गुरजाड अप्पाराव
गुरजाड अप्पाराव | |
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जन्म |
गुरजाड वेंकट अप्पाराव 21 सितम्बर, 1862 Yelamanchili, Visakhapatnam, Andhra Pradesh, India |
मौत |
November 30, 1915 Yelamanchili, Visakhapatnam, Andhra Pradesh, India |
जाति | तेलुगु |
पेशा |
Playwright Dramatist Poet |
जीवनसाथी | Appala Narasamma, 1885 |
बच्चे |
Lakshmi Narasamma (daughter) Venkata Ramadasu (son) |
पुरस्कार | Emeritus Fellow, University of Madras |
गुरुजाडा अप्पाराव (सितम्बर, 1861 - 30 नवम्बर, 1915) आधुनिक तेलुगु भाषा के प्रसिद्ध राष्ट्रीय कवि थे।
जीवन परिचय
[संपादित करें]अप्पाराव का जन्म आन्ध्र प्रदेश के विशाखापत्तनम क्षेत्र में एक विद्वान परिवार में हुआ था। उनके पिता वेंकटरामदास संस्कृत और तेलुगु के विद्वान तथा वेदान्त तथा ज्योतिष के ज्ञाता थे। इनकी आरंभिक शिक्षा घर पर ही हुई। विद्यालय में संस्कृत और दर्शन उनके प्रिय विषय थे।[1]
कुछ समय तक अध्यापन करने के बाद विजयनगर रियासत में नौकरी की। यहां इन्हें इतिहास पर शोध करने का अवसर मिला और उन्होंने 'कलिंग का इतिहास' नामक ग्रंथ की रचना की।
कृतियाँ
[संपादित करें]गुरुजाडा अप्पाराव राष्ट्रीय भावनाओं से ओत प्रोत बड़े ओजस्वी कवि थे। उनकी कविताओं के अनेक संग्रह प्रकाशित हुए। उन्होंने जाति भेद , वर्ण भेद, आदि का विरोध किया। धर्म के ब्रह्माचार और मूर्ति पूजा में उनका विश्वास नहीं था। कविता के साथ साथ उन्होंने नाटकों, कहानियों और आलोचनाओं की भी रचना की। वे अपनी रचनाओं में जनसाधारण की भाषा का प्रयोग करते थे। वीरेशिलिंगम के प्रयत्नों से समाज सुधार की जो लहर पैदा हुई थी उसको आगे बढाने में अप्पाराव ने भी योग दिया।
उनकी प्रमुख रचनाएँ निम्नलिखित हैं-
- सारंगधर
- पूर्णम्म
- कॊंडुभट्टीयं
- नीलगिरि पाटलु
- मुत्याल सरालु
- कन्यक
- सत्यव्रति शतकमु
- बिल्हणीयं (असंपूर्णं)
- सुभद्र
- लंगरॆत्तुमु
- दिंचुलंगरु
- लवणराजु कल
- कासुलु
- सौदामिनि
- कथानिकलु
- मीपेरेमिटि
- दिद्दुबाटु
- मॆटिल्डा
- संस्कर्त हृदयं
- मतमु विमतमु
सन्दर्भ
[संपादित करें]- ↑ Rao, K. Srinivasa (2018-09-08). "Gurajada's house gets a facelift at last". The Hindu (अंग्रेज़ी में). आइ॰एस॰एस॰एन॰ 0971-751X. अभिगमन तिथि 2020-07-25.