गुरुवायुर दोराई
गुरुवायुर दोराई | |
|---|---|
| जन्म नाम | वैद्यनाथन |
| जन्म | 2 जुलाई 1935 गुरुवायूर, त्रिशूर ज़िला, केरल, भारत |
| वाद्ययंत्र | मृदंग |
गुरुवायुर दोराई (जन्म 2 जुलाई 1935) एक भारतीय मृदंगवादक हैं।[1] वे दक्षिण भारतीय शास्त्रीय संगीत में मृदंगम वादन के वरिष्ठतम कलाकारों में से एक हैं। उन्होंने प्रारंभिक शिक्षा पलघाट सुब्बा अय्यर और ई. पी. नारायण पिषारोडी से प्राप्त की और बाद में पलानी सुब्रमण्यम पिल्लै के अधीन गुरुकुल प्रणाली में अध्ययन किया। मात्र आठ वर्ष की आयु में उन्होंने मंच प्रदर्शन आरंभ किया।[2][3]
जनवरी 2025 में, भारत सरकार ने उन्हें पद्म श्री सम्मान से नवाजा।[4][5][6]

प्रारंभिक जीवन
[संपादित करें]गुरुवायुर दोराई का जन्म केरल के गुरुवायुर में हुआ था। उनके पिता जी.एस. कृष्ण अय्यर एक पुजारी थे और माता मीना एक गृहिणी थीं। उनके परिवार में संगीत परंपरा रही है — उनकी बहन गुरुवायुर पोन्नम्मल प्रसिद्ध गायिका थीं, और भाई जी.के. राजमणि वायलिन वादक हैं।
पाँच वर्ष की आयु में पोलियो से ग्रस्त होने के बाद, उनके पिता ने उन्हें मृदंगम में प्रशिक्षित करने का निश्चय किया ताकि वे पारिवारिक संगीत प्रस्तुतियों का हिस्सा बन सकें। छह वर्ष की आयु में उन्होंने पलघाट सुब्बा अय्यर से मृदंगम की शिक्षा प्रारंभ की, और बाद में ई. पी. नारायण पिषारोडी से भी प्रशिक्षण लिया। वर्ष 1949 में वे चेन्नई आए और पलानी सुब्रमण्यम पिल्लै से नौ वर्षों तक गुरुकुल में रहकर प्रशिक्षण लिया।
करियर
[संपादित करें]गुरुवायुर दोराई ने एम.एस. सुब्बुलक्ष्मी, सेम्मंगुडी श्रीनिवास अय्यर, एम. बालमुरलीकृष्ण, टी.आर. महालिंगम (बांसुरी वादक), स. बालचंदर सहित कई प्रसिद्ध कलाकारों के साथ संगत की है। उन्होंने टी.एन. राजरत्नम् पिल्लै, नामगिरीपेट्टै कृष्णन जैसे नागस्वरम वादकों के साथ भी प्रदर्शन किया है।
वे के. जे. येसुदास, टी.एन. शेषगोपालन, एन. रविकिरण, शशांक सुब्रमण्यम जैसे समकालीन कलाकारों के साथ भी संगत कर चुके हैं। विन्जमूरी वरदराज अयंगार के साथ भी वे आंध्रप्रदेश में कई कार्यक्रमों में शामिल हुए, जिससे उन्हें उस क्षेत्र में पहचान मिली।[7][8]
पुरस्कार
[संपादित करें]- कलैमामणि, 1990 – तमिलनाडु सरकार द्वारा
- संगीत नाटक अकादमी पुरस्कार, 1996[9]
- संगीत नाटक अकादमी टैगोर रत्न, 2011
- संगीत कलाशिखामणि, 2003 – इंडियन फाइन आर्ट्स सोसाइटी, चेन्नई
संदर्भ
[संपादित करें]- ↑ Abram, David; Edwards, Nick (2004). The Rough Guide to South India. Rough Guides. p. 670. ISBN 9781843531036.
- ↑ "Mridangam exponent Guruvayur Dorai gets Padma Shri". The Hindu (अंग्रेज़ी भाषा में). 25 January 2025. अभिगमन तिथि: 18 June 2025.
- ↑ "Mridangam maestro Guruvayur Durai honoured with Naadha Laya Siromani title". The Hindu (अंग्रेज़ी भाषा में). 16 April 2024. अभिगमन तिथि: 18 June 2025.
- ↑ "Padma Award Winners 2025 Full List: Padma Vibhushan, Padma Bhushan, Padma Shri". Bru Times News. अभिगमन तिथि: 18 जून 2025.
- ↑ "Padma Awards 2025 announced". PIB. अभिगमन तिथि: 18 जून 2025.
- ↑ "Padma Awards 2025 – Notifications" (PDF). Padma Awards (Official). Ministry of Home Affairs, Government of India. 28 April 2025. अभिगमन तिथि: 8 June 2025.
- ↑ "Interview with Guruvayur Dorai" (अंग्रेज़ी भाषा में). मूल से से 4 March 2016 को पुरालेखित।. अभिगमन तिथि: 18 June 2025.
- ↑ "'I got a standing ovation in France'". The Hindu (अंग्रेज़ी भाषा में). 23 January 2012. अभिगमन तिथि: 18 June 2025.
- ↑ "संगीत नाटक अकादमी पुरस्कार विजेताओं की सूची". संगीत नाटक अकादमी. मूल से से 31 March 2016 को पुरालेखित।. अभिगमन तिथि: 5 February 2016.
| Guruvayur Dorai से संबंधित मीडिया विकिमीडिया कॉमंस पर उपलब्ध है। |