गुजरी महल (हिसार)

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हरियाणा के हिसार में स्थित गुजरी महल की खोज फ़िरोज़ शाह तुग़लक़ ने की थी। इसको 8 वी सदी का माना जाता है।[1] इस महल को 1354 ई. मे खोजा गया था। यह फिरोज शाह महल का भाग है। हिसार शहर एक दुर्ग के अंदर एक दीवारों के बंदोबस्त के बीच बसा था जिसमें चार दरवाजे थे, दिल्ली गेट, मोरी गेट, नागौरी गेट और तलाकी गेट। महल में एक मस्जिद है जिसका नाम 'लाट की मस्जिद' है।[2] यह लगभग 20 फुट ऊंची बलुआ पत्थर के स्तंभों से बनाई गयी है।

ध्यातव्य है कि हिसार को फ़िरोज़ शाह तुग़लक़ के समय से 'हिसार' कहा जाने लगा, क्योंकि उसने यहां हिसार-ए-फ़िरोज़ा नामक दुर्ग बनवाया था।

गुजरी महल की भव्यता[संपादित करें]

महज़ दो साल में बनकर तैयार हो गया। गुजरी महल में काला पत्थर इस्तेमाल किया गया है। महल की स्थापना के लिए फ़िरोज़ शाह तुग़लक़ ने क़िला बनवाया। दीवान-ए-आम के पूर्वी हिस्से में स्थित कोठी फ़िरोज़ शाह तुग़लक़ का महल बताई जाती है। इस इमारत का निचला हिस्सा अब भी महल-सा दिखता है। फ़िरोज़ शाह तुग़लक़ के महल की बगल में लाट की मस्जिद है। अस्सी फ़ीट लंबे और 29 फ़ीट चौड़े इस दीवान-ए-आम में सुल्तान कचहरी लगाता था। महल के खंडहर इस बात की निशानदेही करते हैं कि कभी यह विशाल और भव्य इमारत रही होगी।

फ़िरोज़ शाह तुगलक का परिचय[संपादित करें]

फ़िरोज़ शाह तुग़लक़ दिल्ली सल्तनत में तुग़लक़ वंश का शासक था। फ़िरोजशाह तुग़लक़ का जन्म १३०९ को हुआ।उसका शासन १३५१ से १३८८ तक रहा। उसने अपने शासनकाल में ही चांदी के सिक्के चलाये। वह मुहम्मद तुग़लक़ का चचेरा भाई एवं सिपहसलार 'रजब' का पुत्र था।[3] मुहम्मद तुग़लक़ की मुत्यु के बाद 23 मार्च 1351 को फ़िरोज़ तुग़लक़ का राज्याभिषक थट्टा के निकट हुआ। पुनः फ़िरोज़ का राज्याभिषेक दिल्ली में अगस्त, 1351 में हुआ। सुल्तान बनने के बाद फ़िरोज़शाह तुग़लक़ ने सभी क़र्ज़े माफ कर दिए, जिसमें 'सोंधर ऋण' भी शामिल था, जो मुहम्मद तुग़लक़ के समय किसानों को दिया गया था। फ़िरोज शाह कट्टर सुन्नी धर्मान्ध मुस्लिम था।

सन्दर्भ[संपादित करें]

  1. सोनू, शर्मा. म्हारा हरियाणा. प्रभात प्रकाशन. अभिगमन तिथि 19 जनवरी 2021.
  2. "इतिहास हिसार". hisar.gov.in. अभिगमन तिथि 19 मई 2022.
  3. Sarkar, Jadunath (August 20, 2018). A History of Jaipur: C. 1503-1938. Orient BlackSwan (August 20, 2018). पृ॰ 464. आई॰ऍस॰बी॰ऍन॰ 9788125003335.