो का जन्म 15 फरवरी , 1564 को पीसा में ही हुआ था । वह बचपन से ही बड़ी तेज बुद्धिवाला बालक था । उसके पिता बहुत गरीब थे । इसलिए वह गैलीलियो को पूरी शिक्षा भी नहीं दे पाए । उन्होंने गैलीलियो की पढ़ाई छुड़ाकर उसे काम पर लगा दिया ताकि वह कुछ धन कमा सके । उसे कपड़े के धंधे में लगा दिया था । वहाँ गैलीलियो ने इतनी बुद्धिमानी व लगन से काम किया कि धंधे में काफी लाभ हुआ गैलीलियो का भाग्य पलटा और वह फिर पढ़ाई में लग गया । [27]
प्रयोग प्रेषण
[संपादित करें]उन्होंने पाया कि प्रकृति के नियम एक दूसरे कारकों से प्रभावित होते हैं और किसी एक के बढने और घटने के बीच गणित के समीकरणों जैसे ही संबंध होते है। इसलिये उन्होने कहा किः-‘ ईश्वर की भाषा गणित है।‘ इस महान गणितज्ञ और वैज्ञानिक ने ही प्रकाश की गति को नापने का साहस किया। इसके लिये गैलीलियो और उनका एक सहायक अंधेरी रात में कई मील दूर स्थित दो पहाड़ की चोटियों पर जा बैठे। जहां से गैलीलियो ने लालटेन जलाकर रखी, अपने सहायक का संकेत पाने के बाद उन्हें लालटेन और उसके खटके के माध्यम से प्रकाश का संकेत देना था। दूसरी पहाड़ी पर स्थित उनके सहायक को लालटेन का प्रकाश देखकर अपने पास रखी दूसरी लालटेन का खटका हटाकर पुनः संकेत करना था। इस प्रकार दूसरी पहाड़ की चोटी पर चमकते प्रकाश को देखकर गैलीलियो को प्रकाश की गति का आकलन करना था। इस प्रकार गैलीलियो ने जो परिणाम पाया वह बहुत सीमा तक वास्तविक तो न था परन्तु प्रयोगों की आवृति और सफलता असफलता के बाद ही अभीष्ट परिणाम पाने की जो मुहिम उनके द्वारा प्रारंभ की गयी वह अद्वितीय थी। कालान्तर में प्रकाश की गति और ऊर्जा के संबंधों की जटिल गुल्थी को सुलझाने वाले महान वैज्ञानिक अल्बर्ट आइन्स्टीन ने इसी कारण उन्हें ‘आधुनिक विज्ञान का पिता ‘ के नाम से संबोधित किया।
चर्च का कोपभाजन
[संपादित करें]गैलीलियो धार्मिक प्रवृ़ित के थे परन्तु पुरानी धार्मिक मान्यताओं को विवेकशीलता और प्रयोग के माध्यम से सिद्व करना चाहते थे। वर्ष 1609 में गैलीलियो को एक ऐसी दूरबीन का पता चला जिसका अविष्कार हालैंड में हुआ था, इस दूरबीन की सहायता से दूरस्थ खगोलीय पिंडों को देख कर उनकी गति का अध्ययन किया जा सकता था। गैलीलियो ने इसका विवरण सुनकर स्वयं ऐसी दूरबीन का निर्माण कर डाला जो हालैंड में अविष्कृत दूरबीन से कहीं अधिक शक्तिशाली थी। इसके आधार पर अपने प्रेक्षण तथा प्रयोगों के माध्यम से गैलीलियो ने यह पाया कि पूर्व में व्याप्त मान्यताओं के विपरीत बृहमांड में स्थित पृथ्वी समेत सभी ग्रह सूर्य की परिक्रमा करते है। इससे पूर्व कॉपरनिकस ने भी यह कहा था कि पृथ्वी समेत सभी ग्रह सूर्य की परिक्रमा करते है जिसके लिये उन्हे चर्च का कोपभाजन बनना पड़ा था। अब प्रयोग अैार विवेक पर आधारित परिणामों के आधार पर गैलीलियो ने भी यही होना सिद्व पाया। उस समय तक यह सर्वमान्य सिद्वांत था कि ब्रह्मांड के केन्द्र में पृथ्वी स्थित है तथा सूर्य और चन्द्रमा सहित सभी आकाशीय पिंड लगातार पृथ्वी की परिक्रमा करते है। इस मान्यता को तद्समय के धर्माचार्यों का समर्थन प्राप्त था। अपने प्रयोगों के आधार पर प्राप्त परिणामों के कारण गैलीलियो ने पुरानी अवधारणाओं के विरुद्ध खड़े होने का निर्णय लिया। जब गैलीलियो ने यह सिद्धांत सार्वजनिक किया तो चर्च ने इसे अपनी अवज्ञा माना और इस अवज्ञा के लिए गैलीलियो को चर्च की ओर से कारावास की सजा सुनायी गयी। गैलीलियो के द्वारा दिये गये विचार ने तद्समय मनुष्य के चिंतन की दिशा को नये रूप में स्वीकारने को विवश कर दिया। सामाजिक और धार्मिक प्रताड़ना के चलते पूर्व से व्याप्त मान्यताओं और विश्वासों के विपरीत प्रतिपादित सिद्धांतों के साथ वे अधिक दिन तक खड़े नहीं रह सके। वर्ष 1633 में 69 वर्षीय वृद्ध गैलीलियो को चर्च की ओर से यह आदेश दिया गया कि वे सार्वजनिक तौर पर माफी मांगते हुए यह कहें कि धार्मिक मान्यताओं के विरुद्ध दिये गये उनके सिद्धांत उनके जीवन की सबसे बड़ी भूल थी जिसके लिए वे शर्मिंदा हैं। उन्होंने ऐसा ही किया परन्तु इसके बाद भी उन्हें कारावास में डाल दिया गया। उनका स्वास्थ्य लगातार बिगड़ता रहा और इसी के चलते कारावास की सजा गृह-कैद अर्थात अपने ही घर में कैद में रहने की सजा में बदल दिया गया। अपने जीवन का आखिरी दिन भी उन्होंने इसी कैद में ही बिताया।
सम्मान
[संपादित करें]हमेशा से पोप की निगरानी में रहने वाली वेटिकन सिटी स्थित इसाई धर्म की सर्वाेच्च संस्था ने 1992 में यह स्वीकार किया किया कि गैलीलियो के मामले में निर्णय लेने में उनसे गलती हुयी थी। इस प्रकार एक महान खगोल विज्ञानी, गणितज्ञ, भौतिकविद एवं दार्शनिक गैलीलियो के संबंध में 1633 में जारी आदेश कर अपनी ऐतिहासिक भूल स्वीकार करने में चर्च को साढे तीन सौ सालों से भी अधिक का समय लगा। वर्ष 1609 में दूरबीन के निर्माण और खगोलीय पिंडों के प्रेक्षण की घटना के चार सौ सालों के बाद 400वीं जयंती के रूप में वर्ष 2009 को अंतर्राष्ट्रीय खगोलिकी वर्ष के रूप में मनाकर इस महान वैज्ञानिक को श्रद्वांजलि अर्पित कर अपनी भूल का प्राश्चित्य करने का प्रयास किया।
सन्दर्भ
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बाहरी कड़ियाँ
[संपादित करें]- प्रायोगिक भौतिकी के जनक: गैलीलियो - हिन्दी जालपत्रिका सामयिकी में पीयूष पांडे का आलेख
- Portraits of Galileo
- Original documents on the trial of Galileo Galilei in the Vatican Secret Archives
- Galileo Affair catholic.net
- The Galileo Project at Rice University
- PBS Nova Online: Galileo's Battle for the Heavens
- Stanford Encyclopedia of Philosophy entry on Galileo
- The Galilean Library, educational site.
- Galileo and the Catholic Church article at Catholic League
- Electronic representation of Galilei's notes on motion (MS. 72)
- Galileo's 1590 De Motu translation [1]
- Works by Galileo Galilei: text with concordances and frequencies.
- CCD Images through a Galilean Telescope Modern recreation of what Galileo might have seen
- गैलीलियो गैलिली, Le Operazioni del Compasso Geometrico et Militare 1610 रोम. From Rare Book Room. Scanned प्रथम संस्करण।
- गैलीलियो गैलिली, Istoria e Dimostrazioni Intorno Alle Macchie Solar 1613 रोम. From Rare Book Room. Scanned प्रथम संस्करण।