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गुरु गोमके पंडित रघुनाथ मुर्मू (संथाली: ᱚᱞ ᱜᱩᱨᱩ ᱜᱚᱢᱠᱮ ᱯᱚᱱᱰᱤᱛ ᱨᱟᱹᱜᱷᱩᱱᱟᱛᱷ ᱢᱩᱨᱢᱩ) संताली भाषा के विख्यात साहित्यकार रामचंद्र मुर्मू द्वारा रचित एक जीवनी है जिसके लिये उन्हें सन् 2006 में संताली भाषा के लिए साहित्य अकादमी पुरस्कार से सम्मानित किया गया।[1]